Adani Group की मुश्किलें जो पिछले सप्ताह हिन्डेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) नामक एक अमेरिकी शार्ट सेलर (Short Seller) कंपनी द्वारा जारी एक रिपोर्ट के बाद शुरू हुई थीं, थमने का नाम नहीं ले रही है।
हिन्डेनबर्ग रिसर्च द्वारा जिस वक्त रिपोर्ट जारी किया गया था, तब गौतम अडानी (Gautam Adani) दुनिया के तीसरे सबसे धनाढ्य व्यक्ति (World’s 3rd Richest Person) थे। लेकिन अभी शुक्रवार को इस वक़्त (शाम 8 बजे) वे विश्व में धनाढ्यों की सूची में 21वें स्थान पर खिसक गए हैं। यहाँ तक कि एशिया और भारत मे भी सबसे धनाढ्य होने का तमगा इस वक़्त फिर से मुकेश अंबानी के पास जा पहुंचा है।
आपको बता दें, अमेरिकी शार्ट-सेलर (Short Seller) कंपनी हिन्डेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने 25 जनवरी को “Adani Group : How The World’s 3rd Richest Man Is Pulling The Largest Con In Corporate History (Adani Group: कैसे दुनिया का तीसरा सबसे अमीर व्यक्ति कॉरपोरेट जगत का सबसे बड़ा घपला कर रहा है)” नाम से एक रिपोर्ट जारी कर Adani Group के ऊपर स्टॉक मार्केट में गड़बड़ी करने, फ़र्ज़ी तरीके से अपने शेयर के बदले बैंकों से लोन लेने आदि जैसे कुछ गंभीर आरोप लगाए थे।
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Adani Group – How The World’s 3rd Richest Man Is Pulling The Largest Con In Corporate Historyhttps://t.co/JkZFt60V7f
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— Hindenburg Research (@HindenburgRes) January 25, 2023
उसके बाद से ही अडानी ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर में धड़ाधड़ गिरावट होने लगी और अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही है। हालाँकि शेयर बाजार में शेयरों की कीमत इस महीने (जनवरी-2023) पहले भी चढ़ते उतरते रहीं थीं।
हिन्डेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट 25 जनवरी को जब तक दुनिया मे फैलती, उस समय अडानी इंटरप्राइजेज कंपनी की कीमत करीब करीब 3400₹/शेयर थी लेकिन आज 03 फरवरी को मार्केट बंद होने तक यह कीमत गिरकर आधे से भी नीचे 1531₹/शेयर तक आ गई है।
Gautam Adani: अर्श से फर्श तक आने की कहानी
जिस कोविड काल मे एक तरफ़ देश के 80 करोड़ साधारण जनता को खाने के अनाज के लिए सरकार पर आश्रित होना पड़ा था, वहीं दूसरी तरफ़ उसी तरफ़ देश के कुछ बड़े उद्योगपति घरानों ने आपदा को अवसर में तब्दील किया था। गौतम अडानी और उनके स्वामित्व वाली अडानी समूह की कंपनियों ने भी इस दौरान खूब तरक्की की।
The Times of India में (30 August 2022 को) छपी एक ख़बर के अनुसार कोविड के ठीक पहले (01 जनवरी 2020) को गौतम अडानी (Gautam Adani) की कुल संपत्ति 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर ($10 Bn) की थी। उस समय मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की संपत्ति लगभग $59 बिलियन थी, जो अडानी की संपत्ति से तकरीबन 6 गुना ज्यादा थी।
आँकड़ें बताते हैं कि इसके लगभग 2 साल बाद 02 फरवरी 2022 को गौतम अडानी की संपत्ति बढ़कर $88 बिलियन थी, जो सितंबर 2022 आते-आते बढ़कर लगभग $150 बिलियन हो गई। इस वक्त मुकेश अंबानी का कुल नेटवर्थ लगभग $90-92 बिलियन थी।
