Biden ‘s Secret Visit to Ukraine: अमेरिकी राष्ट्रपति जो-बाइडेन (Joe Biden) अचानक ही गुप्त तरीके से कल यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv) के दौरे पर पहुँचे और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़लेंसकी (Volodymyr Zelensky) के साथ तस्वीरें दुनिया भर के मीडिया में छा गई।
ग़ौरतलब है कि, बाइडेन (Joe Biden) का यह दौरा उस वक़्त हुआ है जब रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए 1 साल होने वाले हैं और अभी भी जारी है। पिछले साल 24 फरवरी को ही रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ सीधी जंग का एलान किया था।
राष्ट्रपति बाइडेन के इस दौरे की भनक अमेरिकी मीडिया को भी नहीं थी। दरअसल, बाइडेन (Joe Biden) पोलैंड के वॉरसॉ (Warsaw) के आधिकारिक दौरे पर थे और इसी बीच वे ट्रैन से कीव पहुँच गए। यहाँ पहुँचकर राष्ट्रपति बाइडेन क़रीब 5 घंटे तक रहे और ज़लेंसकि से मुलाक़ात की। इस दौरान बाइडेन ने कहा,
“One year later, Kyiv stands. And Ukraine Stands. Democracy Stands. The American stands with you, and the world stands with you”
साथ ही, बाइडेन ने यूक्रेन को पहले दिए गए 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त और भी मदद देने की घोषणा की जिसमें हॉवित्जर (Howitzers) बंदूके, गोलियां, टैंक, मिसाइल आदि शामिल है।
One year later, Kyiv stands. Ukraine stands. Democracy stands. America — and the world — stands with Ukraine.
Рік потому Київ стоїть. Україна стоїть. Демократія стоїть. Америка – і світ – стоїть з Україною. pic.twitter.com/6i02u3aFgd
— President Biden (@POTUS) February 20, 2023
बाइडेन (Joe Biden) का यह बयान निराशाजनक
बाइडेन का यह बयान निश्चित तौर पर रूस को एक संदेश देने की कोशिश कही जा सकती है कि वह यूक्रेन से सीधी जंग तो लड़ ही रहा है, परंतु वह यूक्रेन को अकेला न समझे। अमेरिका व अन्य यूरोपीय देश- विशेष रूप से NATO सदस्य देश- परोक्ष रूप से यूक्रेन के साथ हैं।
जाहिर है, रूस की बौखलाहट और बढ़ जाएगी जिसका नुकसान यूक्रेन की जनता को भुगतना पड़ेगा। ऐसे में बाइडेन का यह दौरा कहीं आग में घी डालने जैसा न साबित हो जाये। पिछले साल जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग की शुरुआत की थी तब लगा था कि शायद एक पखवाड़े या महीने में ही यूक्रेन घुटने टेक देगा। ……लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
अमेरिका सहित कई अन्य NATO सदस्यों ने यूक्रेन के साथ देना शुरू किया। दूसरी तरफ चीन ने खुलकर रूस के साथ खड़े होने की बात की। जबकि इन देशों से दुनिया यह उम्मीद लगा रही थी कि मध्यस्थता और बीच-बचाव करके इस युद्ध को जल्दी से जल्दी खत्म करवाएंगे।
दुनिया को एक नकारात्मक संदेश
आज जब इसके एक साल बाद भी युद्ध नहीं थमा है; दुनिया इस युद्ध की वजह से पहले ही खाद्य-संकट या ऊर्जा-संकट आदि जैसी अनेकों समस्याओं को झेल रही है; बावजूद इसके जो बाइडेन का यह कहना कि यूक्रेन का रुस के खिलाफ लड़ाई में साथ देंगे, हथियारों की सप्लाई देते रहेंगे- दुनिया को एक नकारात्मक संदेश देना है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि रूस अकेले इन यूरोपीय देशों के साथ जो यूक्रेन के कंधे पर बंदूक रखकर झुंड में लड़ रहे हैं, मुक़ाबला कर रहा है। ऐसे में भारत या खुद UN (United Nations) का युद्ध को रोकने की अपील को रूस कैसे स्वीकार सकता है?
हालांकि रूस और यूक्रेन को भी यह समझना होगा कि पहले ही इस युद्ध के कारण काफी तबाही हो चुकी है। दोनों तरफ से हज़ारों की तादाद में सैनिकों की मौत हो चुकी है। लाखों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं और दूसरे देशों में शरणार्थी बनकर रहने पर मजबूर हैं।
इसके अलावे स्कूल, अस्पताल, कॉरपोरेट बिल्डिंग, सरकारी दफ्तरों जैसे संसाधनों के नुकसान की भरपाई करने और फिर से उस इंफ्रास्ट्रक्चर को वापस खड़ा करना बेहद मुश्किल है। और अंततः इन दोनों मुल्कों के आम नागरिकों को ही कर के रूप में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
बात सिर्फ इन दो मुल्कों तक ही सीमित है, ऐसा नहीं है। वैश्वीकरण की वजह से दुनिया बीते कुछ दशकों में एक गाँव (Global Village) जैसा बनकर रह गया है। नतीज़तन, आज विश्व भर में आर्थिक मंदी आहट दे रही है; कहीं खाद्य-संकट तो कहीं उर्जा संकट का खतरा दिन-प्रतिदिन गहरा होता जा रहा है।
अगर बारीकी से देखा जाए तो एक तरफ़ रूस है जिसे चीन जैसी बड़ी शक्ति का समर्थन प्राप्त है। वहीं दूसरी तरफ़ यूक्रेन के साथ अमेरिका, ब्रिटेन जैसी महाशक्तियां खड़ी हैं। जाहिर है, अगर यह संकट और गहरा हुआ तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए अगर भविष्य में यह युद्ध एक विश्वयुद्ध के रूप धारण कर ले।
वैश्विक कूटनीति के लिहाज़ से बाइडेन की यह यात्रा और अघोषित यूक्रेन दौरे में दिए गए व्यक्तव्य से स्पष्ट है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध अभी तो खत्म नहीं हो रहा है। दुनिया भर के लिए निश्चित ही यह अच्छा संकेत नहीं है।