भारत की अफगानिस्तान रणनीति असर दिखने लगी है, ईरान नें सोमवार को चाबहार बंदरगाह को विकास के लिए अधिकारिक तौर पर भारत के सुपुर्द कर दिया है। चाबहार बंदरगाह सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जिस पर अब भारत अपने अभियान को शुरू कर रहा है।
मध्य एशिया में भारत के क्षेत्रीय हितों के लिहाज से यह बंदरगाह बेहद जरुरी है, यह भारत को सीधे अफगानिस्तान में जलीय मार्ग के द्वारा सामग्री निर्यात करने में अहम होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चाबहार बंदरगाह में भारत की महत्वता को समझते हुए, उसे ईरानी प्रतिबंधों से मुक्त रखा था।
तेहरान टाइम्स के मुताबिक भारत को इस बंदरगाह का नियंत्रण मिल चुका है, अब भारत इस बंदरगाह के विकास के लिए अफगानिस्तान और ईरान के साथ त्रिपक्षीय समझौते के तहत बातचीत की थी। भारत के प्रतिनिधि समूह का नेतृत्व विदेश मंत्रालय के सचिव दीपक मित्तल ने किया था, जबकि ईरान की तरफ से पोर्ट्स एंड मेरीटाइम आर्गेनाइजेशन के उप प्रमुख मोहम्मद अली हस्संज़देह आये थे।
बलूचिस्तान-सिस्तान पोर्ट्स एंड मेरीटाइम आर्गेनाइजेशन के डायरेक्टर जनरल शाहिद बेह्रौज़ अक़ेइ ने कहा कि चाबहार में स्थित शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह को अधिकारिक तौर पर विकास के लिए इंडिया पोर्ट ग्लोबल लिमिटेड को दिया जा रहा है। इस बंदरगाह में माल को लोड या अनलोड अभियान, वसूली और मार्केटिंग में इस कंपनी की अहम भूमिका होगी।
चाबहार समझौता साल 2015 में हुआ था और साल 2016 में ईरानी गार्डियन काउंसिल ने स्वीकार किया था। इस डील के तहत, इमबोर्ट-एक्सपोर्ट बैंक ऑफ़ इंडिया ने ईरान को 15 करोड़ डॉलर दिए थे और जरूरती उपकरणों को मुहैया करने के लिए 85 मिलियन डॉलर दिए थे। चाबहार पोर्ट का विकास दो भागों में किया जायेगा।
ख़बरों के मुताबिक भारत और ईरान एक अन्य डील करने पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत दोनों राष्ट्र एक-दूसरे के देश से आयातित 80 से 100 उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क को कम कर देंगे।