केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में की गयी खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी के बावजूद किसानों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है।
देश में 14 में से 12 फसलों के लिए किसानों को जो दाम प्राप्त हो रहे हैं, वे सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी से काफी नीचे हैं।
हाल ही में सरकार ने देश में उगने वाली 14 खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 4 प्रतिशत से 52 प्रतिशत तक बढ़ाया था। इसके तहत मंडियों में किसानों को उनकी फसलों के एवज़ में सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम दाम तो मिलना ही था, लेकिन वर्तमान में ऐसा नहीं हो पा रहा है।
इसी के साथ किसानों को उनकी फसलों के एवज में वाजिब मूल्य ना मिलने के चलते काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है, ऐसे में किसानों द्वारा फसलों के उत्पादन को एक स्तर तक सकारात्मक ढंग से बढ़ाए रखना मुश्किल हो रहा है। इसके चलते देश में माँग और उपलब्धता के बीच भी असंतुलन पैदा होने के आसार हैं।
सरकार द्वारा खरीफ की फसलों के एवज़ में एमएसपी बढ़ाने के लिए 15 हज़ार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बजट रखा गया है।
वर्तमान में किसानों को मंडी में धान की फसल के लिए 1599 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से कीमत दी जा रही है। यह कीमत सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी से 11 प्रतिशत कम है। इसी के एमएसपी की तुलना में ज्वार की फसल के लिए 26 प्रतिशत, बाजरा की फसल क लिए 24 प्रतिशत व उरद की फसल के लिए 43 प्रतिशत तक कम मूल्य दिया जा रहा है।
इसी के सभी मंडी में अभी आ रही नयी मूंग दाल की फसल के एवज में किसानों को 6,975 रुपये प्रति क्विंटल का भाव दिया जा रहा है, ऐसे में किसानों को मूंग की फसल के एवज में एमएसपी की तुलना में 35 प्रतिशत कम मूल्य मिल रहा है।
मंडी के भीतर बिचौलियों और आढ़तियों के बीच चल रहे खेल में अधिक मुनाफाखोरी के चलते किसानों को अपनी फसलों की सही कीमत नहीं मिल पा रही है।