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    हिमाचल प्रदेश चुनाव

    हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव कई सियासी दिग्गजों के लिए साख की लड़ाई बन चुका है। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम भी इस सूची में जुड़ गया है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से उभरे मतभेदों के कारण सुर्खियों में आए सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष हैं। 9 नवंबर को प्रस्तावित हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में सुक्खू हिमाचल भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले हमीरपुर जिले की नादौन विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में है। सुक्खू वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों में नादौन सीट से जीत हासिल कर चुके हैं पर 2012 विधानसभा चुनावों में भाजपा के विजय अग्निहोत्री ने उन्हें तकरीबन 7,000 मतों के अंतर से हराया था। इस बार चुनावों में सुक्खू की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है और एक और हार उनके सियासी सफर को थाम सकती है।

    हिमाचल भाजपा का गढ़ है हमीरपुर

    कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू जिस नादौन सीट से चुनाव मैदान में है वह हमीरपुर जिले के अन्तर्गत आती है। हमीरपुर भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद के चेहरे बनाए गए प्रेम कुमार धूमल का गृह जनपद है। धूमल के पुत्र अनुराग ठाकुर पिछले एक दशक से अधिक समय से हमीरपुर से सांसद हैं। हमीरपुर को हिमाचल भाजपा का गढ़ बनाने में प्रेम कुमार धूमल ने कड़ी मेहनत की है। धूमल की उम्मीदवारी का ऐलान होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ गया है और हमीरपुर जिले के अन्तर्गत आने वाली पाँचों विधानसभा सीटों पर पलड़ा भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में झुकता नजर आ रहा है। प्रेम कुमार धूमल स्वयं हमीरपुर जिले की सुजानपुर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में हिमाचल भाजपा के गढ़ में सेंधमारी कर पाना सुक्खू के लिए एक बड़ी चुनौती है।

    हर मुमकिन दांव आजमा रहे सुक्खू

    वीरभद्र सिंह की खिलाफत कर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आफत मोल ली है। 6 बार हिमाचल प्रदेश की सत्ता संभाल चुके वीरभद्र सिंह कांग्रेस के वरिष्ठतम सदस्यों में से एक हैं और पण्डित जवाहर लाल नेहरू के समय से ही कांग्रेस से जुड़े हैं। सुक्खू और वीरभद्र सिंह के बीच के मनमुटाव किसी से छुपे नहीं हैं। ऐसे में वीरभद्र सिंह के समर्थकों ने सुक्खू के चुनावी प्रचार अभियान से कन्नी काट ली है। अब सुक्खू अपने समर्थकों के साथ गाँव-गाँव जाकर लोगों से मिल रहे हैं और उन्हें कांग्रेस सरकार द्वारा अपने कार्यकाल में किए गए कामों से रूबरू करा रहे हैं। सुक्खू की पत्नी भी महिलाओं के साथ उनके पक्ष में प्रचार करती नजर आ रही हैं और उनके पक्ष में मतदान करने का अनुरोध कर रही हैं। सुक्खू के लिए यह चुनाव जीतना बहुत जरुरी है नहीं तो उनकी सियासी नैया मंझधार में अटक सकती है।

    भाजपा उम्मीदवार की कड़ी चुनौती

    हमीरपुर जिले की नादौन विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू का सीधा मुकाबला भाजपा उम्मीदवार और वर्तमान विधायक विजय अग्निहोत्री से है। 2012 के विधानसभा चुनावों में विजय अग्निहोत्री ने सुखविंदर सिंह सुक्खू को तकरीबन 7,000 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस बार चुनावों से पूर्व हिमाचल कांग्रेस में बगावती सुर उठे थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल कांग्रेस के एक धड़े की कमान संभाल रहे थे और उन पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी का हाथ था। ऐसे में मौजूदा चुनाव सुक्खू के लिए साख की लड़ाई बन चुका है। वह चुनाव जीतने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं और विजय अग्निहोत्री से हिसाब बराबर करने की फिराक में हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से किसी तरह की मदद नहीं मिलने वाली है और वह अपने बूते चुनाव जीतने की पूरी कोशिश में हैं।

