Light Pollution and Indian Culture: भारत महज़ एक देश नहीं बल्कि सभ्यताओं, संस्कृतियों, परंपराओं और भावनाओं का समावेश है। इन्हीं परंपराओं में शामिल एक बेहद खास परंपरा है- करवा चौथ की पूजा की जिसमें शादी-शुदा महिलाएं अपने पति के समृद्धि के लिए दिन भर व्रत रखती हैं और शाम को चांद के दीदार करने के बाद व्रत तोड़ती हैं।
परंतु बीते कुछ वर्षों से शहरों में यह व्रत जटिल होता जा रहा है। वजह है-कई शहरों में चांद का दीदार ना हो पाना। नतीजतन इस दिन शाम से ही इन महिलाओं के साथ साथ पूरा परिवार आसमान में चांद को ढूंढ रहा होता है।
दरअसल, एक तो पूजा के लिए निर्धारित दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार चौथ की तिथि (4th Day after Fool Moon Day) होती है जिसमें चांद महज़ कुछ घंटों के लिए ही दिखता है और उपर से अव्वल यह कृत्रिम रोशनियों से नहाए शहर में उत्पन्न अनियंत्रित प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution)।
Light Pollution: वास्तविक प्रदूषण
रात में प्रकाश का यह आगमन जीवमंडल में हमारे द्वारा किए गए सबसे नाटकीय परिवर्तनों में से एक है। प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) कृत्रिम प्रकाश (Artificial Light) को संदर्भित करता है जो पारिस्थितिक तंत्र में प्रकाश और अंधेरे के प्राकृतिक पैटर्न को बदल देता है।
हर साल, रात का आकाश पहले की तुलना में और चमकीला हो जाता है और तारे धुंधले दिखने लगते हैं। 50,000 से अधिक शौकिया तारा-अवलोकन करने वालो के डेटा का विश्लेषण करने वाले एक नए अध्ययन से पता चलता है कि कृत्रिम प्रकाश (Light pollution) हर साल रात के आकाश को लगभग 10% उज्जवल बना रहा है।
उपग्रह डेटा को देखकर वैज्ञानिकों ने पहले जो अनुमान लगाया था, यह उससे कहीं अधिक तेज़ दर है। कृत्रिम प्रकाश के पूर्व अध्ययन, जिसमें रात में पृथ्वी की उपग्रह छवियों का उपयोग किया गया था, ने अनुमान लगाया था कि आकाश की चमक में वार्षिक वृद्धि लगभग 2% प्रति वर्ष होगी।
Light pollution could double in 30 years, says 1st global survey from space https://t.co/nYmmY08YvR pic.twitter.com/hyaRKEX3cl
— New Scientist (@newscientist) November 23, 2017
उदाहरण के साथ इसे ऐसे समझें कि मान लीजिये , एक बच्चे का जन्म वहां होता है जहां साफ रात में 250 तारे दिखाई देते हैं। जब बच्चा 18 वर्ष का हो जाता है, तब तक केवल 100 तारे ही दिखाई देते हैं। यह वास्तविक प्रदूषण (Light pollution) है, जो लोगों और वन्य जीवन को प्रभावित कर रहा है।
जनवरी 2019 में अर्बन क्लाइमेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि 1993-2013 तक भारत के विभिन्न हिस्सों में बाहरी रोशनी की चमक लगातार बढ़ रही है। नई दिल्ली, तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में इस अवधि में “बहुत उच्च प्रकाश प्रदूषण तीव्रता (Very High Light Pollution Intensity) ” में वृद्धि का अनुभव हुआ।
परन्तु अब इस समस्या से सिर्फ बड़े शहर ही नहीं बल्कि प्राकृतिक रूप से समृद्ध छत्तीसगढ़, झारखण्ड आदि राज्यों के शहर भी प्रभावित हो रहे हैं।
प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) के प्रकार व प्रभाव
प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) कई के प्रकार का होता है। उदाहरण के लिए, चकाचौंध (Glare), जो एक विघटनकारी प्रकाश है जो क्षैतिज रूप से चमकता है। हल्का अतिक्रमण, जो आस-पास के क्षेत्रों पर प्रकाश की अवांछित चमक है। दूसरी महत्वपूर्ण आकाशीय चमक (Sky Glow) है। दुनिया की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी, और 99 प्रतिशत अमेरिकी और यूरोपीय, आकाश की चमक के नीचे रहते हैं।
अध्ययनों से पता चला है कि अत्यधिक कृत्रिम रोशनी (Artificial Lights) से खराब नींद, मोटापा, मधुमेह, कुछ कैंसर और मनोदशा संबंधी विकार भी हो सकते हैं। प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) जानवरों के व्यवहार, जैसे प्रवासन पैटर्न, शिकार और कई रात्रिचर प्रजातियों (Nocturnal Species) में आवास निर्माण को भी प्रभावित कर रहा है।
स्काईग्लो (आकाशीय चमक) मानव सर्कैडियन लय (Circadian Rhythm) को बाधित करता है। सर्कैडियन लय किसी जीव में होने वाले शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक परिवर्तनों का प्राकृतिक 24 घंटे का चक्र है। इसे शरीर की आंतरिक घड़ी भी कहा जाता है।
साथ ही जीवन के अन्य रूपों को बाधित करता है। प्रवासी पक्षी आमतौर पर रात में आकाश में जहां होते हैं, वहां जाने के लिए तारों की रोशनी (Star-Light) का उपयोग करते हैं। और जब समुद्री कछुए के बच्चे निकलते हैं, तो वे समुद्र की ओर उन्मुख होने के लिए प्रकाश का उपयोग करते हैं – प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) उनके लिए बहुत बड़ी बात है।
रात्रि का आकाश (Night-Sky) , हमारी पिछली सभी पीढ़ियों के लिए, कला, विज्ञान, साहित्य और संस्कृति के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। भारतीय संस्कृति में करवा चौथ (Karwa Chauth) , गणेश चौथ, शरद पूर्णिमा, छठ व्रत आदि अनेको ऐसी परम्पराएं और पद्धतियां हैं जो आज भी चाँद, सूर्य और तारों को समर्पित है; और अगर इनके दर्शन दुर्लभ हो गए तो परपराएँ भी महज एक खानापूर्ति बन जाएँगी।
कुलमिलाकर जो कुछ खो रहा है उसका एक हिस्सा सार्वभौमिक मानवीय अनुभव है। जैसे-जैसे शहर बढ़ रहे हैं, इस बढ़ते प्रकाश प्रदूषण (Light Pollution) को नियंत्रित करने के लिए रात के आसमान को संरक्षित करने के लिए और अधिक पहल की आवश्यकता है।