आजकल देशभर में गुजरात में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों की चर्चा हो रही है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जी-जान से गुजरात का सियासी रण जीतने की कोशिशों में लगे हैं। पिछले 19 सालों से गुजरात में भाजपा की दरकार है और इसी वजह से गुजरात को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। पिछले 3 विधानसभा चुनावों से भाजपा नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव लड़ती आई है और इस वजह से उसे चुनावों में अभूतपूर्व सफलता भी मिली थी। अब यह पहली बार होगा कि गुजरात भाजपा बतौर प्रोजेक्टेड मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के बिना गुजरात में चुनाव लड़ेगी। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से गुजरात में भाजपा की लोकप्रियता में गिरावट आई है और भाजपा आलाकमान इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा था कि नरेंद्र मोदी का कर्ज उतारने के लिए गुजरात में भाजपा को 150 से अधिक सीटें जीतनी होंगी। भाजपा संगठन इस काम में मजबूती से जुट गया है। बीते 1 अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सरदार पटेल की पैतृक भूमि करमसद से भाजपा की गुजरात गौरव यात्रा की शुरुआत की। गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा विकास के अतिरिक्त हिंदुत्व को भी प्रमुख मुद्दा बनाएगी और इसके लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुजरात गौरव यात्रा में शामिल होने गुजरात आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त योगी मन्त्रिमण्डल के 6 मंत्री भी गुजरात चुनाव प्रचारों में हिस्सा लेंगे। उत्तर प्रदेश के योद्धाओं के सहारे भाजपा गुजरात की चुनावी जंग जीतने की तैयारी में है।
हिंदुत्व का चेहरा बनेंगे योगी आदित्यनाथ
भाजपा गुजरात विधानसभा चुनावों में विकास को मुख्य मुद्दा बनाएगी। गुजरात एक हिन्दू बाहुल्य आबादी वाला राज्य है और यहाँ की 89 फीसदी आबादी हिन्दू है। ऐसे में भाजपा अपने कोर वोटबैंक माने जाने वाले हिन्दुओं को साधने के लिए हिंदुत्व कार्ड भी खेल सकती है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुजरात गौरव यात्रा में शामिल होने की बात कर भाजपा इसकी शुरुआत कर चुकी है। योगी आदित्यनाथ की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता की रही है और योगी राज में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर इसका स्पष्ट असर दिखता है। योगी आदित्यनाथ हाल ही में भाजपा और संघ कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में केरल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा शुरू की गई जनसुरक्षा यात्रा में शामिल हुए थे। उन्हें वहाँ पर भारी जनसमर्थन मिला था।
कुर्मी वोटरों को साधेंगे स्वतंत्र देव
गुजरात में भाजपा का परंपरागत वोटबैंक रहा पाटीदार समाज भाजपा से नाराज चल रहा है। ऐसे में भाजपा ओबीसी और दलित वर्ग पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। गुजरात में कुर्मी वोटरों का बड़ा तबका मौजूद है और उसे साधने के लिए भाजपा योगी सरकार के मंत्री स्वतंत्र देव को गुजरात बुला सकती है। स्वतंत्र देव को संगठन में काम करने का लम्बा अनुभव है और योगी सरकार में शामिल होने से पूर्व उनके कन्धों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों और सभाओं की जिम्मेदारी थी। गुजरात भाजपा विधानसभा चुनावों में स्वतंत्र देव की संगठन क्षमता का लाभ उठाएगी। इसके अतिरिक्त भाजपा उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी अपना दल की प्रमुख अनुप्रिया पटेल को भी गुजरात में प्रचार कार्यक्रम में उतार सकता है। अनुप्रिया पटेल मोदी मन्त्रिमण्डल में मंत्री हैं। गुजरात में कुर्मी वोटरों को लुभाने के लिए वह भाजपा का हथियार बन सकती हैं।
क्षेत्रवाद का रहेगा असर
गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश के मंत्रियों को प्रचार अभियान में शामिल किए जाने की बड़ी वजह है सूबे में उत्तर प्रदेश वासियों की आबादी। गुजरात के दो प्रमुख औद्योगिक नगरों अहमदाबाद और सूरत में बड़ी संख्या में मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं। मजदूर वर्ग में बिहार निवासियों की भी बड़ी आबादी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल की वाराणसी सीट से सांसद हैं। वह मध्य-पूर्व उत्तर प्रदेश के साथ बिहार के सीमावर्ती जिलों में भी प्रभाव रखते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद दोनों राज्यों के सम्बन्ध भी सुधरे हैं और हाल ही में बिहार में आई बाढ़ के वक्त गुजरात ने मुख्यमंत्री राहत कोष में आर्थिक मदद दी थी। ऐसे में भाजपा क्षेत्रवाद के आधार पर वोटरों को साधने के लिए उत्तर प्रदेश के नेताओं को चुनाव प्रचार में उतार रही है।
गुजरात गौरव यात्रा से वोटरों को लुभाने निकले हैं अमित शाह
