Bangladesh Elections: विगत 07 जनवरी को भारत के पूर्व में स्थित पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश (Bangladesh) में हुए आम चुनाव के परिणामों ने शेख हसीना के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ दल आवामी लीग के लिए चौथी बार सत्ता में काबिज़ रहने का रास्ता प्रशस्त किया है।
#WATCH | Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina addresses the media at her residence Ganabhaban in Dhaka, Bangladesh.
She was elected as the Prime Minister for the fifth time in the general elections conducted yesterday. pic.twitter.com/RELohNIkAa
— ANI (@ANI) January 8, 2024
हालांकि, बांग्लादेश (Bangladesh) की प्रमुख विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के द्वारा इस चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा के कारण परिणाम पहले से ही तय माना जा रहा था कि शेख हसीना की पार्टी स्पष्ट तौर पर जीत रही थी।
US says Bangladesh elections “not free or fair”; regrets that not all parties participated
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— ANI Digital (@ani_digital) January 9, 2024
Bangladesh National Party ने किया था चुनाव का बहिष्कार
खालिदा जिया (Khalida Zia) की अगुवाई वाली मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने मांग की थी कि निष्पक्ष और स्पष्ट चुनावी प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए यह चुनाव वर्तमान सरकार के बजाए एक “केयरटेकर सरकार (Care Taker Govt)” के देख-रेख में करवाया जाए।
परंतु सत्ता में काबिज शेख हसीना (Sheikh Hasina) की सरकार ने विपक्ष की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया। इसी के मद्देनजर BNP ने हालिया आम चुनाव का बहिष्कार करने का फ़ैसला किया। BNP के वर्तमान नेता तारिक रहमान (Tarique Rehman) ने इस पूरे प्रक्रिया को एक ऐसी ‘घटना’ बताया है जिसका परिणाम ‘पूर्व निर्धारित’ था।
विवादित रहा है बांग्लादेश में चुनावों का इतिहास
बांग्लादेश (Bangladesh) में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर हमेशा ही सवाल खड़े होते रहे हैं। यहां तक कि बांग्लादेश के निर्माण के बाद से शायद ही कोई ऐसा चुनाव रहा हो जिसे वहाँ की सभी पार्टियों ने निष्पक्षता के पैमाने पर ‘क्लीन चिट’ दी हो।
दूसरा यह भी एक ग़ौरतलब बात रही है कि वहाँ जो भी दल सत्ता में आई है, वह विपक्ष को कुचलने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। यहाँ तक कि कई बार सम्पूर्ण विपक्ष को ही प्रतिबंधित कर दिया गया है।
बांग्लादेश के चुनाव (Bangladesh Elections)और विपक्ष को लेकर चले विवाद की संक्षिप्त सारणी बनाये तो वह कुछ निम्नवत होगी:-
1971: बांग्लादेश मुक्ति युद्ध (Bangladesh Liberation War) के अंत और परिणामस्वरूप बांग्लादेश के एक पृथक राष्ट्र के रूप का जन्म; शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व वाली ‘आवामी लीग (Awami League)’ पार्टी ने संभाली बागडोर.
