हाल ही में भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्रियों दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य समेत 5 मंत्रियों के विधान परिषद चुनाव लड़ने की घोषणा की। इस घोषणा के साथ ही यह बहस छिड़ गई कि अब उत्तर प्रदेश भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन बनेगा। वर्तमान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने स्पष्ट कर दिया कि उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ी भूमिका निभानी है और वह उत्तर प्रदेश में ही सक्रिय रहेंगे। तभी से नए प्रदेशाध्यक्ष को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो चला था। माना जा रहा था कि भाजपा स्वतंत्र देव को प्रदेशाध्यक्ष की भूमिका देकर दलित आधार को और मजबूत करेगी लेकिन सभी उम्मीदों से परे जाकर अमित शाह ने चंदौली के सांसद महेंद्र नाथ पाण्डेय को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया।
हमेशा की तरह अमित शाह का यह फैसला भी आश्चर्यचकित करने वाला था और इसका अंदाजा किसी को नहीं था। हालांकि उम्मीद यही की जा रही थी कि अमित शाह एक बार फिर अपने चुनाव से लोगों को हतप्रभ करेंगे और उन्होंने बिलकुल यही किया। डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाने के पीछे कई बातें हैं। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश की बदौलत ही करिश्माई प्रदर्शन किया था। भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 73 सीटें हथिया कर एक मजबूत जीत का आधार रखा था। हालिया विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा प्रदेश में भरी बहुमत से सत्ता में आई है। उत्तर प्रदेश के कानपूर से ताल्लुक रखने वाले दलित नेता रामनाथ कोविंद आज देश के राष्ट्रपति हैं। इस लिहाज से सूबे में भाजपा नेतृत्व की सभी उंगलियाँ घी में हैं।
कोर वोटरों को मजबूत सन्देश
सवर्ण वर्ग भाजपा का मुख्य जनाधार है। उत्तर प्रदेश में सवर्ण वोटरों की संख्या कुल मतों की 22 फ़ीसदी है। इन 22 फ़ीसदी सवर्णों में से 12 फ़ीसदी वोटर ब्राह्मण है और शेष 10 फ़ीसदी राजपूत है। उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का असली अजय सिंह बिष्ट है और वह राजपूत बिरादरी का प्रतिनिधित्व करते हैं। यूँ तो योगियों की कोई जाति नहीं होती पर योगी आदित्यनाथ के आदेशों और भाषणों में उनकी जाति का असर स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर में प्रदेश के बड़े ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी के घर पर पुलिस की छापेमारी हुई थी और रायबरेली में 5 ब्राह्मणों की हत्या हो गई थी। इन घटनाओं के चलते प्रदेश के ब्राह्मणों में रोष था और महेंद्र नाथ पाण्डेय को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर भाजपा ब्राह्मणों को मजबूत सन्देश देना चाहती है।
केंद्रीय मन्त्रिमण्डल से उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े ब्राह्मण नेता कलराज मिश्र की विदाई हो गई है। कलराज मिश्र 75 साल की उम्र को पार कर चुके हैं और वह मोदी द्वारा निर्धारित “रूल 75” के हिसाब से अब कैबिनेट से सेवानिवृत्त हो जायेंगे। कलराज मिश्र पूर्वांचल का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी जगह लेने के लिए भाजपा को इसी क्षेत्र के एक कद्दावर ब्राह्मण नेता की जरुरत थी। डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय इसके लिए जरुरी सभी अहर्ताओं को पूरा करते हैं और यही कारण है कि भाजपा आलाकमान ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है। डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय चंदौली से सांसद हैं और मूलतः गाज़ीपुर के रहने वाले है। वह पूर्वांचल में पार्टी का बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं और उनके कद को और बड़ा बनाने के लिए पार्टी नेतृत्व ने उनपर विश्वास जताया है।
संघ की पसंद
डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रह चुके हैं। वह संघ के आँगन में पले-बढ़े हैं और संघ की शाखा में नियमित तौर पर भाग लेते थे। इंदिरा गाँधी द्वारा घोषित आपातकाल के दौर में उन्होंने केंद्रीय सरकार के खिलाफ आंदोलन किया था और उन्हें कई महीने जेल में गुजारने पड़े थे। डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय अयोध्या के राम जन्मभूमि आंदोलन में भी भाग ले चुके हैं। इस तरह एक सच्चे हिन्दू के रोल में डॉ. पाण्डेय हर तरीके से फिट बैठते हैं और उनके भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनने का यह भी एक प्रमुख कारण है।
पूर्वांचल पर नजर
डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। यह पूर्वांचल का हिस्सा है जो सूबे की सबसे बड़ी ब्राह्मण बेल्ट है। इससे लगने वाले बिहार के कई जिलों में भी सवर्णों की संख्या अधिक है। कलराज मिश्र की मोदी मन्त्रिमण्डल से विदाई के बाद इस क्षेत्र के ब्राह्मण खुद को अपेक्षित महसूस कर रहे थे। महेंद्र नाथ पाण्डेय को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर भाजपा ने इन ब्राह्मणों को भी मन लिया है और साथ ही बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों के सवर्ण वोटरों को भी साध लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी इसी पूर्वांचल क्षेत्र में आता है और उनकी उम्मीदवारी की वजह से भाजपा ने बिहार के सीमावर्ती जिलों समेत पूरे पूर्वांचल में परचम लहराया था। सिर्फ आजमगढ़ की सीट ही अपवाद रही थी जहाँ से तत्कालीन सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जीत दर्ज करने में सफल रहे थे।
मोदी-शाह के पसंदीदा
डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय पूर्वांचल क्षेत्र से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। आलाकमान के पसंदीदा होने के कारण ही उन्हें 2014 में चंदौली से लोकसभा उम्मीदवार बनाया गया था। हालाँकि डॉ. पाण्डेय चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे पर अमित शाह के कहने पर उन्होंने चुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा भी पहुँचे। उनकी योग्यता देखकर मोदी मन्त्रिमण्डल में उन्हें मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई जिसका उन्होंने पूरी तन्मयता से निर्वाहन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी उनकी अच्छी पकड़ है और चुनाव के दौरान उन्होंने मोदी के प्रचार अभियानों का भी जिम्मा उठाया था।
राजनीति का लम्बा अनुभव
डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय को राजनीति का लम्बा अनुभव रहा है। वह छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं। 1973 में डॉ. महेंद्र नाथ पाण्डेय सीएम एंग्लो बंगाली इण्टर के अध्यक्ष चुने गए। आपातकाल के दौर में उन्होंने इंदिरा गाँधी सरकार के खिलाफ आन्दोलन किया था और जेल भी गए थे। 1978 के छात्रसंघ चुनावों में वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के महामंत्री चुने गए। 1991 के विधानसभा चुनावों में वह पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में महेंद्र पाण्डेय उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री भी रह चुके हैं और उन्हें प्रदेश की राजनीति और जनता के राजनीतिक मिजाज का अच्छा खासा तजुर्बा है।
महेंद्र नाथ पाण्डेय को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर भाजपा ने सियासी सामंजस्य बनाए रखने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजपूत बिरादरी से आते हैं और महेंद्र नाथ पाण्डेय ब्राह्मणों का नेतृत्व करते हैं। प्रदेशाध्यक्ष के लिए उनके चुनाव से भाजपा ने अपने कोर वोट बैंक पर नजर गड़ाकर सियासी सामंजस्य बैठाने की कोशिश की है। उम्मीद है कि अमित शाह का ये दाँव भी सफल रहेगा और भाजपा और मजबूत होकर उत्तर प्रदेश के सियासी पटल पर उभरेगी।