फ्लिप्कार्ट सीईओ ने मंगलवार को मॉर्गन स्टैनले द्वारा पेश की गयी रिपोर्ट का खंडन किया जिसमे कहा गया था की भारत में नए ई-कॉमर्स नियम जोकि 1 फरवरी से लागू हुए हैं, ये नियम वालमार्ट की बिक्री को प्रभावित कर सकते हैं और इसके चलते वालमार्ट भारत छोड़ने का निर्णय ले सकता है।
मॉर्गन स्टैनले की रिपोर्ट :
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक नए ई-कॉमर्स नियमों और वालमार्ट की इस रिपोर्ट में मॉर्गन स्टैनले ने बताया की इन नियमों के आने के बाद वालमार्ट की भारत से निकलने की बिलकुल संभावना नहीं है ऐसा बिलकुल नहीं कहा जा सकता है। 2017 में कुछ इसी तरह अमेज़न ने भी चीन से विदाई ली थी जब उसे लगा था की उनका मॉडल अब यहाँ काम नहीं करेगा।
इन नए नियमों के तहत मॉर्गन स्टैनले के अनुसार फ्लिप्कार्ट अपनी वेबसाइट पर से लगभग 25 प्रतिशत उत्पाद हटा लिए हैं। इससे फ्लिप्कार्ट की आय में भारी गिरावट होगी। अगर इससे व्यापार पर ज्यादा नकारात्मक असर पड़ता है तो वालमार्ट जल्द ही भारत छोड़ने के निर्णय ले सकता है।
फ्लिप्कार्ट सीईओ ने दिया यह बयान :
इस रिपोर्ट के पेश किये जाने के बाद फ्लिप्कार्ट के सीईओ कल्याण कृष्णामूर्ति ने इसका खंडन करते हुए बयान दिया की वालमार्ट का भविष्य में ऐसा कोई निर्णय लेने की संभावना नहीं है। वॉलमार्ट भारतीय बाजार की संभावनाओं और फ्लिपकार्ट की ई-कॉमर्स स्पेस का नेतृत्व करने की क्षमता के बारे में बेहद आश्वस्त है। यह बयान कृष्णामूर्ति ने कर्मचारियों के सामने दिया था।
मॉर्गन स्टैनले ने अमेज़न का दिया था हवाला :
मॉर्गन स्टैनले ने अपनी रिपोर्ट में अपने औचित्य को सिद्ध करने के लिए अमेज़न का हवाला दिया था। उन्होंने बताया की अमेज़न ने चीन में से भी ऐसी ही कुछ अवस्थाओं के चलते विदाई ली थी क्योंकि वहां उनके उत्पादों क मूल्य बढ़ गया था और व्यापार करना थोडा मुश्किल हो गया था।
इसका हवाला देते हुए मॉर्गन एन कहा था की ऐसा नहीं कहा जा सकता की वालमार्ट की भारत छोड़ने की बिलकुल संभावना नहीं है।
नए नियमों के बारे में जानकारी :
भारत सरकार द्वारा छोटे खुदरा व्यापारियों की चिंता पर विचार करते हुए इन नियमों का गठन किया गया है। इनके अनुसार अब कोई भी ई-कॉमर्स विक्रेता भारी डिस्काउंट देकर अपने उत्पाद नहीं बेच सकेगा और इसके साथ साथ अपनी वेबसाइट पर एक्स्क्लजुसिवे डालस भी रखना गैर कानूनी होगा।
इसके अतिरिक्त ई-कॉमर्स वेबसाइट ऐसी कंपनियों के उत्पाद नहीं बेच सकती जिनमे इसकी 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। सरकार का मानना है की ऐसा करने से छोटे खुदरा विक्रेताओं को हो रहे घाटे और कम हो रहे ग्राहकों की संख्या में सुधार देखने को मिलेगा।
विशेषज्ञों का मानना है की ई-कॉमर्स कंपनियों को नए नियमों के हिसाब से ढलने में लगभग तीन महीनो का समय लगेगा। इसी के चलते फ्लिप्कार्ट ने सरकार से नियमों के लागू करने की तारीख आगे करने को कहा अता लेकिन ऐसा करना सरकार ने उचित नहीं समझा।