Agnipath Recruitment Scheme: भारत सरकार ने 14 जून को सेना के तीनों अंग- थल, जल व वायु सेना- में भर्ती को लेकर एक नई योजना “अग्निपथ (Agnipath)” का ऐलान किया जिसके तहत 45000 से 50000 युवाओं को देश के सभी हिस्सों से 4 साल के लिए भर्ती किया जाएगा, जिन्हें “अग्निवीर (Agniveer)” कहा जायेगा।
तीनों सेनाओं के प्रमुखों की उपस्थिति में सरकार की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने बताया कि इन अग्निवीरों में से 25% युवाओं को 4 साल की अवधि के बाद सेना के तीनों अंगों में सभी उपयुक्त पदों पर 15 साल के परमानेंट कमीशन पर रखा जाएगा तथा शेष 75% युवाओं को 4 साल की अवधि के बाद निश्चित धनराशि व प्रमाणपत्र के साथ समाज मे वापस भेज दिया जाएगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुताबिक इस योजना को सुरक्षा विषयों से संबंधित कैबिनेट कमिटी (Cabinet Committee on Security) ने पास कर दिया है तथा इस योजना पर तत्काल प्रभाव से अमल किया जाएगा।
भारतीय सेनाओ को विश्व की बेहतरीन सेना बनाने की दिशा में आज Cabinet Committee on Security ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है I आज हम ‘अग्निपथ’ नामक एक transformative योजना ला रहे हैं जो हमारी Armed Forces में transformative changes लाकर उन्हें fully modern और well equipped बनाएगी: RM
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) June 14, 2022
Agnipath: आयु, नियोजन व सैलरी
अग्निवीरों की भर्ती के लिए उम्र का दायरा साढ़े 17 से लेकर 21 साल तय किया गया है। दूसरे शब्दों में इस उम्र के युवा ही अग्निवीर के रूप में चयनित हो सकेंगे। चयन के बाद इन्हें 6 महीने की ट्रेनिंग में भेजा जाएगा जहाँ इन्हें सेना की तमाम बारीकियां व तकनीक सिखाये जाएंगे।
इसके बाद इन्हें साढ़े तीन साल की सेवा देनी होगी जिसमें से 25% का चयन परमानेंट कमीशन में किया जाएगा। यह चयन 4 साल के सर्विस के दौरान उनके कार्य-प्रदर्शन व कौशल के आधार पर होगा।
इस दौरान उनकी कुल सैलरी 30,000₹/माह से शुरू होकर चौथे साल तक 40,000₹/ माह तक हो जाएगा। हालांकि अग्निवीरों को पूरी सैलरी उनके हाँथ में (in hand salary) नही दी जाएगी बल्कि उनके सैलरी का 30% सरकार द्वारा बनाये सेवा निधि फण्ड में जायेगा और इतना ही पैसा सरकार अलग से इस फण्ड में डालेगी।
4 साल की सेवा के बाद इन अग्निवीरों को इस सेवा निधि फण्ड में जमा कुल पैसे पर ब्याज सहित वापिस दे दिया जाएगा जो लगभग 11.71 लाख रुपया होगा। यह पैसा टैक्स फ्री होगा। साथ ही उन्हें 4 सालों के लिये 48 लाख का लाइफ इंश्योरेंस कवर भी दिया जाएगा।
शहादत या सेवा के दौरान मृत्यु होने पर 1 करोड़ से कुछ ज्यादा धनराशि सहित बचे हुए सेवा-अवधि की सैलरी और सेवा निधि में संचित धन राशि भी देने का प्रावधान है। एक बात और जरूरी है कि 4 साल के बाद अगले 15 साल के लिए परमानेंट कमीशन में चयनित होने वाले युवा के सर्विस में यह 4 साल नहीं जोड़ा जाएगा।
“All India, All Class” रिक्रूटमेंट
अग्निपथ योजना की सबसे बड़ी खासियत, जो मुझे निजी तौर पर प्रभावित कर रही है, वह यह कि इसके तहत युवाओं का चयन “All India, All Class” होगा। इसका मतलब यह है कि सेना, खासकर थल सेना, में जो रेजिमेंट सिस्टम है, उस पर प्रभाव पड़ेगा। अमूमन ये रेजिमेंट्स जाति आधारित या क्षेत्र आधारित हैं।
उदाहरण के किये, राजपूत रेजिमेंट्स या सिक्ख ररेजिमेंट्स या गोरखा रेजिमेंट्स या बिहार रेजिमेंट आदि।इसे लेकर तमाम तरह की राजनीति भी होती रही है। अभी हाल में यादव रेजिमेंट की मांग जोरों से की जा रही है।
अग्निवीरों के चयन में “All India, All Class” प्रणाली के कारण भारत के किसी भी हिस्से से किसी भी जाति या धर्म के युवा को सेना के वर्तमान में विद्यमान किसी भी रेजिमेंट में सेवा देने का अवसर मिलेगा। यानि इन रेजिमेंट्स के भीतर अंदरूनी तौर पर जाति या क्षेत्र का बंधन टूटेगा।
Agnipath Scheme: क्या हैं इसके नफा-नुकसान?
