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    सीपीएम सांसद निष्कासित

    मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) में जारी गुटबाजी अब चरम पर पहुँच गई है। सीताराम येचुरी और प्रकाश करात के बीच जारी इस गुटबाजी का अंजाम उनके करीबी नेताओं को भुगतना पड़ रहा है। सीपीएम ने बुधवार को राज्य सभा सांसद रीताब्रता बनर्जी को पार्टी से निष्कासित कर दिया। रीताब्रता बनर्जी पूर्व में सीपीएम की यूथ विंग एफएसआई की राष्ट्रीय महासचिव रह चुके हैं। उनके निष्कासन के साथ यह और भी स्पष्ट हो गया है कि अगले वर्ष होने सीपीएम के राष्ट्रीय कॉन्क्लेव से पहले इन दोनों गुटों में टकराव और उभर कर सामने आएगा। निष्कासित सांसद रीताब्रता बनर्जी ने इंडियन एक्सप्रेस को कहा है कि उनकी लड़ाई प्रकाश करात और वृंदा करात के खिलाफ थी। पार्टी की आपसी गुटबाजी से उनका कोई लेना-देना नहीं था।

    रीताब्रता बनर्जी के निष्कासन के बाद पश्चिम बंगाल में राज्य के पार्टी सचिवालय ने पार्टी संविधान की एक धारा का उल्लेख करते हुए कहा, “कभी-कभी ऐसे मुश्किल हालात बन जाते हैं जब पार्टी कमेटी अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर पार्टी के खिलाफ गतिविधियों के लिए पार्टी के सदस्यों को निलंबित करती है।” निष्कासन से पहले रीताब्रता बनर्जी ने एबीपी आनंदा टीवी को दिए एक साक्षात्कार में सीपीएम आलाकमान पर जमकर निशाना साधा था और प्रकाश करात और वृंदा करात के खिलाफ खुलकर बोले थे। अपने खिलाफ जाँच के लिए मोहम्मद सलीम के नेतृत्व में बनाई गई 3 सदस्यीय कमिशन को उन्होंने “कंगारू कमिशन” कहा था। उन्होंने कहा था कि पार्टी का एक गिरोह मेरे खिलाफ काम कर रहा है।

    दिल्ली में सीपीएम के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि रीताब्रता बनर्जी के निष्कासन का पार्टी में चल रही गुटबाजी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने अपने साक्षात्कार के दौरान पार्टी आलाकमान के खिलाफ इतना कुछ बोला कि पार्टी के पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचा था। रीताब्रता बनर्जी राज्य कमेटी के सदस्य थे। उन्हें सीताराम येचुरी का करीबी माना जाता था और उनके निष्कासन को सीपीएम में चल रही गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है। यह माना जा रहा है कि रीताब्रता बनर्जी के निष्कासन से प्रकाश करात और सीताराम येचुरी के बीच की रार और बढ़ेगी और इस वजह से निकट भविष्य में और भी निष्कासन देखने को मिल सकते हैं।

    सीपीएम से अपने निष्कासन के बाद रीताब्रता बनर्जी काफी भावुक नजर आए। पत्रकारों से बात करते वक्त कई बार उनकी आँखे भर आईं। निष्कासन के बाद भी उन्होंने सीपीएम आलाकमान पर हमला जारी रखा। उन्होंने कहा, “ये 21 सालों का साथ था। मैं तड़प रहा हूँ। मुझे बेहद दुख है क्योंकि ये जड़ों का सवाल है। मैंने पार्टी के सिवा कुछ भी नहीं जाना है, मेरी लड़ाई कुछ लोगों के खिलाफ है। दिल्ली में प्रकाश करात और वृंदा करात के खिलाफ तो पश्चिम बंगाल में उनके एजेंट मोहम्मद सलीम के खिलाफ। मैं एक निर्दलीय एमपी के रूप में पश्चिम बंगाल के मुद्दों को उठाता रहूँगा।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।