भारत के साथ ठप पड़ी बातचीत को पाकिस्तान साल 2019 में आयोजित आम चुनावों के बाद ही बहाल करेगा। एक वरिष्ठ मंत्री ने बताया कि चुनाव परिणाम का ऐलान हो जाने के बाद ही भारत और पाकिस्तान की बातचीत संभव है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि यह वक्त भारतीय नेताओं से बातचीत के लिए उपयुक्त नहीं हैं। भाररत में अभी आम चुनावों की तैयारियां चल रही है।
आम चुनाव के बाद बातचीत
सूचना मंत्री ने कहा कि “भारत से अभी बातचीत बेकार है, जब तक वहां सब स्थिर नहीं हो जाता। भारत में नई सरकार के गठन के बाद हम बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे। हमने भारत के साथ बातचीत शुरू करने में देरी कर दी क्योंकि हमें मौजूदा भारतीय सरकार से कोई ख़ास उम्मीद नहीं थी।”
भारत की सत्ता शासित सरकार के फर्क नहीं
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान भारतीय नेता का सम्मान करेगा और भारतीय आवाम द्वारा चुनी पार्टी का इज्जत करेगा। पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता के लिए कौन सा नेता उपयुक्त होगा, राहुल गांधी या नरेन्द्र मोदी, इस बाबत मंत्री ने कहा कि इससे पाकिस्तान को कोई फर्क नहीं पड़ता है। भारत में चाहे जो भी सरकार सत्ता में आयें हम बातचीत को आगे बढ़ाएंगे। ”
साल 2016 में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने भारत के सैन्य कैम्पों पर आतंकी हमला किया था और भारत ने इसका जवाब देते हुए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावग्रस्त हो गए थे। साल 2017 से भारत और पाकिस्तान के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई है। भारत ने आतंक और वार्ता साथ होने को नामुमकिन बताया था।
करतारपुर गलियारा एक ऐतिहासिक विकास
भारत और पाकिस्तान के मध्य करतारपुर गलियारे की शुरुआत पर फवाद चौधरी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक विकास है, यह न सिर्फ दोनों राष्ट्रों के सम्बन्ध को सुधरेगा बल्कि भारत-पाक के रिश्ते के लिए भी फायदेमंद साबित होगा। पाकिस्तान में विदेश नीति पर अंतिम निर्णय कौन लेगा सेना या सरकार,इस बाबत मंत्री ने कहा कि निसंदेह प्रधानमन्त्री इमरान खान लेंगे।
उन्होंने कहा कि “शुरूआती कार्यकाल में सरकार और सेना के मध्य कई मसलों पर मतभेद थे, वे एक-दूसरे से खुलकर अपने विचार साझा नहीं करते थे। लेकिन इमरान खान के सत्ता में आने के आने के बाद ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है।”