चीन ने रूस से निर्यातित एडवांस एस-400 हवाई रक्षा प्रणाली का सफलतापूर्वक परिक्षण किया है। हाल ही में भारत ने भी रूस के साथ इस रक्षा प्रणाली को खरीदने के लिए समझौता किया था। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद रूस के साथ इस रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
साल 2015 में चीन और रूस के मध्य 3 अरब डॉलर के इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। जुलाई में इस हथियार के निर्यात के बाद पीपलस लिबरेशन आर्मी ने इस प्रणाली का पहली बार परिक्षण किया था। परिक्षण के दौरान एस-400 वायु रक्षा प्रणाली ने 250 किलोमीटर दूरी पर स्थित सिम्युलेटेड बैलिस्टिक टारगेट को सफलतापूर्वक नष्ट किया था।
यह रखस प्रणाली 3 किलोमीटर प्रति सेकंड की सुपरसोनिक रफ़्तार से बढ़ा था। चीन ने अभी परिक्षण की जगह का खुलासा नहीं किया है। भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद इस सौदे को मंज़ूरी दी थी। अमेरिका ने रूस पर हाल ही में कांग्रेस में पारित कानून कास्टा के तहत प्रतिबन्ध लगाये थे। भारत ने यह सौदा 5 अरब डॉलर में तय किया है। भारत ने वायु सुरक्षा तंत्र कको मज़बूत करने के लिए इस मिसाइल प्रणाली को ख़रीदा है। इस रक्षा प्रणाली को भारत और चीन के मध्य 3488 किलोमीटर की सीमा पर तैनात किया जायेगा।
रूस से इस घटक प्रणाली को खरीदने वाला पहला देश रूस था, एक 400 मिसाइल प्रणाली एक साथ तीन तरीके की मिसाइल को दागने में सक्षम है। यह मिसाइल सिस्टम एक साथ 36 मिसाइलों को भेद सकने की ताकत रखता है।
तुर्की और रूस संयुक्त रूप से एस-400 का निर्माण करते सकते हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वार्ता के दौरान कहा था कि यदि तुर्की चाहेगा, तो इस रक्षा प्रणाली का संयुक्त रूप से निर्माण कर सकते हैं। तुर्की ने एस-400 के आलावा एस-300 रक्षा प्रणाली का भी सौदा रूस के साथ किया है। तुर्की को इसकी पूर्ण डेलिवेरी साल 2020 तक दी जाएगी।
तुर्की दूसरा ऐसा नाटो देश है जिसने रूस के साथ इस रक्षा प्रणाली का समझौता किया है। इससे पूर्व ग्रीस में भी इस रक्षा प्रणाली को खरीदने के लिए रूस से हाथ मिलाया था।