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    Nawaz Sharif- Former PM, Pakistan

    Nawaz Sharif Back in Pakistan: पाकिस्तान के तीन बार के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ पिछले शनिवार (21 October) की शाम को तकरीबन 4 साल बाद पाकिस्तान वापस लौटे हैं।

    पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (PML-N) के मुखिया शरीफ़ (Nawaz Sharif) पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर उतरने के बाद कल ही सीधे लाहौर गए जहाँ उन्होंने लोगों के एक बड़े हुज़ूम को संबोधित किया।

    73 वर्षीय नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) 2019 में पाकिस्तान छोड़कर इलाज़ के लिए उस वक़्त लंदन गए थे जब वे भ्रष्टाचार के मामले में कुल सात साल की जेल की सज़ा काट रहे थे। उन्हें  चिकित्सा कारणों से लंदन जाने की अनुमति मिली और उन्हें इलाज़ के बाद वापस पाकिस्तान लौटना था ताकि वे अपनी सजा पूरी कर सके। लेकिन नवाज़ शरीफ उसके बाद लंदन से स्वदेश नहीं लौटे।

    शरीफ़ (Nawaz Sharif) और पाकिस्तान की हालिया राजनीति

    निःसंदेह नवाज़ शरीफ़ पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान की राजनीति में लगातार विभिन्न भूमिकाओं में क़ायम रहे हैं। वे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के तौर पर 3 बार सत्ता संभालने का अनुभव रखते हैं।

    अप्रैल 2022 से लेकर अगस्त 2023 तक भी जब उनकी पार्टी सत्ता में थी और उनके भाई शाहबाज शरीफ़ प्रधानमंत्री थे, उस दौरान भी कहा जाता है कि महत्वपूर्ण मामलों पर पार्टी के रुख का फैसला लंदन से शरीफ़ (Nawaz Sharif) ही किया करते थे।

    2013 में  नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) जब तीसरी बार प्रधानमंत्री बने तो पाकिस्तान एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा था। तब पाकिस्तान बिजली संकट, आर्थिक अस्थिरता आदि से जूझ रहा था।

    नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) के सत्ता में आने के बाद अगले तीन साल में पाकिस्तान के आर्थिक स्थिति में स्थिरता आने लगी थी। लोगों को बिजली संकट से भी ठीक-ठाक राहत मिलने लगी थी। कई बड़े आधारभूत संरचनाओं (Infrastructure) से जुड़े परियोजनाओं को पूरा किया गया था।

    लेकिन 2016 में ‘पनामा पेपर्स लीक (Panama Papers Leak)’ मामले में नवाज़ शरीफ़ का नाम आने के बाद पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बेईमान बताते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए अयोग्य ठहराया था; लिहाज़ा उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

    नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) के लिए बात यहीं तक नहीं रुकी। अगले एक साल के भीतर ही पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने उनपर किसी भी तरीके की राजनीतिक भागीदारी या किसी भी तरह के सार्वजनिक कार्यालय (Public Office) संभालने से प्रतिबंधित कर दिया था। न्यायालय का यह फैसला अपने तरह का एक अजूबा फैसला था।

    इसी दौरान नवाज़ शरीफ की पार्टी को पाकिस्तान में हुए आम चुनाव में इमरान खान के नेतृत्व वाली तहरीक-ए-इंसाफ़ (PTI) के ख़िलाफ़ करारी हार का सामना भी करना पड़ा। इसके कुछ महीने बाद ही दिसंबर 2018 में भ्रष्टाचार के ही एक और मामले में एक अन्य अदालत ने शरीफ़ (Nawaz Sharif) को 07 साल की कैद और 25 मिलियन डॉलर (USD) की आर्थिक सजा सुना दिया।

    2019 में स्वास्थ्य कारणों के मद्देनजर नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) को जेल से बाहर आने की अनुमति दी गयी और वे वहीं से इलाज़ करवाने के लिए लंदन चले गए और वापस नहीं लौटे थे।

    राजनीति नहीं, मिलिट्री है असली वजह

    यह सच है कि नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) पाकिस्तान के भीतर लगातार विरोधियों के राजनीतिक चालों और अदालतों के “कुछ सही, कुछ अजीब” फैसलों के शिकार होते गए। लेकिन जानकर बताते हैं कि शरीफ (Nawaz Sharif) को तब पाकिस्तान की राजनीति से बेदखल करने के पीछे वहाँ की सेना का हाँथ था।

    कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना और नवाज़ शरीफ़ के बीच विदेश नीति संबंधित कुछ मामलों पर सहमति नहीं थी जिसमें भारत के साथ रिश्ता सबसे प्रमुख मुद्दा था। नवाज़ शरीफ़ को भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंध बनाने का पक्षधर माना जाता है।

    भारत के पठानकोट (Pathankot) और उरी (Uri) में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तानी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा आदि के किरदार को लेकर भी शरीफ़ (Nawaz Sharif) और सेना के बीच अनबन की खबरें आईं थीं। साथ ही, पाकिस्तान के सरकार द्वारा दिन-प्रतिदिन के कार्यों में भी सेना के दखल को लेकर भी शरीफ़ और सेना के बीच के संबंध मधुर नहीं थे।

    इस असहमति के परिणामस्वरूप, सेना ने उन्हें (Nawaz Sharif) गद्दी से उतारने का फैसला किया और उनके विरोधी इमरान खान (Imran Khan) को समर्थन किया बल्कि आमचुनाव जीतने में भी इमरान खान की पार्टी की मदद की।

    परन्तु अब पाकिस्तान की राजनीति आज से 4 साल पहले की तुलना में ज्यादा अस्थिरता से गुज़र रही है। नवाज़ के बाद जिस इमरान खान को सेना की मदद से सत्ता की चाभी मिली थी,  आज वे खुद जेल के भीतर हैं। इसकी वजह भी वही है जो नवाज़ (Nawaz Sharif) के साथ हुआ था-“सेना के साथ तकरार”।

    वर्तमान में इमरान के पार्टी (PTI) के अन्य बड़े नेता या तो पाला बदल चुके हैं या गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालांकि, न्यू यॉर्क टाइम्स सहित कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इमरान खान आज भी पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाते हैं।

    पाकिस्तान में अगले साल आमचुनाव होना है और इसी के मद्देनजर कई जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना ने ही नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) के देश-वापसी का रास्ता खोला है ताकि इमरान खान की पार्टी को रोका जा सका।

    इसी हफ्ते इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने नवाज़ शरीफ़ को सुरक्षात्मक जमानत (Protective Bail) भी प्रदान किया था। इस वजह से उनको पाकिस्तान में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और अगले हफ्ते वे अपने इस जमानत को बढ़ाने की भी मांग कर सकते हैं।

    इसमें कोई दो राय नहीं है कि नवाज़ शरीफ़ (Nawaz Sharif) वर्तमान में पाकिस्तान के सबसे अनुभवी नेता हैं। इस वक़्त पर उनकी पार्टी (PML-N) मुश्किलों से गुजर रही है। साथ ही, पाकिस्तान के भीतर बेतहाशा महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता के कारण सेना के किरदार को लेकर भी आवाजें उठने लगीं हैं।

    लिहाज़ा, शरीफ़ (Nawaz Sharif) की वापसी से सेना और उनकी राजनीतिक पार्टी दोनों को काफी उम्मीदें है। लेकिन किसी सार्वजनिक पद या दफ़्तर की जिम्मेदारी संभालने के लिए भ्रष्टाचार के अपराधों के लिए अदालत द्वारा दिये गए सज़ा का बदला जाना जरूरी है।

    कुलमिलाकर अगर यह कहना गलत नहीं होगा कि नवाज़ शरीफ़ के सत्ता से बेदखली, फिर स्व-निर्वासन से लेकर पाकिस्तान वापसी तक सबके पीछे सेना की भूमिका रही है।

    अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पाकिस्तानी अदालतें उन सजाओं को वापस लेती है जो नवाज़ शरीफ़ को उन्हीं अदालतों द्वारा मुकर्रर किया गया था। दूसरा यह भी कि क्या पाकिस्तान की आम जनता इस अनुभवी नेता (Nawaz Sharif) पर अपना भरोसा एक बार फिर दिखाएगी?

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

    4 thoughts on “Nawaz Sharif Back in Pakistan: पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के देश-वापसी के मायने”
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