अग्निपथ योजना प्रथम दृष्टया तो इजरायल जैसे देश के “Tour Of Duty” के तरह ही मालूम पड़ती है जिसके तहत वहाँ के युवाओं को अनिवार्य रूप से कुछ वर्ष सेना में गुजारना होता है। इसका मकसद भविष्य में जरूरत पड़ने पर नागरिकों का सिविल मिलीशिया (Trained Civil Militia) के तौर पर सेना में इस्तेमाल हो सके।
अभी रूस युक्रेन युद्ध मे पूरे विश्व ने देखा कि कैसे युक्रेन के राष्ट्रपति अपने आम नागरिकों से, जो सक्षम है, हथियार उठाने और रूस के सैनिकों का मुकाबला करने का निवेदन कर रहे थे। हालांकि ऐसी समस्या ज्यादातर छोटे देशों में ही आती है।
भारत जैसे देश जिसके पास दुनिया की सबसे ताक़तवर व विशाल सेनाओं में से एक है, की चुनौतियां अलग हैं। यहाँ Tour Of Duty से ज्यादा रक्षा बजट पर पेंशन योजना का भारी बोझ, सेना की औसत आयु व भारी संख्या में युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की चुनौतियां हैं। अग्निपथ योजना इन सभी चुनौतियों के लिए एक सही विकल्प साबित हो सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस योजना से सेना की औसत आयु जो अभी 32 साल है, अगले कुछ सालों में घटकर 25-26 साल के आस पास आ जायेगी जिसका सीधा अर्थ है युवा शक्ति से लबरेज होगी भारतीय सेना। साथ ही देश की मिलिट्री के पास “भविष्य के लिए तैयार (Future Ready)” युवाओं की फौज भी होगी।
इस योजना के लागू होने के बाद दूसरा फायदा होगा- रक्षा बजट में से जाने वाले पेंशन स्कीम के खर्च पर। हालांकि शुरुआत में यह बहुत बड़ा फर्क नही होगा लेकिन आने वाले कुछ सालों में इसका फायदा बजट में जरूर होगा।
अभी वर्तमान में भारत सरकार अपने रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा पेंशन पर खर्च करती है। इस साल के ही आँकड़े देखें तो लगभग 5 लाख करोड़ के कुल रक्षा बजट का 23% हिस्सा यानि 1 लाख करोड़ से भी ज्यादा सिर्फ पेंशन योजनाओं पर खर्च होने हैं। यह धनराशि डिफेंस कैपिटल एक्सपेंडिचर (Defense Capital Expenditure) से भी ज्यादा है।
तीसरा फायदा युवा अभ्यर्थियों को होगा। जैसा कि सब जानते हैं कि पिछले कुछ समय से सेना में भर्तियाँ नहीं हुई हैं। इसे लेकर युवा अक्सर ही धरना प्रदर्शन करते रहे हैं।
इंटरनेट पर वायरल हुई वह वीडियो सबके जेहन में ताजा है जिसमें राजस्थान के सीकर से नंगे पैर दौड़कर एक युवा दिल्ली के जंतर मंतर पर चल रहे आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचा था। यह एक सांकेतिक प्रदर्शन था कि आज भारत के युवा खासकर ग्रामीण अंचलों में, सेना में भर्ती के आस में दौड़-दौड़ कर ओवर-एज हो रहे हैं।
