प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजना स्किल इंडिया को गहरा झटका लगा है। इस योजना के तहत जहां प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक 40 करोड़ भारतीय युवाओं को कुशल बनाने का लक्ष्य साधा है, वहीं दूसरी ओर वर्तमान में देश के 70 प्रतिशत युवाओं को ही इस योजना की कोई जानकारी ही नहीं है।
यह जानकारी ऑब्जर्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन और विश्व इकनॉमिक फॉरम ने साथ मिलकर एक रिपोर्ट में प्रकाशित की है। यह रिसर्च ‘युवा भारत और काम’ नाम की स्टडी के लिए की गयी है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत में केंद्र सरकार द्वारा युवाओं को कुशल बनाने के लिए चलाये जा रहे “स्किल इंडिया प्रोग्राम” के संबंध में स्पष्ट जानकारी देश के 70 फीसदी युवाओं को नहीं है।
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इस रिसर्च में करीब 6 हज़ार युवाओं को शामिल किया गया था, जिनकी उम्र 15 साल से 30 साल के बीच थी। इसके लिए इन युवाओं से शिक्षा, रोजगार व उनके लक्ष्य के विषय में सवाल किए गए थे।
इस अध्ययन से यह सामने आया है कि देश में सरकार और जनता के बीच संवाद को लेकर एक दूरी है, जिसके चलते सरकार की नीतियाँ और योजनाएँ देश के युवाओं तक सही ढंग से नहीं पहुँच पा रही है।
वहीं देश के तीन चौथाई युवा ऐसे हैं, जिन्होने इस योजना के अंतर्गत अपना पंजीकरण भी नहीं करवाया है। हालाँकि इन युवाओं में से 76 युवा ऐसे हैं जो इस योजना से जुड़ना चाहते है।
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इसी के साथ इस योजना के तहत 19 प्रतिशत लड़कियों ने सरकार की इस योजना के तहत पंजीकरण करवाया है, जबकि लड़कों में यह आँकड़ा 26 प्रतिशत का है।
रिसर्च में 51 प्रतिशत युवाओं ने बताया है कि उन्हे सही राय न मिलने की वजह से वे अपने कौशल को तराशने को लेकर आगे नहीं जा पाये हैं।
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शोध में सामने आया है कि 96 प्रतिशत युवा स्नातक व 84 प्रतिशत युवा परास्नातक को नौकरी पाने के लिए पर्याप्त मानते हैं।
हालाँकि इन आंकड़ों से ये तो साफ है कि यदि आगे भी यही स्थिति रही तो वर्ष 2022 तक ‘स्किल इंडिया’ योजना के तहत सरकार द्वारा 40 करोड़ युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
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