हिंदी सिनेमा के ‘मोगैम्बो’ को हर कोई जानता है। उनका निधन 2005 में हो गया था मगर आज भी किसी बच्चे से अगर उनके बारे में पूछ लो तो वे उनके किरदारों से उनकी पहचान बता देगा। इसका कारण हैं उनकी सदाबहार फिल्में। उनकी खतरनाक आँखें आज भी अगर बड़े पर्दे पर दिख जाए तो आपके अंदर एक अलग किस्म का डर पैदा करने की काबिलियत रखती है। उन्होंने इस इंडस्ट्री को अपने दमदार प्रदर्शन से बहुत बड़ा योगदान दिया है। तो चलिए आज उनकी पुण्यतिथि पर आपको ले चलते हैं उनके जीवन के कुछ दिलचस्प किस्सों के सफर पर-
अमरीश पुरी का जन्म 22 जून, 1932 को लाहौर में हुआ था। उनके भाई मदन पूरी और चमन पूरी पहले से ही फिल्मों का हिस्सा थे। अपने भाइयो को देख उन्होंने भी फिल्मों में आने का मन बनाया और साल 1970 में देव आनंद की फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने तकरीबन 400 बॉलीवुड फिल्मों में काम किया।
अमरीश को अभिनय से बहुत प्रेम था और वे केवल फिल्मों में ही नहीं, थियेटर में भी सक्रीय थे। फिल्मों में आने से पहले उन्होंने पृथ्वी थियेटर के कई सारे प्ले में काम किया था।
अगर आप सोच रहे हैं कि अमरीश पुरी के लिए फिल्मों में आना आसान था तो आप गलत हैं। उन्होंने फिल्मों के लिए जब अपना स्क्रीन टेस्ट दिया था तो वे उसमें फेल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने एम्पलाई स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन में कुछ समय के लिए काम किया था।
सिर्फ हिंदी फिल्मों में ही नहीं, अमरीश मराठी, हॉलीवुड, कन्नड़, पंजाबी, तमिल, और तेलुगु फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। 80 और 90 के दौर में ऐसी बेहद कम फिल्में ही रहीं होंगी जिनमें अमरीश पुरी ने विलेन का किरदार ना निभाया हो।
उन्होंने हॉलीवुड के लिए भी काम किया है। मशहूर निर्देशक स्टेफेन स्पेलबर्ग की 1984 में आई फिल्म ‘इंडियाना जोन्स एंड दि टेंपल ऑफ डोम’ में उन्होंने मोला राम का किरदार निभाया था। पहली बार इस फिल्म के लिए उन्होंने अपने बाल मुंडवाए थे। फिल्म से उनका लुक उस समय काफी लोकप्रिय हुआ था।
अपने 35 साल के करियर में, उन्होंने ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘मिस्टर इंडिया’, ‘ग़दर एक प्रेम कथा’, ‘चाची 420’, ‘नायक’ और ‘करण अर्जुन’ जैसी शानदार फिल्मों में काम किया है। साल 2006 में उनकी आखिरी फिल्म ‘कच्ची सड़क’ रिलीज हुई थी। 12 जनवरी, 2005 को 72 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।
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