सेना में भर्ती न होने को लेकर यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के चुनावी सभाओं में भी युवाओं ने प्रदर्शन किया था। साथ ही, बीजेपी सरकार के ही सांसद वरुण गांधी ने भी अपनी ही पार्टी के सरकार को कई दफ़ा सवाल किए हैं।
इसी के मद्देनजर यह योजना इन युवाओं को न सिर्फ सेना में भर्ती का मार्ग प्रसस्त करता है बल्कि जो लोग 4 साल की सेवा के बाद समाज मे वापिस लौटेंगे उनके पास लगभग 11-12 लाख रुपये का बैलेंस भी होगा जिस से वे अपने आगे के जीवन को सही दिशा दे सकते हैं। सेना में 4 साल के सेवा के दौरान उनका अनुशासन व स्किल डेवलपमेंट भी होगा जिस से आगे आने वाली जिंदगी में बेहतर अवसर मिल सकेंगे।
कुल मिलाकर इस योजना से देश के करोड़ो युवाओं के साथ साथ सरकारी रक्षा-तंत्र को भी नहीं फायदा होगा। सरकार ना सिर्फ पेंशन या सैलरी के मोर्चे पर आर्थिक हितों को साधना चाहती है, बल्कि आज सुरक्षा के लिहाज से भी चुनौतियां अलग हैं।
यह द्वितीय विश्वयुद्ध के दौर की सेना नही होगी कि बस संख्याबल से युद्ध जीते जाएंगे। बल्कि साइबर सुरक्षा व अन्य चुनौतियों के लिए भी तकनीकी तौर पर तैयार रहना होगा। इसके लिए अग्निवीरों की फ़ौज बड़ी काम की चीज हो सकती है।
अग्निपथ (Agnipath) योजना की चुनौतियां
इस योजना के तमाम अच्छे पहलुओं के बीच कुछ गंभीर चुनौतियां भी हैं जिसे रक्षा विभाग व सरकार को चिन्हित कर जरूरी निदान करना होगा।
सबसे बड़ी चुनौती तो यह कि अग्निपथ योजना के तहत 4 साल की सेवा के बाद समाज मे वापिस लौट आने वाले युवाओं के भविष्य को लेकर है। क्या देश की अर्थव्यवस्था इतने बड़े संख्या में हर साल युवाओं को रोजगार देने में सक्षम होगा?
इंजीनियरिंग की डिग्रीधारियों के साथ क्या दिक्कतें रोजगार के मोर्चे पर आ रही हैं, यह सर्वविदित है। बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाले ये युवा रोजगार के लिए दर दर भटक रहे हैं। कुछ यही हाल अन्य ग्रेजुएट युवाओं के साथ भी है।
ऐसे में एक और ऐसा संस्थान हर साल एक नए स्किलसेट के साथ देश की अर्थव्यवस्था में हज़ारों युवाओं को भेजेगा तो देखने वाली बात होगी कि हमारा सिस्टम इन्हें कैसे अपनाता है। क्या इसके लिए सरकार के पास कोई रोडमैप है?