1973: पहला आमचुनाव; आवामी लीग (Awami League) की जबरदस्त जीत परंतु कुछ स्थानों पर चुनाव में धांधली का लगा आरोप।
1974: सत्तासीन शेख मुजीबुर्रहमान ने सभी विपक्षी दलों पर लगाया प्रतिबंध, बांग्लादेश को एक-दलीय प्रणाली वाला देश बनाया।
1975: शेख मुजीब और उनके परिवार के लगभग सभी सदस्यों को सैन्य विरोध के दौरान मार दिया गया; मुजीब की दो बेटियाँ शेख हसीना और शेख रेहाना को, जो उस वक़्त विदेश में थीं, जान बचाने के लिए भारत मे आकर शरण लेने पड़ा; मिलिट्री जनरल जियाउर रहमान ने शासन व्यवस्था अपने हाँथ में ले ली।
1979: जियाउर रहमान की राजनीतिक पार्टी BNP चुनाव जीती, प्रमुख विपक्ष आवामी लीग ने चुनाव प्रक्रिया और परिणाम में भारी धांधली का आरोप लगाया।
1981: जियाउर रहमान को मार दिया गया, उनके बाद अब्दुस सत्तार ने सत्ता संभाली और चुनाव में जीत दर्ज किया।
1982: तात्कालीन थल सेना प्रमुख HM इरशाद ने सैन्य विद्रोह किया और सत्ता कब्ज़ा ली।
1986: इरशाद की जातीया दल चुनाव जीत जाती है लेकिन ज्यादातर लोग इस चुनाव को सही नहीं मानते। जियाउर रहमान के बाद BNP की बागडोर संभालने वाली उनकी पत्नी खालिदा ज़िया ने इस चुनाव का तब भी बहिष्कार किया था हालांकि आवामी लीग ने चुनावों में हिस्सा लिया था। दोनों ही पार्टियों और तमाम राजनीतिक पंडित इस चुनाव को धांधलियों से पूर्ण मानते हैं।
1988: दो साल के भीतर ही एक और चुनाव की घोषणा हुई लेकिन BNP और AL दोनों ने मुखर विरोध किया; देश भर में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए.
1990: विशाल विरोध के बीच इरशाद ने इस्तीफा दिया, एक ‘केयरटेकर सरकार (Care Taker Govt)’ का गठन किया गया
1991: इस साल हुए आमचुनाव में खालिदा जिया (Khalida Zia) की पार्टी (BNP) बहुत कम अंतर से जीत दर्ज की। खालिदा बांग्लादेश के प्रधानमंत्री बनी और आवामी लीग ने विपक्ष में बैठना पसंद किया। इस आमचुनाव को बांग्लादेश के इतिहास में आज तक का सबसे निष्पक्ष चुनाव माना जाता है।
1996: BNP ने केयरटेकर सरकार को गठित करने से इनकार कर दिया जिसके बाद लगभग सम्पूर्ण विपक्ष ने इस साल हुए चुनाव का बहिष्कार किया। BNP विवादास्पद तरीके से जीत गई लेकिन यह सरकार महज 12 दिन तक ही चल पाई। इसी साल एक केयर-टेकर सरकार का गठन कर के दोबारा चुनाव करवाया गया। आवामी लीग ने इस बार जीत दर्ज की और शेख हसीना पहली बार बांग्लादेश की PM बनीं।
2001: एक बार फिर केयरटेकर सरकार के नेतृत्व में हुए इस चुनाव में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP)जीत गयी। BNP ने इस्लामिस्ट जमात के नेताओं को कैबिनेट में जगह दी; चुनाव के दौरान हुए हिंसा मे बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया गया।
2006: केयरटेकर सरकार के गठन को लेकर पेंच फंस जाने के कारण राष्ट्रपति इआजुद्दीन अहमद ने सेना के समर्थन हासिल कर खुद को सर्वोच्च नेता घोषित कर दिया।
2007: सेना समर्थित केयरटेकर सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप में दोनों ही प्रमुख नेताओं शेख हसीना और खालिदा जिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
2008; केयरटेकर सरकार का गठन संभव होने के बाद हुए चुनाव में आवामी लीग के नेतृत्व वाली गठबंधन की सरकार ने भारी जीत दर्ज किया।
2011: शेख हसीना ने केयरटेकर सरकार के गठन के प्रावधान को 2006-07 के अनुभवों के मद्देनजर निरस्त कर दिया। इसे विपक्ष के ऊपर एक तरह का राजनैतिक प्रहार माना किया।
2014: खालिदा जिया को गृह-कैद में बंद कर दिया गया। BNP और अन्य विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया। आवामी लीग ने इन चुनावों में भारी जीत दर्ज की।
2018: आवामी लीग ने एक बार फिर जबरदस्त जीत दर्ज की। हालांकि इस दौरान तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में हिंसा, फर्जी मतदान की बात की। BNP ने इस चुनाव का बहिष्कार किया था।