Fri. Nov 22nd, 2024
    मोदी कैबिनेट

    नरेंद्र मोदी मन्त्रिमण्डल का पिछले 3 वर्षों के कार्यकाल में तीसरा विस्तार 2 सितम्बर को होना प्रस्तावित है। मन्त्रिमण्डल विस्तार से पूर्व कैबिनेट से 6 मंत्रियों की छुट्टी हो चुकी है और करीब 12 नए लोगों का मन्त्रिमण्डल में प्रवेश तय माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 3 वर्षों के कार्यकाल के दौरान कुछ मंत्रियों के कामकाज से खुश हैं और उन्हें बड़ी जिम्मेदारी सौंप सकते है। वहीं इस वर्ष एनडीए में कुछ नए सहयोगी जुड़े हैं और इस कैबिनेट विस्तार में उन्हें भी जगह मिलनी तय मानी जा रही है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर मोदी सरकार हर कदम सोच-समझकर उठा रही है और इस मन्त्रिमण्डल विस्तार में वह “सबका साथ, सबका विकास” के अपने कथन को चरितार्थ करने का प्रयास करेगी। प्रधानमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि मन्त्रिमण्डल पूरे देश का है और देश के हर राज्य की इसमें तय भागीदारी होगी।

    मोदी कैबिनेट
    मोदी कैबिनेट से विदाई

    जेडीयू-एआईएडीएमके होंगे शामिल

    हाल ही में बिहार में महागठबंधन से अलग होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा का हाथ थाम लिया था और जेडीयू-भाजपा गठबंधन की सरकार बनाई थी। तभी यह तय हो गया था कि जेडीयू पुनः एनडीए का हिस्सा बनेगी। 19 अगस्त को पटना में मुख्यमंत्री आवास पर हुई जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के एनडीए में शामिल होने का प्रस्ताव भी पास हो गया। जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव की बगावत के बाद पार्टी लड़खड़ा रही थी और नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ जाकर पार्टी में स्थिरता लाने का काम किया है। जेडीयू के लोकसभा में 2 और राज्यसभा में 10 सांसद है। शरद यादव, अली अनवर समेत 3 राज्यसभा सांसद नीतीश कुमार के विरोधी खेमे में हैं और इस तरह जेडीयू का सांसद बल घटकर 9 हो जाता है। उम्मीद है कि कैबिनेट विस्तार में इनमें से 2 सांसदों को मंत्री पद मिल जाए।

    नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार
    एनडीए में शामिल हुई जेडीयू

    तमिलनाडु में पिछले कुछ वक़्त से राजनीतिक उठापटक जारी है। “अम्मा” कही जाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद उनकी विश्वासपात्र “चिनम्मा” शशिकला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को अपदस्थ कर अपने शागिर्द ई पलानीस्वामी को राज्य का नया मुख्यमंत्री नियुक्त कर दिया। उनके इस निर्णय के बाद तमिलनाडु का सत्ताधारी दल एआईएडीएमके दो गुटों में बँट गया था। हालाँकि भाजपा के प्रयासों से दोनों धड़ों का विलय हो गया है लेकिन शशिकला के भतीजे दिनाकरन के गुट के 19 विधायक बगावत का रुख अपनाए हुए हैं। इस सम्बन्ध में एआईएडीएमके के प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की थी। दोनों सदनों को मिलकर एआईएडीएमके के 50 सांसद हैं और वह जल्द ही एनडीए में शामिल होने की औपचारिक घोषणा कर सकती है। माना जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार में उनमें से 3-4 सांसदों को मंत्री पद दिया जा सकता है।

    पूर्वोत्तर के राज्यों से जुड़ेंगे कई मंत्री

    हाल ही में भाजपा ने पूर्वोत्तर के राज्यों मणिपुर, असम और अरुणाचल में सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार बनाई है और इस कैबिनेट विस्तार में इन राज्यों से कुछ प्रतिनिधि भी जुड़ सकते हैं। मोदी सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों से राज्यस्तरीय नेताओं को उठाकर राज्यसभा सदस्य बनाकर मंत्री पद देने की फ़िराक में है। भाजपा पूर्वोत्तर में मिल रहे इन स्वर्णिम अवसरों को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कैबिनेट में भी सम्पूर्ण भारत के राज्यों की सहभागिता रही थी और वह इसे आगे भी बरकरार रखना चाहेंगे। सरकार ने अभी तक मन्त्रिमण्डल में क्षेत्रवादी रवैया नहीं अपनाया है और उम्मीद है वह आगे भी इसी पर अमल करेगी।

    युवाओं को मिल सकता है मौका

    भाजपा अपनी पार्टी के कुछ युवा चेहरों को भी कैबिनेट में जगह दे सकती है। अगले कुछ महीनों में कई प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा इन प्रदेशों के कुछ युवा नेताओं को कैबिनेट में शामिल कर सकती है। जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा है वह हैं हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से लगातार तीसरी बार सांसद बने अनुराग ठाकुर। अनुराग ठाकुर भाजपा के दिग्गज नेता और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके प्रेम कुमार धूमल के बेटे हैं और पूर्व में बीसीसीआई अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनके अतिरिक्त गुजरात और राजस्थान से भी भाजपा युवा चेहरों को मन्त्रिमण्डल में शामिल कर सकती है।

    अनुराग ठाकुर
    अनुराग ठाकुर

    “प्रभु” को मिल सकता है एक और मौका

    लगातार हो रहे रेल हादसों के बाद रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। नरेंद्र मोदी ने सुरेश प्रभु को अभी इंतज़ार करने को कहा था। कहा जा रहा था कि सरकार उनका इस्तीफ़ा स्वीकार ना कर उन्हें मन्त्रिमण्डल में फेरबदल के वक्त पदमुक्त कर सकती है। लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुरेश प्रभु को एक और मौका देने के मूड में है। बतौर रेल मंत्री सुरेश प्रभु का काम प्रभावी रहा है और वह मोदी कैबिनेट के सबसे लोकप्रिय मंत्रियों में रहे हैं। उन्होंने रेलवे को सुधारने के लिए अनेक प्रभावशाली योजनाएं चलाई थी जिसका फायदा रेलयात्रियों को हो रहा था। ऐसे में नरेंद्र मोदी अगर उन्हें एक और मौका दें तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

    सुरेश प्रभु इस्तीफा
    सुरेश प्रभु इस्तीफा

    मन्त्रिमण्डल में बढ़ सकता है इन मंत्रियों का कद

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन मंत्रियों के काम से सबसे ज्यादा खुश हैं उनमें भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम शामिल है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “सुपर मिनिस्ट्री” का कांसेप्ट लाकर नितिन गडकरी को “सुपर ट्रांसपोर्ट मंत्री” बना सकते है। वहीं प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान के कामकाज से भी प्रधानमंत्री खुश हैं और कैबिनेट विस्तार में इन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उड़ीसा से आते हैं और उड़ीसा में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों के मद्देनजर धर्मेंद्र प्रधान को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसके अतिरिक्त महिला कल्याण मंत्री मेनका गाँधी को भी किसी अन्य मंत्रालय का कार्यभार सौंपा जा सकता है।

     

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।