बिहार में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर गतिरोध बरकार है। आरजेडी ने स्पष्ट किया है कि तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर वो किसी की सलाह पर अमल नहीं करेगी। तेजस्वी पर लगे आरोपों पर कोई भी निर्णय पार्टी स्वयं लेगी। वहीं जेडीयू अपने पुराने रूख पर कायम है। उसने फिर कहा है कि उसे तेजस्वी के इस्तीफे से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। लालू यादव ने अपने ताजा बयान में कहा है कि अगर तेजस्वी के इस्तीफे कि नौबत भी आयी तो पार्टी सरकार से समर्थन वापस नहीं लेगी। इस बयान ने महागठबंधन के टूटने की कयासों पर विराम लगा दिया है।
समर्थन की वजह
अभी तक अड़ियल रुख अख्तियार किये लालू यादव का ये बयान राजनीतिक पंडितों के गले नहीं उतर रहा है। पहले तो यह कयास लगाए जा रहे थे कि लालू समर्थन वापस लेकर कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। पर भाजपा द्वारा अपना स्टैंड स्पष्ट करने के बाद शायद उन्हें भी इस बात का अंदाजा हो गया है कि नीतीश कुमार के हाथ से सत्ता छीनना मुमकिन नहीं। समर्थन करने कि एक और मुख्य वजह यह है कि इस समय यादव परिवार का हर सदस्य जाँच के दायरे में है। ऐसे में सत्ता से दूर होना उन्हें भारी पड़ सकता है।
यह है रणनीति
आरजेडी की रणनीति यह है कि यदि नीतीश कुमार तेजस्वी यादव से पद छीनते हैं तो पार्टी के सभी मंत्री विरोध स्वरुप अपना इस्तीफा दे देंगे। पार्टी सरकार को बाहर से समर्थन देना जारी रखेगी। साथ ही पार्टी किसी नए विकल्प की भी तलाश कर रही है क्यूंकि उसे पता है कि नीतीश कुमार अपना फैसला ज्यादा दिन तक नहीं टाल सकते। नीतीश द्वारा दी गयी चार दिनों की मोहलत का शनिवार को आखिरी दिन है।