अडानी ने सिर्फ 2022 में सितंबर महीने तक कुल $60.9 बिलियन अर्जित किये और वह भारत या एशिया के सबसे धनाढ्य व्यक्ति के साथ साथ दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। सितंबर के बाद धीरे धीरे गिरावट आयी। फिर भी वह अपने स्थान पर काबिज़ रहे।
लेकिन नए साल का पहला महीना अडानी के लिए HAPPY NEW YEAR जैसा कुछ नहीं रहा। जनवरी में शेयर की कीमतों मे शुरुआत से ही हल्की गिरावट दर्ज हो रही थीं। फिर इस महीने आखिरी हफ्ते के ठीक पहले हिन्डेनबर्ग ने वह रिपोर्ट जारी कर दिया जो गौतम अडानी और उनके स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए “ब्लडडेथ (Blood Death)” साबित हुआ।
अकेले जनवरी में गौतम अडानी को लगभग 60 बिलियन डॉलर की चपत लगी है। आज 03 फरवरी की शाम तक ब्लूमबर्ग के मुताबिक अडानी (Gautam Adani) दुनिया के टॉप 20 धनाढ्यों की सूची से भी बाहर हैं। उनका कुल नेटवर्थ $61.3 बिलियन रह गया है और वह इस सूची में 21वें पायदान पर आ गए हैं। अंबानी (Mukesh Ambani) इस वक़्त एक बार फिर भारत और एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बन गए हैं।
पिछले दिनों Adani Group के जिस FPO को भारतीय स्टॉक मार्केट का सबसे बड़ा FPO होना था, उसे अडानी समूह ने वापस ले लिया। FPO के शेयर लोगों के द्वारा खरीदे तो गये लेकिन शेयर के लगातार गिरते कीमतों के कारण अडानी समूह को निवेशकों के पैसे वापस करने पड़े।
कुल मिलाकर, यह कहा जा सकता है कि अडानी की संपत्ति जिस रफ़्तार से ऊपर उठी थी, कहीं उस से भी तेज रफ़्तार से नीचे गिर रहा है। कई कंपनियों के शेयर तो स्टॉक मार्केट में लोअर-सर्किट (15%) को छू रही हैं। अडानी समूह के कंपनियों की कीमत पिछले 1 हफ्ते में अर्श से फर्श तक का सफ़र तय कर चुकीं हैं।
केंद्रीय बजट से थी उम्मीद लेकिन अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने दिया झटके
01 फरवरी को जब संसद में Budget आया तो वित्त मंत्री ने CapEx (Capital Expenditure) और Green Economy से जुड़ी बातों पर ज्यादा जोर दिया। इस से थोड़ी देर के लिए शेयर मार्केट में ठीक ठाक उछाल देखने को मिला।
उम्मीद जगी कि शायद अब अडानी के शेयरों का गिरना थम जाए क्योंकि समूह (Adani Group) की बड़ी कंपनियां जैसे अडानी इंटरप्राइजेज, Adani Ports & SEZ, अडानी पावर लिमिटेड, अडानी ग्रीन एनर्जी, अम्बूज़ा सीमेंट, ACC सीमेंट आदि निर्माण, विनिर्माण और उर्जा क्षेत्र की अग्रणी कंपनियां हैं।
लेकिन Adani Group के लिए यह बजट वर्तमान में कोई शुभ समाचार नहीं ला सका। बजट पर चर्चा TV, प्रिंट और सोशल मीडिया में शुरू ही हुआ था कि उसी वक़्त अंतरराष्ट्रीय ऐजेंसी क्रेडिट सुईस ने अपनी एक रिपोर्ट जारी कर एक घोषणा की।
बुधवार को अंतरराष्ट्रीय एजेंसी क्रेडिट सुईस ने अडानी समूह के Adani Ports& SEZ, Adani Green Energy और Adani Electricity के Bonds को “Zero Lending Value” करार कर दिया।
