ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) द्वारा जारी वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Global Corruption Perceptions Index) 2021 के अनुसार 180 देशों की सूची में भारत को 85वां स्थान मिला है। पिछले साल भारत 86वें स्थान पर था।
पड़ोसी देशों की स्थिति:
रिपोर्ट के अनुसार चीन को 66वे स्थान (CPI स्कोर 45) पर है; वहीं पाकिस्तान की रैंक में 16 पायदान की गिरावट दर्ज की गई। अब पाकिस्तान 140वें (CPI स्कोर 28) पर आ गया है।
अन्य पड़ोसी मुल्कों की बात करें तो भूटान को 25वां स्थान (CPI स्कोर 25), श्रीलंका को 102वां (CPI स्कोर 37), नेपाल को 117वां (CPI स्कोर 33), बांग्लादेश को 147वां स्थान (CPI स्कोर 26), और अफगानिस्तान को 174वां स्थान (CPI स्कोर 16) दिया गया है।
डेनमार्क, फिनलैंड, न्यूज़ीलैंड और नॉर्वे ने सर्वोत्तम स्कोर के साथ लिस्ट में टॉप पर मौजूद है।
“ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International)”
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल (Transparency International) एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था है जो वैश्विक भ्रष्टाचार पर नजर रखती है जिसका अन्तराष्ट्रीय मुख्यालय जर्मनी की राजधानी बर्लिन में स्थित है। यह संस्था कई रिपोर्ट्स जारी करती है जिसमें वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Global Corruption Perception Index) सर्वप्रमुख है।
वैश्विक भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Global Corruption Perception Index) 2021:-
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2021 के अनुसार दुनिया भर में भ्रष्टाचार पूर्व की भांति यथावत बनी हुई है और इसमें बहुत परिवर्तन नहीं हो रहा है। इसमें सम्मिलित सभी देशों का औसत स्कोर इस बार भी 43 है जो पिछले 1 दशक से बना हुआ है।
इस सूचकांक में सम्मिलित 180 देशों को 0 से 100 के बीच का स्कोर दिया जाता है और उसी के आधार पर रैंक निर्धारित की जाती है। स्कोर यह बताता है कि इन देशों में पब्लिक सेक्टर कितना भ्रष्ट है।
हर देश का स्कोर असल मे कम से कम 3 स्रोतों से जुटाये गए आंकड़ों पर निर्भर करता है। ये आंकड़े दुनिया भर के विभिन्न नामी-गिरामी संस्थाओं जैसे वर्ल्ड बैंक आदि, द्वारा संग्रहित किये जाते हैं।
भारत को 85वां स्थान:
“ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल” द्वारा जारी रिपोर्ट में 180 देशों की इस सूची में भारत का स्थान 85वां है और CPI स्कोर 40 है जो कि ग्लोबल औसत 43 से नीचे है। हालांकि भारत के रैंक में पिछले साल की तुलना में एक स्थान का मामूली सुधार दर्ज किया गया है परंतु इस सूचकांक के अनुसार रैंक से ज्यादा महत्वपूर्ण CPI स्कोर है। इसके पीछे वजह ये है कि हर मुल्क में भ्रष्टाचार के अलग अलग स्वरूप और चुनौतियां हैं।
यह रिपोर्ट भारत के ऊपर विशेष फोकस करते हुए कहती है-
“भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था चिंताजनक है। लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच नियंत्रण और संतुलन का सामंजस्य कम हो रहा है।”
रिपोर्ट आगे कहती है-
“कुछ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रमुख रूप से खतरे में है और पुलिस, राजनीतिक बल या भ्रष्ट क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा अक्सर ही प्रताड़ित किये जाते हैं।”
खैर, इन तमाम विषमताओं के बीच भारत का प्रदर्शन अपने ज्यादातर पड़ोसियों (चीन और भूटान को छोडक़र) से अच्छा है। परंतु आज़ादी के महानायकों के मन का भारत बनाने के लिए निसंदेह अभी और सुधार की जरूरत है।