अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में तिब्बत कानून पर हस्ताक्षर कर दिए थे, जिसके तहत अमेरिकी नागरिक, कूटनीतिज्ञ और पत्रकार बेरोकटोक तिब्बत जा सकेंगे। रायटर्स के मुताबिक चीन ने इस कानून का विरोध करते हुए धमकी दी कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए बलपूर्वक कार्रवाई करेगा।
“रेसिप्रोकल एक्सेस टू तिब्बत एक्ट” यानी अमेरिकी तिब्बत कानून, जो हाल ही में कांग्रेस की मंज़ूरी के बाद राष्ट्रपति के समक्ष हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था। आखिरकार अमेरिका की कथित तिब्बत की जनता की भलाई के लिए इस बिल कानून में परिवर्तित कर दिया गया है।
चीन ने कहा कि शताब्दी से तिब्बत चीन का भाग है। साल 1959 में तिब्बत के अध्यात्मिक गुरु दलाई लामा भारत में आ गए थे, जो चीनी अधिकृत तिब्बत में उसके खिलाफ था। तिब्बत में यात्रा करने के लिए विदेशियों को चीन से विशेष अनुमति लेनी होती है।
अमेरिका का आरोप
अमेरिकी नागरिकों, सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों और पर्यटकों को तालिबानी इलाके में प्रवेश करने की अनुमति को खारिज कर दिया जाता है।
अमेरिकी अधिकारीयों के मुताबिक चीन यहाँ पर्यटकों पर निंत्रण करता है, जहां तिब्बती लोगों की असल हालात को सामने आने नहीं दिया गया था।
चीन का विरोध
चीनी मंत्रालय ने परिणाम भुगतने को तैयार रहने को कहा है, चीनी नेशनल पीपलस कांग्रेस ने गुरूवार को अमेरिका के इस कानून को अमल में लाने का विरोध किया था। यह एक्ट अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी नियमों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इससे तिब्बत इंडिपेंडेंस फोर्सेस में एक गलत सन्देश जायेगा।
उन्होंने कहा कि तिब्बत के मामले चीन के घरेलू मसले हैं और अन्य देशों को इसमें दखलंदाज़ी की अनुमति नहीं देते हैं।उन्होंने कहा कि तिब्बत के चार अन्य प्रांत विश्व के सभी लोगों के लिए खुले हैं, साल 2015 से तिब्बत और इस इलाके में अमेरिका के कुल 40000 पर्यटक आये थे, बल्कि अमेरिकी अधिकारीयों को एनपीसी ने रिसीव किया था।
इस कानून को चीन स्वीकार नहीं करेगा
तिब्बत में प्रवेश करने वाले विदेश पर्यटकों पर कानून और नियमों के तहत चीनी प्रशासन कार्रवाई करेगा, यह जरुरी है और इसके लिए आलोचना नहीं की जा सकती है। यह एक्ट चीनी तथ्यों की उपेक्षा करता है और पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है। चीन तरफ से इस कानून को स्वीकार नहीं किया जायेगा।
बयान में कहा कि अगर अमेरिका ने कानून को अमल में लाने का प्रयास किया तो यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए नुकसानदेय होगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन तिब्बत से अधिक से अधिक विदेशी पर्यटकों का स्वागत करता है, लेकिन इस नीति में बदलाव संभव नहीं है।
उन्होंने आग्रह किया कि तिब्बत से सम्बंधित मसले चीन केलिए बेहद संवेदनशील है और अमेरिका को इसका भान होना चाहिए, चीन के आंतरिक मसलों में दखल देना बंद करें और इस एक्ट को लागू न होने दें।