आरबीआई के आदेश के मुताबिक आज यानी 15 अक्टूबर वैश्विक पेमेंट कंपनियों के लिए भारत के स्थानीय ग्राहकों से संबन्धित डाटा रिपोर्ट को जमा करने की अंतिम तारीख है। इसी के साथ इन पेमेंट कंपनियों को डाटा के स्थानीयकरण संबन्धित अनुपालन रिपोर्ट को आरबीआई को सौपना होगा।
एक बड़ी पेमेंट कंपनी के उच्च अधिकारी ने इस बाबत मीडिया से बात करते हुए कहा है कि “हम जिस भी हद तक स्थानीय डाटा को इकट्ठा करने सक्षम हुए है, उसकी रिपोर्ट हम आरबीआई को सौप देंगे। उसके बाद हम अपने आगे का फैसला आरबीआई से मिलने वाले निर्देश के अनुसार ही लेंगे।”
भारत में सक्रिय कारोबार करने वाली अमेरिका की दिग्गज पेमेंट कंपनियों ने पिछले हफ्ते ही आरबीआई के साथ मीटिंग कर इस डेडलाइन को आगे खिसकाने की माँग की थी, जिसे आरबीआई ने सिरे से खारिज कर दिया था।
आरबीआई के अनुसार डाटा स्थानीयकरण प्रक्रिया के तहत इन सभी कंपनियों को भारत के स्थानीय ग्राहकों से संबन्धित डाटा सर्वर को विदेशों से हटा कर भारत में ही स्थापित करना होगा।
हालाँकि इन कंपनियों के ऐसा करने पर उन्हे काफी खर्च वहन करना होगा। इंडस्ट्री विशेषज्ञों के अनुसार इस काम में 10 करोड़ डॉलर से भी अधिक का खर्च आ सकता है।
इन कंपनियों के अनुसार, इनके लिए इस काम की करने की लागत ही एक मात्र समस्या नहीं है, इससे बढ़कर इस काम की अनावश्यकता व इसी के साथ बुनियादी ढांचे की नकल तैयार करना बड़ा काम है। अगर आरबीआई किसी भी तरह के डाटा को बिना किसी व्यवधान के पाना चाहती है, तो इसके लिए हमारे पास इस काम के आलवा भी तमाम विकल्प मौजूद है।
ये सभी कंपनियां इस तरह से डाटा की नकल भारत में उपलब्ध करवाने से बचना चाहती है, जिसे आरबीआई ने सिरे से खारिज कर दिया है।
देश के विशेषज्ञों की मानें तो आरबीआई का यह कदम बेहद सुरक्षित है, ऐसे में देश के स्थानीय ग्राहकों को बिना किसी रुकावट के पेमेंट की सुविधा मिल सकेगी व उनके साथ हुई किसी भी तरह की की परेशानी का हल भी जल्द निकाला जा सकेगा।