अमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने ईरान से तेल खरीदना जारी रखने का बयान दिया था। भारत ने यूएन की बैठक में कहा कि ईरान भारत का तीसरा सबसे मत्वपूर्ण तेल निर्यातक है। हालाँकि डोनाल्ड ट्रम्प के सख्त लहजे के कारण भारत की कई कंपनियों नें ईरान से तेल आयात को शून्य कर दिया है।
सोमवार को भारतीय प्रधानमंत्री ने तेल सौदेदारों के साथ बैठक की। इस बैठक में सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री सहित देश भर की दिग्गज तेल कंपनियों के निदेशक भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान भारतीय मुद्रा में भुगतान, तेल की बढ़ती कीमतों पर चिंता, तेल विक्रेताओं की मनमानी और उत्पादक देश के सहयोग के विषय में बातचीत की थी।
अधिकारी ने बताया कि अमेरिका के ईरान पर प्रतिबंध से भारत प्रभावित नहीं होगा। भारत ने पूर्व ही सऊदी और इराक की तेल कंपनियों से आयात बढ़ाने के बाबत बातचीत कर ली है।
भारत प्रतिवर्ष सबसे अधिक तेल इराक फिर सऊदी और ईरान से आयात करता है। भारत का 80 फीसदी तेल अन्य राष्ट्रों से आयात होता है। मौजूदा वित्त वर्ष में भारत ने 2.26 करोड़ टन तेल का सौदा किया था। अधिकारी ने बताया कि देश में तेल की कमी नहीं होगी सरकार ने पूर्व ही कई देशों से बातचीत की हुई है।
अमेरिका ने हाल ही में ईरान से तेल सौदा जारी रखने और रूस से सुरक्षा प्रणाली खरीदने के बाबत तल्ख़ शब्दों में भारत को परिणाम भुगतने के संकेत दिए थे। अमेरिका ईरान पर प्रथम चरण के प्रतिबन्ध लगा चुका है और दूसरे चरण के प्रतिबन्ध 4 नवंबर से लागू हो जायेंगे।
हाल ही में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि इंडियन आयल रिफाइनरी और मंगलोर रिफाइनरी ने ईरान के साथ तेल सौदा किया है जो नवम्बर के बाद आयात होगा। ईरान पूर्व ही अमेरिका मुद्रा की बजाए रूपए में भुगतान करने के कह चुका है। ईरान रूपए का इस्तेमाल भारत से आयातित उत्पादों का भुगतान करने के लिए उपयोग करेगा।