नीतीश कुमार के महागठबंधन का दामन छोड़ भाजपा का साथ थामने के बाद से ही बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ गई थी। नीतीश कुमार के डेढ़ दशक पुराने साथी शरद यादव खुलकर नीतीश कुमार के खिलाफ आ गए थे। उनके अतिरिक्त अली अनवर, बिरेन्द्र कुमार समेत जेडीयू के कई अन्य नेता भी नीतीश कुमार के विरोध में खड़े हो गए थे। नीतीश कुमार ने एक-एक करके सभी बागियों को पार्टी से निकाल दिया और अपना प्रभाव मजबूत किया। अब बिहार में जेडीयू-भाजपा गठबंधन के नेतृत्व में एक स्थिर सरकार का गठन हो चुका है और माना जा रहा है कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार अब शरद यादव के खिलाफ कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।
विभिन्न सियासी और सार्वजनिक मंचों के बाद इन दोनों दिग्गजों के बीच की लड़ाई अब आज उपराष्ट्रपति के पास पहुँचेगी। आज शाम जेडीयू का एक प्रतिनिधिमंडल उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाक़ात करेगा। कहा जा रहा है कि यह प्रतिनिधिमंडल उपराष्ट्रपति से शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता समाप्त करने की मांग करने जा रहा है। अपनी इस मुलाकात के दौरान जेडीयू का प्रतिनिधिमंडल उपराष्ट्रपति के सामने कुछ ऐसे सबूत भी पेश करेगा जो शरद यादव के पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता की बात को पुख्ता करेंगे। बता दें कि नीतीश कुमार पहले ही यह बयान दे चुके हैं कि शरद यादव अपनी राह चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर शरद यादव को जेडीयू से किनारे करेंगे।
लालू की रैली में शामिल हुए थे शरद यादव
जेडीयू के बागी नेता शरद यादव पटना के गाँधी मैदान में आरजेडी द्वारा आयोजित रैली में शामिल हुए थे। वहाँ राबड़ी देवी ने उनका स्वागत किया था और लालू यादव उनके गले लगे थे। उत्तर प्रदेश के क्षत्रप सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इस रैली में शामिल हुए थे। मंच पर इन तीनों यदुवंशी नेताओं को देखकर जातीय महागठबंधन के आसार बनते नजर आ रहे थे। शरद यादव ने जेडीयू के एनडीए में शामिल होने पर कहा था कि मौजूदा एनडीए अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी वाली एनडीए से अलग है। इस एनडीए का कोई राष्ट्रीय एजेंडा नहीं है। लालू की रैली में शामिल होने के बाद से ही शरद यादव को पार्टी से निकाले जाने को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। शरद यादव ने स्पष्ट कह दिया था कि, “मैं अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करूंगा और अब मैं पार्टी से आजाद हो गया हूँ।”
लालू की रैली में शामिल ना होने के लिए केसी त्यागी ने लिखी थी चिट्ठी
बिहार की राजधानी पटना में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव द्वारा आयोजित “भाजपा हटाओ, देश बचाओ रैली” में शामिल होने की बात कहकर शरद यादव ने पार्टी हाई कमान को अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। उनके इस निर्णय के मद्देनजर जेडीयू ने चिट्ठी करे माध्यम से उन्हें चेताया भी था। जेडीयू के महासचिव केसी त्यागी ने इस सन्दर्भ में शरद यादव को एक लिखित चिट्ठी सौंपी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने शरद यादव को सम्बोधित करते हुए लिखा था कि आपने अपनी मर्जी से 27 अगस्त को पटना में आयोजित हो रही आरजेडी की “भाजपा हटाओ, देश बचाओ” रैली में शामिल होने का फैसला लिया है। इसलिए ऐसा माना जाएगा कि आपने स्वेच्छा से पार्टी छोड़ दी है।
केसी त्यागी ने चिट्ठी में आगे लिखा था कि जेडीयू-भाजपा गठबंधन होने के बाद से ही आप पार्टी के मापदंडों का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं। पटना में आयोजित पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी आपने हिस्सा नहीं लिया था। कार्यकारिणी की बैठक के वक़्त आप पटना में ही मौजूद थे। अगर आप 27 अगस्त को आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की “भाजपा हटाओ, देश बचाओ” रैली में हिस्सा लेते हैं तो यह मान लिया जाएगा कि आपने खुद अपनी मर्जी से पार्टी को अलविदा कह दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि शरद यादव विरोधी पार्टी द्वारा 27 अगस्त को आयोजित रैली के लिए दिए गए आमंत्रण को अस्वीकार कर दें नहीं तो रैली में उनकी उपस्थिति जेडीयू के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन होगी। उनकी ऐसी किसी भी हरकत पर पार्टी कठोर कदम उठाएगी।
पार्टी में घट चुका है शरद का रसूख
पिछले कुछ समय से शरद यादव का कद पार्टी में लगातार घटा है। एक वक़्त में वह पार्टी की धूरी हुआ करते थे और पार्टी के हर छोटे-बड़े फैसलों में उनका प्रत्यक्ष रूप से योगदान होता था। पिछले वर्ष अक्टूबर में नीतीश कुमार उन्हें हटाकर खुद जेडीयू अध्यक्ष बन बैठे। बिहार की राजनीति में भी उनकी भूमिका सीमित हो गई थी। अब वह केवल राज्यसभा सांसद हैं और उनकी राज्यसभा सदस्यता भी अब खतरे में नजर आ रही है। इन हालातों में शरद यादव को पुराने दिन याद आ रहे होंगे जब उन्होंने नीतीश के साथ मिलकर जॉर्ज फर्नांडीस को ऐसे ही पार्टी में किनारे पर लगाया था। अब नीतीश कुमार वही बर्ताव शरद यादव के साथ कर रहे हैं और शरद अपना हाल जॉर्ज फर्नांडीस जैसा नहीं होने देना चाहते। ऐसे में शरद के लिए यही बेहतर होगा कि वह या तो खुद की नई पार्टी गठित करें या विपक्षी एकता के सूत्रधार बनें।
“सांझी विरासत” से विपक्षी दलों को साधने की कोशिश में शरद
शरद यादव ने दिल्ली में अपने आवास पर 17 अगस्त को सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। इसे उन्होंने सांझी विरासत सम्मलेन नाम दिया था। इस बैठक में सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता सम्मिलित हुए थे। अपनी बैठक को मिले अपार जनसमर्थन से शरद यादव काफी प्रसन्न नजर आए थे। शरद यादव ने कुछ दिनों पूर्व ही मध्य प्रदेश के इंदौर में ऐसा ही आयोजन किया था। शरद यादव मूलतः मध्य प्रदेश से हैं और वह आगामी विधानसभा चुनावों पर असर डाल सकते हैं। इसके अतिरिक्त शरद यादव की योजना गुजरात और राजस्थान में भी ऐसे ही आयोजनों की है। इन सभी राज्यों में भाजपा की सरकार है और यहाँ शीघ्र ही विधानसभा चुनाव होने हैं। शरद यादव इन आयोजनों के जरिए विपक्ष को एकजुट कर भाजपा के प्रदर्शन पर असर डाल सकते हैं।