जेडीयू पार्टी कितना भी एक संघटित पार्टी होने का दावा कर ले, लेकिन समय समय पर पार्टी से उठने वाले बगावाती सुर ये साफ कर देते है कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद शरद यादव तो पहले से ही बगावाती तेवर में रहते है। अब ताजा मामले में जेडीयू के वरिष्ठ नेता और दो बार बिहार विधानसभा के स्पीकर रहे उदय नारायण चौधरी, और पार्टी के महासचिव और पूर्व मंत्री श्याम रजक भी बागी रूप में नजर आ रहे है।
लड़ाई अब लुकाछुपी की नहीं बल्कि आमने सामने की है। इन दोनों नेताओ ने नीतीश और उनकी सरकार को दलित विरोधी बताया है। इनका ये बयान इसलिए भी बिहार की जनता के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों नेता, उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक महादलित तथा पिछड़ी जाति से आते है। श्याम रजक ने तो नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए यहां तक कह दिया कि सरकार के पास दलितों के उत्थान को लेकर ना तो नीति है और ना ही नियत।
दलितों का मुद्दा उठाते हुए इन दोनों नेताओं ने कहा है कि बिहार सरकार दलितों के विकास को लेकर संजीदा नहीं है और लगातार उनकी अनदेखी कर रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार आजादी के 70 साल होने के बाद भी दलितों के विकास के लिए कुछ नहीं कर पायी है। तथा अंबेडकर और महात्मा गांधी का दलितों को मुख्यधारा में लाने का जो सपना था वह पूरा नहीं कर पायी है।
बात सिर्फ आरोप या प्रत्यारोप की नहीं है। दोनों नेताओ के बयानों को देखते हुए बिहार प्रदेश के जेडीयू अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि हम दोनों नेताओ पर नजर बनाये हुए है। उन्होंने इल्जाम लगाया कि नीतीश मंत्रिमंडल में मनचाहा पद न मिलने के कारण ये दोनों नेता आधारहीन आरोप लगा रहे है।
अपने चेतावनी भरे लहजे में उन्होंने ये भी साफ कह दिया कि पार्टी या सरकार से अलग जाने पर दोनों पर कारवाई होगी। आगे क्या होगा ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन इतना तो तय है कि इसी तरह अगर नेता सरकार के खिलाफ होते रहे तो आने वाले दिनों में नीतीश को सत्ता में बने रहना मुश्किल हो जायगा।