Sat. Nov 23rd, 2024
    जान्हवी कपूर

    जानह्वी कपूर ने बुधवार को अपने एक साक्षात्कार के दौरान कहा कि यह साल उनकी ज़िन्दगी के सबसे अच्छे और सबसे खराब अनुभवों को एक साथ लेकर आया। जानह्वी कपूर की माँ श्रीदेवी का इस साल निधन हो गया था और साथ ही जानह्वी कपूर ने फ़िल्म ‘धड़क’ से बॉलीवुड में अपना पहला कदम भी रखा।

    जान्हवी ने बताया कि इस कठिन समय ने उन्हें अन्दर से और भी ज्यादा मज़बूत बनाया है। इस हादसे और अपने परिवार के बारे में गोवा फ़िल्म फेस्टिवल के दौरान बात करते हुए जान्हवी कपूर ने बताया कि, “कुछ भी कहा पाना मुश्किल है। जब मैं विकास के बारे में बात करती हूँ तो यह आत्मीय विकास की बात होती है मैं कलात्मक विकास के बारे में कुछ नहीं जानती। यह साल मेरे लिए जीवन का सबसे अच्छा और ख़राब दोनों ही अनुभव लेकर आया। यह सब बहुत अजीब है।

    हमारा परिवार अब एक हो गया है और यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। पर जो कुछ भी हुआ वह बहुत बड़ा हादसा था। हम अभी भी सदमें में हैं। पर मुझे मिले प्यार और काम करने के मौके के लिए मैं आभारी हूँ।

    मुझे काम करने का मौका मिलने से मेरे माता-पिता गर्वित हुए थे।” जान्हवी कपूर ने कहा कि, ‘जिस समय को लोग हिंदी सिनेमा का सुनहरा समय कहते हैं वह दरअसल अभी है ही नहीं। यह पहले हुआ करता था। कहानियाँ बनाने की स्वतंत्रता पहले हुआ करती थी अब तो हम फ़िल्मों की कमाई में उलझ कर रह गए हैं।”

    जान्हवी ने फ़िल्म ‘मिस्टर और मिसेस 55’ का उदाहरण देते हुए कहा कि, “मधुबाला ने इस फ़िल्म में बहुत खूबसूरती से काम किया है। फ़िल्म में नारीवाद का मुद्दा उठाया गया है। फ़िल्म में मधुबाला का किरदार बहुत सीधी सोच रखता था। मधुबाला की चाची का किरदार रूढ़िवादिता को दर्शाता था कि औरतों के कैसे व्यवहार करना चाहिए।

    फ़िल्म के ऊपर नारीवाद का मुद्दा थोपा नहीं गया है पर बहुत ही खूबसूरती से फ़िल्म की कहानी में ही समेट दिया गया है।

    आजकल अगर कोई भी फ़िल्म औरतों की कहानी लेकर आती है तो उसे हम तुरंत महिला उन्मुख फ़िल्म में वर्गीकृत कर देते हैं पर पहले भी कई फ़िल्में जैसे ‘मदर इंडिया’ ‘चालबाज़’ ‘सीता और गीता’ ‘सुजाता’ ‘बंधिनी’ बनी हैं जिसमें महिलाएं हीरो रही हैं पर उन्हें महिला उन्मुख फ़िल्में नहीं कहा गया था।”

    जान्हवी कपूर ने मधुबाला को अपनी पसंदीदा अदाकारा करार देते हुए कहा कि, “मुझे लगता है कि उन्हें अभिनेत्री के तौर पर जितना सम्मान और पहचान मिलना चाहिए था उतना नहीं मिल पाया। उनके अभिनय का जवाब नहीं है। फ़िल्म ‘मुग़ले आज़म’ में उन्होंने जैसा काम किया है शायद ही और कोई कर पाएगा।”

    जान्हवी कपूर ने दीलिप कुमार और गुरुदत्त को अपना पसंदीदा अभिनेता बताया। जान्हवी कपूर के पिता और फ़िल्म प्रोड्यूसर बोनी कपूर ने बताया कि उन्होंने कैमरा के पीछे रहना इसलिए चुना क्योंकि उनके और भाई भी फ़िल्म में अभिनय कर रहे थे और यदि सभी फ़िल्म जगत में नाम बनाने के लिए संघर्ष करने लगते तो घर कौन चलाता।

    श्रीदेवी के बारे में बात करते हुए बोनी कपूर कई बार भावनात्मक हो उठते थे। उन्होंने कहा कि, “जान्हवी ने श्रीदेवी के काम को देखा है। एक अभिनेत्री के तौर पर उसने ज्यादा सम्पूर्ण दूसरा कोई भी नहीं था।”

    जान्हवी ने कहा कि अगर मैं कोशिश करूँ तो भी रत्ती भर भी उनके बराबर नहीं बन सकती हूँ। इस मौके पर जान्हवी कपूर ने अपनी माँ के लिए खुद से लिखी हुई एक कविता भी सुनाई।

    यह भी पढ़ें: रिलीज़ से पहले ही अक्षय कुमार की फ़िल्म 2.0 ने तोड़े सारे रिकार्ड्स,

    By साक्षी सिंह

    Writer, Theatre Artist and Bellydancer

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *