BPSC Paper Leak: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के 67वीं संयुक्त परीक्षा का प्रश्नपत्र गत रविवार को परीक्षा शुरू होने के लगभग 1 घंटे पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इसके बाद आयोग ने इस परीक्षा को निरस्त घोषित कर दिया।
इस पूरे मामले की जाँच में ईओयू (Economic Offences Unit) ने अभी तक कार्रवाई करते हुए एक अनुमंडल विकास पदाधिकारी (BDO) को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जाँच कराने व दोषियों को उचित सजा दिलाने का आश्वासन दिया है।
वहीं इस मुद्दे को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है। राजद नेता तेजस्वी यादव व लोजपा नेता चिराग पासवान ने इस मुद्दे को लेकर नीतीश सरकार को घेरने की कोशिश की।
जब #BPSC जैसे संस्थान का पेपर लीक हो रहा है तो फिर बाकी का क्या होगा? पेपर लीक को लेकर सदन में आवाज उठाई,लेकिन सरकार ने नहीं सुना।
जिन छात्रों ने बड़ी मेहनत से दूर से आकर परीक्षा दी, लेकिन परीक्षा रद्द हो गया।अब सरकार हर छात्र को 5 हज़ार मुआवजा दे।साथ ही दोषियों की गिरफ्तारी हो। pic.twitter.com/uYn8g4K1Pg
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 9, 2022
BPSC जैसी संस्था के साख पर बट्टा
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 के अंतर्गत केंद्र व राज्यों के भीतर लोक सेवा आयोग का गठन किया जाता है। इसकी सरंचना, कार्यवाही व अधिकार क्षेत्र भी संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों (316 से 323 तक) में वर्णित है।
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) भी उपरोक्त संवैधानिक प्रावधानों से बंधा हुआ है। जाहिर है एक जिम्मेदार संवैधानिक संस्था द्वारा आयोजित बिहार राज्य की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा का प्रश्न-पत्र परीक्षा से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो जाना आयोग की साख पर बट्टा लगाता है।
आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा आयोग को
पेपर लीक होने से न सिर्फ आयोग की प्रतिष्ठा दाव पर लगी है जबकि पुनर्परीक्षा करवाने की वजह से करोड़ों का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
गत रविवार को हुए परीक्षा जो अब निरस्त कर दिया गया है, में प्रश्न पत्र, ओएमआर शीट (OMR) आदि की छपाई सहित कुल 1083 परीक्षा केंद्रों पर सम्पूर्ण व्यवस्था प्रबंधन में अनुमानतः 10 करोड़ रुपए का खर्च हुआ था।
आपको बता दें, राज्य लोक सेवा आयोग खासकर बिहार जैसे पिछड़े राज्य में पहले ही आर्थिक संकट से जूझते रहे हैं। इसकी वजह से कई बार आयोग कई अन्य परीक्षाओं को समय पर करवाने में असक्षम रहा है।
बिहार में एक कहावत अति-प्रचलित है – “कंगाली में आंटा गीला”। वर्तमान परिस्थिति में आयोग को लगे करोड़ो का चूना के बाद यही लोकोक्ति माकूल लगती है क्योंकि परीक्षा के निरस्त होने से आयोग को कम से कम 10 करोड़ का नुकसान तो उठाना ही पड़ेगा
परीक्षार्थियों को बिना गलती की सज़ा
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) बिहार व आस पास के राज्यों के लाखों युवा छात्रों का एक सपना होता है। वे साल भर तैयारी करते हैं ताकि राज्य प्रशासनिक सेवा में शामिल होने का सपना पूरा कर सके।
इस बार भी लगभग 6 लाख २० हजार फॉर्म भरे गए थे जबकि अभी हुए परीक्षा के लिए 5 लाख 18 हजार प्रवेशपत्र डाउनलोड किया गया था।। यह आंकड़ा बिहार और बाहर के सभी छात्रों को जोड़कर है।
आयोग ने कदाचार मुक्त परीक्षा करवाने का तर्क देकर बिहार के सुदूर दक्षिण जिलों (गया, औरंगाबाद इत्यादि) के छात्रों का केंद्र उत्तर बिहार के दरभंगा, सीतामढ़ी, रक्सौल आदि जगहों पर आवंटित किया गया। इसी प्रकार उत्तर बिहार के परीक्षार्थियों को दक्षिण व पश्चिम बिहार के जिलों में केंद्र आवंटित किया गया।
इसी तरह बाहरी छात्रों को भी (UP etc) गया, पटना, मुजफ्फरपुर जैसे बड़े शहर के बजाए आरा आदि मध्यम या अर्ध-शहरी क्षेत्रो में केंद्र आवंटित किया गया। जाहिर है छात्रों को अपने गृह जनपद से काफ़ी दूर-दराज के इलाकों में रात भर जागकर किसी तरह से सफर कर के जाना पड़ा होगा।