आसान भाषा मे मतलब यह कि अब क्रेडिट सुईस कंपनी अडानी समूह (Adani Group) के उपरोक्त कंपनियों के बांड्स या सिक्युरिटी के बदले लोन नहीं देगी। नतीजतन बजट के बाद जो चर्चा थी कि CapEx में इज़ाफ़ा और Green इकॉनमी के कुछ प्रावधानों से शायद अडानी समूह जैसे कंपनियों को फायदा हो, वह फिर शेयर बाजार में मची उठापटक पर जा पहुंची।
उसके ठीक एक दिन बाद ऐसी ही एक और प्रख्यात क्रेडिट एजेंसी Citygroup ने भी यह घोषणा कर दी कि वह मार्जिन लोन (Margin loan) के लिए अडानी समूह द्वारा जारी Securities (Bonds, Share etc) को स्वीकार नहीं करेगी।
Citigroup stops margin loans against India Adani’s securities – source https://t.co/hnHp6wpnDa pic.twitter.com/UYxBhefPQl
— Reuters Asia (@ReutersAsia) February 2, 2023
बात यहीं नहीं थमी; गुरुवार को ही ऐसी ही एक और बड़ी एजेंसी S&P Dow Jones Indices ने अडानी इंटरप्राइजेज, जो समूह (Adani Group) की सबसे प्रमुख कंपनी है, को अपने Corporate Sustainability Index से हटाने का फैसला किया है। अमेरीकी शेयर बाजार में इस इंडेक्स का महत्वपूर्ण किरदार होता है जिस से निवेशक यह भरोसा पाता है कि किस कंपनी में पैसा लगाना सही है और किसमें नहीं।
साधारण शब्दों में कहें तो इन तीनों एजेंसियों के इन कार्यवाही से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिक्योरिटी के तौर पर अडानी समूह के शेयर या बांड्स के बदले निवेश काफ़ी मुश्किल है। साथ ही आने वाले भविष्य में और भी ऐसी कई एजेंसियों द्वारा इस प्रकार के कदम उठाए जा सकते हैं।
हिन्डेनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अप्रत्याशित रूप से गिरावट के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अडानी समूह (Adani Group) की कंपनियों के बॉन्ड्स (Bonds) पर भरोसा कम हो गया है।
संसद में उठा Adani Group के हालात पर हंगामा
Adani Group की तमाम कंपनियों में सरकारी बीमा कंपनी LIC इंडिया और SBI सबसे बड़े निवेशक हैं। इसका सीधा मतलब है इसमें आम जनता का पैसा लगा है। इसीलिए RBI ने सभी बैंकों से उनके द्वारा अडानी समूह में निवेश के आंकड़े मांगे हैं।
इसी क्रम में विपक्ष द्वारा संसद में अडानी समूह पर लगे आरोपों के जाँच के लिए JPC के गठन की मांग की गई। सरकार द्वारा इनकार किये जाने के बाद संसद में हंगामा होता रहा और अंततः संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही प्रभावित हुई।
फ़िलहाल, अडानी समूह में गिरावट जारी है और इस से भारतीय स्टॉक मार्केट पर बेहद गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। सरकार, SEBI तथा अन्य नियंत्रक और नियामक संस्थाओं को समय रहते कुछ करना होगा। वरना बजट के बाद विदेशी निवेश की अच्छी खासी उम्मीद को गहरा धक्का लग सकता है।
चीन कोविड के बाद अपने बाज़ार फिर से खोलने लगा है और इस से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार के उठापठक को देखते हुए चीन के बाजार को विकल्प के तौर पर प्राथमिकता दे सकते हैं।
Good explanation and details analysis about Adani 👌👌. I appreciate your efforts 🙏🙏
Every thing is temporary,, nothing is permanent so time will change for Adani also 😊😊😊😊 excellent Saurav sir 🙏🙏,, I appreciate your efforts 🙏🙏🙏🙏
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