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    चीन-ताइवान विवाद

    अमेरिका के ताइवान में नियुक्त राजदूत ने कहा कि ताइवान में शांति के अलावा कोई और गतिविधि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक और अमेरिका के लिए खासी चिंता का विषय बन सकता है।

    राजदूत ने कहा कि अमेरिका ताइवान को सैन्य उपकरण निरंतर बेचता रहेगा और बीजिंग के विरोध के बावजूद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में ताइवान की भागीदारी का प्रचार करेगा।

    चीन ताइवान को अपना अधिकारिक इलाका मानता है और उसे बलपूर्वक हथियाने को तैयार है। ताइवान के राष्ट्रपति त्सी इंग वें ने ताइवान को चीन का हिस्सा मानने से इनकार कर दिया था।

    अमेरिका और चीन के मध्य सैन्य और कूटनीतिक समझौते के कारण वांशिगटन ने साल 1979 में ताइवान से आधिकारिक समझौते तोड़ लिए थे। अमेरिका राजदूत ने बताया कि ताइवान को अपना बचाव करने में सक्षम बनाना का कार्य अमेरिका को सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की नीति 40 साल बाद भी नहीं बदली है।

    अमेरिका के राजदूत ने कहा कि हाल में ताइवान को 330 मिलियन डॉलर के हथियार अमेरिका ने बेचे हैं। यह सबूत है कि अमेरिका ताइवान का पक्षधर है और विरोधियों से लोहा लेने के लिए ताइवान को मज़बूत बनाएगा। उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग का प्रचार करेंगे और आत्मरक्षा के लिए ताइवान कोई क्षमता को बेहतर बनायेंगे।

    अमेरिका ने चीन के साथ ताइवान को वार्ता  के लिए भी प्रोत्साहित किया है। साथ ही वांशिगटन ताइवान में लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रचार करेगा और उसके साथ आर्थिक संबधों को मज़बूत करेगा।

    चीन आर्थिक और कूटनीतिक चालो से तैवान को अंतर्राष्ट्रीय मंचों खासकर संयुक्त राष्ट्र से दूर रखता है। चीन दबाव बनाता है कि तायपेई के प्रतिनिधि अंतरराष्ट्रीय बैठकों में शामिल न हो सके और साथ ही सभी कंपनियों यानी फैशन ब्रांड से एयरलाइन तक को मजबूर करता है कि ताइवान को चीन का हिस्सा बताये।

    सितम्बर में कई राष्ट्रों ने चीन के साथ कूटनीतिक रिश्तों के कारण ताइवान के साथ सारे समझौते तोड़ दिए थे। अमेरिका ने इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए उन देशों से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था। ताइवान के साथ अभी 17 देशों ने कूटनीतिक समझौते किये हुए है।

    अमेरिका के राजदूत ने बताया कि अमेरिका ताइवान का एक लम्बे अंतराल से मौखिक समर्थक रहा है। साथ ही उसका अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में सार्थक भागीदारी के लिए भी आवाज उठाता रहा है।

    ताइवान पूर्व में साल 1949 तक जापान की कॉलोनी थी। चीन के माओ ज़ेडोंग कम्युनिस्ट आर्मी ने ताइवान को हथिया लिया था।

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    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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