इसी संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय व हरियाणा सरकार की घोषणा काफी मायने रखती है। हरियाणा सरकार ने कुछ विशिष्ट सेवाओ में 4 साल की सेवा के बाद वापिस लौट आये युवाओं को तरजीह देने की बात की है।
#AgnipathScheme | Ministry of Home Affairs (MHA) has decided to give priority to Agniveers, who successfully complete their 4 years of service, in getting recruitment to Central Armed Police Forces (CAPF) and Assam Rifles: HMO pic.twitter.com/iqTFv8W3Su
— ANI (@ANI) June 15, 2022
On behalf of Haryana Govt, I assure everyone that the 75% of agniveers (who would be relieved after 4 years of service from armed forces) will be given priority in govt jobs, if they want one. Similar schemes of giving them priority will also be made in other jobs too: Haryana CM pic.twitter.com/Wt9EHgYU9O
— ANI (@ANI) June 15, 2022
दूसरा सवाल रक्षा विशेषज्ञ और पूर्व सेना अधिकारियों द्वारा उठाया जा रहा है। भारतीय सेना कॉरपोरेट दुनिया से भिन्न एक अलग तरह की जिम्मेदारियों से भरी नौकरी है। एक सैनिक की नौकरी तनख्वाह आदि से ज्यादा महत्वपूर्ण इस संदर्भ में है कि जरूरत पड़ने पर वह देश के लिए प्राणों की बलि तक दे सकता है।
सवाल यही है कि क्या एक तरह से 4 साल के कॉन्ट्रैक्ट पर बहाल हुए ये अग्निवीरों के भीतर वही जोश, वही उन्माद, वही जुनून भरा जा सकता है? क्या यह सेना की सेवा को लचीला नहीं बना देगा? और अगर ऐसा हुआ तो यह देश की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं होगा?
ऐसे तमाम सवाल हैं जिसका जवाब भविष्य के गर्भ में है। यह सच है कि कोई भी बड़ा परिवर्तन जब लाया जाता है तो उसके पक्ष और विपक्ष में सवाल जवाब होते ही हैं। फिर कोई भी सुधार फुलप्रूफ ना हुआ है ना होगा।
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक भारत सरकार इस साल सितंबर के आस पास 46000 अग्निवीरों को रिक्रूट करने जा रही है। उम्मीद की जा सकती है इस Agnipath Scheme से जुड़े कई सवालों के जवाब तब तक हासिल कर लिए जाएंगे।
Agnipath की घोषणा के बाद भारी विरोध
Agnipath स्कीम की घोषणा के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हैं। युवाओं का कहना है कि तमाम कठिन प्रयासों के बाद सेना में चयन होता है और फिर उन्हें 4 साल बाद ही सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा। 25% लोगों को किस आधार पर परमानेंट किया जाएगा तथा 75% लोगो के लिए क्या रोडमैप है?
केंद्र सरकार द्वारा अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद विपक्षी दलों ने भी इसका जमकर विरोध किया है।
When India faces threats on two fronts, the uncalled for Agnipath scheme reduces the operational effectiveness of our armed forces.
The BJP govt must stop compromising the dignity, traditions, valour & discipline of our forces.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 15, 2022
अगर देश के सबसे बड़े नियोक्ताओं “भारतीय रेलवे व सेना” में भी नौकरियाँ ठेके एवं सिविल सेवा में लेटरल एंट्री के नाम पर दी जाने लगेंगी तो युवा क्या करेंगे?
क्या युवा पढ़ाई और 4 वर्षों की संविदा नौकरी भविष्य में BJP के पूँजीपति मित्रों के व्यावसायिक ठिकानों की रखवाली के लिए करेंगे?
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 15, 2022
Agnipath Scheme के आगे सबसे बड़ा सवाल
सरकार या रक्षा मंत्रालय ने यह स्पष्ट नहीं किया कि 25% जिन्हें परमानेंट कमीशन में भेजा जाएगा, उसकी क्या योग्यता आदि हैं या यह किस आधार पर तय किया जाएगा कि किसे परमानेंट कमीशन में जगह मिलेगी, किसे नही। यह एक स्वाभाविक प्रश्न है जिसका जवाब सेना को या रक्षा मंत्रालय को देना चाहिए। क्या यहाँ पारदर्शिता की कमी नहीं है? क्या इस से नेपोटिज्म या फ़ेवरेटिज्म आदि को बढ़ावा नहीं मिलेगा?
दूसरा जो 75% नए युवा विभिन्न कौशलों से निपुण होकर समाज मे वापिस आएंगे, उनके लिए क्या विशेष प्लान है? अगर इसमें कोताही हुई तो यह विस्फोटक हो सकता है। 4 साल की सैनिक सेवा के बाद बेरोजगारी की कुंठा बहुत भयंकर होगी, सरकार इसे नजरअंदाज न करे। वरना इस से देश के भीतर स्किल्ड बेरोजगारी निहायत ही बढ़ जाएगी जिसे संभालना एक मुश्किल टास्क होगा।
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