    वीरभद्र सिंह से हैं मतभेद

    सुखविंदर सिंह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के करीबी माने जाते हैं। उनको हिमाचल कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के बाद से ही कांग्रेस की राज्य इकाई में विरोध के स्वर उठने लगे थे। हिमाचल कांग्रेस की राज्य इकाई विधानसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले 2 धड़ों में बँट गई थी। एक धड़े का नेतृत्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह कर रहे थे वहीं दूसरे धड़े की कमान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू के हाथों में थी। प्रदेश सरकार और कांग्रेस संगठन की आतंरिक लड़ाई खुलकर सामने आ गई थी। हिमाचल कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह से मतभेद थे और वह कांग्रेस आलाकमान पर खुलकर हमला बोल रहे थे। पार्टी आलाकमान से अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा था कि कांग्रेस पार्टी अपनी पूर्ववर्ती नीतियों से “अलग दिशा में” आगे बढ़ रही है।

    वीरभद्र सिंह ने चेताया था कि मनमाफिक तरीके से चयन करने का यह तरीका पार्टी का खात्मा कर देगा। 6 बार हिमाचल प्रदेश की सत्ता संभल चुके वीरभद्र सिंह ने कहा था, “पार्टी नेतृत्व को सोचने और कामकाज करने के तरीकों में बदलाव लाने की जरुरत है। कांग्रेस कारोबारियों की पार्टी नहीं है। कांग्रेस का आधार देश की आजादी के लिए अपना जीवन कुर्बान करने वाले लोगों से जुड़ा है।” वीरभद्र सिंह कांग्रेस के सबसे वरिष्ठतम सदस्यों में से एक हैं और वह पण्डित जवाहर लाल नेहरू के समय से ही कांग्रेस से जुड़े हैं। बता दें कि वीरभद्र सिंह के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह से मतभेद चल रहे थे और इस बाबत उन्होंने कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गाँधी को चिट्ठी भी लिखी थी। उनके पीछे 27 विधायकों ने उनके समर्थन में कांग्रेस सुप्रीमो को चिट्ठी लिखी थी और वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही थी।

    नादौन का सियासी गणित

    हिमाचल भाजपा के गढ़ हमीरपुर के अन्तर्गत आने वाली नादौन विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है। सुखविंदर सिंह सुक्खू 2007 में इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं पर 2012 में भाजपा के विजय अग्निहोत्री के हाथों उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा था। नादौन विधानसभा क्षेत्र में कुल 86,814 मतदाता हैं। मतदाताओं में 42,180 पुरुष मतदाता हैं वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 42,868 है। नादौन के मतदाता वर्ग में से 1,766 सर्विस मतदाता सेना में पदस्थ है या देश से बाहर अन्य सरकारी सेवाओं में कार्यरत हैं। नादौन में हमेशा से ही मतदान प्रतिशत काफी अधिक रहता आया है। ऐसे में मतदाताओं को रिझाने के अलावा यहाँ से जीत दर्ज करने का और कोई रास्ता नहीं है।

    कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू की पत्नी कमलेश कुमारी कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं संग घर-घर जाकर अपने पति के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास कर रही हैं। सुक्खू भी पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी छोड़कर नादौन में जुटे हुए है और मतदाताओं को साधने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। सुक्खू घिरथ समुदाय और महिला मतदाताओं के आसरे पर नादौन में सियासी बाजी जीतने की जद्दोजहद में हैं और इसके लिए घर-घर जाकर जनसम्पर्क कर रहे हैं। अब यह देखना है कि क्या उनकी मेहनत रंग लाती है और वह अपना सियासी भविष्य बचाए रखने में सफल हो पाते हैं।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।