मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद हाल ही में वापस अपने वतन लौटे हैं, उन्हें मजबूरन देश से निर्वासित होकर श्रीलंका के आश्रय लेना पड़ा था। मालदीव की शीर्ष अदालत ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की 13 साल की जेल की सज़ा को रद्द कर दिया था। नशीद पर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने का मुकदमा चल रहा था।
राजधानी माले में स्थित शीर्ष अदालत ने कहा कि देश में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया से चुने गए पूर्व राष्ट्रपति पर लगे आरोप गलत है और अपराधिक अदालत इस सुनवाई पर कार्रवाई जारी नहीं रख सकती है। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में कई नेताओं को जेल की सज़ा भोगनी पड़ी थी।
पूर्व राष्ट्रपति नशीद पर साल 2016 में इन आरोप पर अदालत ने अपना निर्णय सुनाया था। अब्दुल्ला यामीन सितम्बर में हुए राष्ट्रपति चुनावों में मोहम्मद नशीद के साझेदार अब्दुल्ला यामीन से हार गए थे। मोहम्मद नशीद ने साल 2012 में सेना को अपराधिक अदालत के न्यायाधीश को गिरफ्तार कर नज़रबंद रखे के फैसले पर शर्मिंदा है।
मालदीव में राजनीतिक संकट अब ख़त्म हो चुका है लेकिन आर्थिक संकट के बादल अब मंडराने लगे हैं। मालदीव की नवनिर्वाचित सरकार के सत्तासीन होने के बाद वहां आर्थिक विपदा का दौर शुरू हो गया है और मालदीव इस आपदा के समय अपने भरोसेमंद मित्र भारत से मदद की गुहार लगा रहा है।
मालदीव के विदेश मन्त्री अब्दुल्ला शाहिद ने सोमवार को भारत के आला अधिकारियों से मुलाक़ात की थी। मालदीव के विदेश मन्त्री ने मीडिया से कहा कि पूर्व राष्ट्रपति की सरकार के दौरान लिए गए कर्ज का भी अांकलन जारी है। मालदीव की सरकार द्वारा बताये गए अनुमानित कर्ज चीनी सरकार के अनुमानित कर्ज से भिन्न है।
मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद अब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहीम सोलिह के सलाहकार का कार्यभार संभल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मालदीव में नियुक्त चीनी राजदूत ने सरकार को 3.2 बिलियन डॉलर का बिल थमाया है यानी एक निर्माण कार्य के लिए चीन ने 8000 डॉलर चार्ज किये हैं। हालांकि चीन ने इस सूचना से इनकार किया है और कहा कि मालदीव पर चीनी कर्ज लगभग 1.5 बिलियन डॉलर है।