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की गुजरात गौरव यात्रा की सियासी गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है। हर कोई यह जानना चाहता है कि आखिर भाजपा का चाणक्य अब कौन सा सियासी चक्रव्यूह रचने जा रहा है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात से दिल्ली जाने के बाद गुजरात भाजपा को अभी तक कोई सशक्त चेहरा नहीं मिल सका है जिसे आगे रखकर भाजपा चुनावी दंगल में उतर सके। ऐसे में माना जा रहा है कि भाजपा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेहरा बनाकर चुनाव लड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुजरात में चुनाव प्रचार कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को गुजरात के सियासत की गहरी समझ है और पिछले 4 विधानससभा चुनावों से उनकी और नरेंद्र मोदी की जोड़ी भाजपा की जीत की कहानी लिखती आई है। उम्मीद है वह इसे एक बार फिर दोहराने में कामयाब होंगे।
ग्रामीण वोटरों को साध रही है भाजपा
अमित शाह द्वारा शुरू की गई गुजरात गौरव यात्रा से भाजपा ग्रामीण वोटरों को लुभाने में जुटी है। इन 15 दिनों के दौरान यह यात्रा 182 सीटों वाली गुजरात विधानसभा के 149 ग्रामीण सीटों से गुजरेगी। देश को एकता के सूत्र में बाँधने वाले सरदार पटेल के पैतृक गृह से यात्रा की शुरुआत कर अमित शाह ने विरोधियों को यह सन्देश दे दिया है कि गुजरात को एक सूत्र में बाँधकर वह भाजपा के पक्ष में लाएंगे। इस यात्रा के माध्यम से भाजपा कांग्रेस सरकार द्वारा शासन के 60 सालों में गुजरात के साथ किए गए सौतेले व्यवहार को गुजरात की जनता के सामने लाएगी। इनमें सरदार पटेल की उपेक्षा और उन्हें भारत रत्न ना देना, मोरारजी देसाई की इंदिरा गाँधी द्वारा उपेक्षा जैसे मुद्दे शामिल हैं। ग्रामीण क्षेत्रों को लक्ष्य बनाकर शुरू की गई यह यात्रा निश्चित रूप से भाजपा को लाभ पहुँचाएगी।
अहम भूमिका निभाएगा पाटीदारों का रुख
मौजूदा हालातों में भाजपा के लिए गुजरात में सबसे बड़ी दिक्कत पाटीदार समाज की नाराजगी है। पाटीदार समाज गुजरात की 20 फीसदी मतदाता आबादी का नेतृत्व करता है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात गौरव यात्रा के दौरान जिन दो चेहरों को आगे कर रहे हैं वह दोनों ही पाटीदार समाज से हैं। गुजरात सरकार के दो पूर्व मंत्रियों को इस यात्रा का प्रभारी बनाया गया है। इनके नाम कौशिक भाई पटेल और गोरधन झडफिया है। उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल के हाथ में यात्रा की कमान है। गुजरात के पाटीदार समाज की दो बिरादरी हैं, लेउवा और कड़वा। पाटीदार आन्दोलन के मुखिया हार्दिक पटेल कड़वा बिरादरी से हैं। कड़वा बिरादरी की कुल जनसंख्या पाटीदार समाज की कुल जनसंख्या का 40 फीसदी है।
2012 के विधानसभा चुनावों में कड़वा बिरादरी के 82 फीसदी वोट भाजपा को मिले थे। लेउवा बिरादरी के 63 फीसदी वोटरों ने भाजपा को चुना था। 80 के दशक से ही पाटीदार समाज के 80 फीसदी वोटर भाजपा के पक्ष में मतदान करते आए हैं। इसी वजह से पाटीदार समाज को भाजपा का पारम्परिक वोटबैंक कहा जाता रहा है। पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा को 50 फीसदी मत मिले थे वहीं कांग्रेस को तकरीबन 40 फीसदी मत मिले थे। पाटीदार समाज के वोटरों के मत प्रतिशत 20 है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी अपनी सौराष्ट्र यात्रा के दौरान हार्दिक पटेल से मिले थे और हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही थी। इस लिहाजन अगर 80 फीसदी पाटीदार कांग्रेस के साथ हो जाए और मुस्लिम दलित एक होकर कांग्रेस का साथ दे दें तो भाजपा के लिए गुजरात बचाना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री नहीं प्रोजेक्ट कर रही है भाजपा
गुजरात में भाजपा एक कुशल नेतृत्वकर्ता की कमी से जूझ रही है। बतौर मुख्यमंत्री विजय रुपाणी अपने कार्यकाल में बहुत प्रभावी नहीं रहे हैं। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात भाजपा नेतृत्व की कमी से जूझ रही है और वर्तमान मुख्यमंत्री विजय रुपाणी के कंधे इतने मजबूत नहीं हैं कि वह गुजरात में भाजपा की जिम्मेदारी उठा सकें। ऐसे में भाजपा के सामने यह मुश्किल आ रही है कि वह किसे मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करे। फिलहाल भाजपा ने स्पष्ट किया है कि नरेंद्र मोदी ही गुजरात विधानसभा चुनावों में भाजपा का चेहरा होंगे। चुनाव परिणाम आने के बाद विधायकों से राय-मशविरे के बाद मुख्यमंत्री चुना जाएगा। भाजपा गुजरात में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों वाली रणनीति अपना रही है और उम्मीद कर रही है कि वह अपनी सफलता दोहरा सके।
गुजरात के परिणाम तय करेंगे लोकसभा चुनावों की दिशा
गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों को 2019 के लोकसभा चुनावों की रिहर्सल माना जा रहा है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह के दिल्ली जाने के बाद गुजरात भाजपा के पास कोई सशक्त चेहरा नहीं बचा है। शंकर सिंह वाघेला की बगावत के बाद कमजोर पड़ी कांग्रेस को राज्यसभा चुनावों में अहमद पटेल की जीत से संजीवनी मिली थी। पाटीदार आन्दोलन के अगुआ हार्दिक पटेल ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के सौराष्ट्र दौरे पर उनसे मुलाकात की थी और विधानसभा चुनावों में समर्थन देने को कहा था। गुजरात विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अस्तित्व की लड़ाई है वहीं भाजपा के लिए यह बादशाहत साबित करने की लड़ाई है। गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों की दिशा तय करेंगे और मोदी सरकार की लोकप्रियता का आईना दिखाएंगे।