परीक्षा केंद्र तक पहुँचना सबसे बड़ी चुनौती
बिहार की बसों में यात्रा करना कितना सुलभ है, यह जगजाहिर है। यहाँ बस में सवारियों की संख्या सीट की संख्या से तय नहीं होती बल्कि बस की धारिता (Volume) कितनी है, उसके हिसाब से जितने लोग ऊपर-नीचे भर सके, यात्रियों की संख्या उतनी ही होगी।
यह सब मैं इसलिए बता रहा हूँ जिस से एक पाठक के तौर पर आप समझ सकें कि कितनी मुश्किलात का सामना कर के ये छात्र अपने परीक्षा केंद्रों तक पहुंचते हैं और फिर परीक्षा के बाद उन्हें ख़बर मिलती है कि उनका यह सब यत्न व्यर्थ जाने वाला है क्योंकि प्रश्न पत्र पहले ही व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
कई छात्रों का निजी दर्द जो उन्होंने हमसे भी बांटे, आपको उनकी बानगी देना चाहता हूँ। गया के पंकज जो कोलकाता में भारतीय रेलवे में काम करते हैं, अपना सब काम छोड़ कर परीक्षा में सम्मिलित होने सीतामढ़ी तक जाते हैं और फिर परीक्षा निरस्त होने की खबर पाकर “BPSC धन्य हो” कहकर खामोश हो जाते हैं।
ऐसे ही उत्तर प्रदेश के बरेली की एक छात्रा ने नाम न जाहिर करने के शर्त पर बताया कि ट्रेन में कन्फर्म टिकट न मिलने के कारण हुए परेशानी से जूझते हुए आरा में एक केंद्र पर परीक्षा में शामिल होने जाती हैं। फ़िर परीक्षा रद्द होने पर फफक कर रोते हुए बताती हैं कि आयोग ने उन जैसे छात्रों के साथ मज़ाक किया है।
यह एक किसी छात्र या एक छात्रा की परेशानी नहीं है बल्कि ऐसे हजारों छात्र हैं जिन्हें आयोग की गलती की वजह से शारीरिक, आर्थिक व मानसिक नुकसान उठाना पड़ा है।
सम्पूर्ण जाँच के बाद ही पुनर्परीक्षा की तिथि
बिहार राज्य प्रशासनिक सेवा का सपना पाले इन लाखों छात्रों को दुबारे परीक्षा में शामिल होने के लिए इन्तेजार करना पड़ेगा।यद्यपि आयोग में यह जरूर घोषणा की है कि प्रारंभिक परीक्षा आगामी 3 महीनों के भीतर ही करवाएगा तथापि यह भी कहा गया है कि पुनर्परीक्षा अभी हुए गड़बड़ की सम्पूर्ण जाँच के बाद ही करवाई जाएगी।
तारीख पर तारीख़…. फिर हुई थी 67th BPSC Pre
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) अभी सम्पन्न हुई परीक्षा को पहले 26 दिसंबर 2021 को अयोजित करने वाला था। फिर पंचायत चुनावों के मद्देनजर परीक्षा की तिथि बढ़ाकर 23 जनवरी 2022 कर दी गयी।
इसके बाद जवाहर नवोदय विद्यालय की परीक्षा के कारण केंद्र की अनुपलब्धता के कारण पहले 30 अप्रैल किया गया। इसके बाद एक और बार परीक्षा तिथि बढ़ा दी गयी और 7 मई किया गया। लकिन इस दिन कोई अन्य बड़ी परीक्षा होने के कारण इसे एक दिन आगे और बढ़ाया गया।
कुल 4 बार तारीख़ पर तारीख़… देने के बाद अब जब पिछले रविवार यानि 8 मई को इम्तेहान करवाया गया जिस को अब निरस्त कर दिया गया, जिसमे हुई गड़बड़ियों की जाँच जारी है।
उम्मीद है सरकार लाखों छात्रों के भविष्य को देखते हुए अपनी जाँच की रफ्तार तेज रखेगी और तय समयावधि के भीतर ही पुनर्परीक्षा करवाने का यत्न किया जाएगा।
आयोग (BPSC) को लेनी होगी जिम्मेदारी
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) और ऐसे तमाम संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि आगे से ऐसी घटनाएं ना हो। इसके लिए एक अधिकारी या एक आयोग नहीं बल्कि सम्पूर्ण व्यवस्था जिम्मेदार हैं जिसकी वजह से लाखों युवाओं का सपना मिट्टी में मिल जाता है।
ऐसे तमाम युवाओं को समर्पित हिंदी और पंजाबी के श्रेष्ठतम कवियों में से एक कवि “पाश” की कविता की चंद पंक्तियां शायद इन सरकारों के कान में फूँकने की जरूरत है :-
मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती
पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती
ग़द्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती।कपट के शोर में
सही होते हुए भी दब जाना – बुरा तो है
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना – बुरा तो है
मुट्ठियां भींचकर बस वक़्त निकाल लेना – बुरा तो है
सबसे ख़तरनाक नहीं होतासबसे ख़तरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प ना सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना ।।