चीन ने पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मालिक अजहर मसूद को वैश्विक आतंकवादी न मानने की अपनी रणनीति का बचाव किया है।
चीनी के विदेश मंत्री ने दावा किया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के सदस्यों की इस पर आम सहमति नहीं है। भारत और पाकिस्तान के दल की भी इस मामले पर सहमती न बनने के कारण अजहर मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित नहीं किया जा सकता है।
जेएएम के मुखिया पर भारत में कई आतंकी हमले कराने का आरोप है। साल 2016 में जम्मू कश्मीर के उडी में सैन्य कैंप में हमले का दोषी भी अजहर महमूद है इस आतंकी हमले में 17 सुरक्षा कर्मचारी शहीद हुए थे। यूएनएससी का स्थायी सदस्य होने की वजह से बीजिंग भारत के खिलाफ वीटो का इस्तेमाल करता रहा है। भारत को फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन का समर्थन है।
जेइएम के मुखिया का यूएन की प्रतिबन्धित आतंकियों की सूची में नाम शामिल है। चीन ने कहा कि यदि सभी दल इस पर रजामंदी देंगे तो चीन भी इसे समर्थन करेगा लेकिन भारत और पाकिस्तान जैसे देश इस मसले पर सहमत नहीं है।
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन इस मसले पर भारत से संपर्क में है क्योंकि हमारे भारत से काफी अच्छे सम्बन्ध है। उन्होंने कहा हम एकजुट होकर आतंक के खिलाफ लड़ेंगे। चीनी विदेश मंत्री ने कहा प्रतिबंधित समूहों की सूची सबूतों पर आधारित होती है और दावा किया कि अजहर मस्सोद के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है।
उन्होंने कहा वह आतंकवादी है या नहीं यह साबित पुख्ता सबूतों और तथ्यों पर आधारित होगा। उन्होंने कहा अजहर मसूद के खिलाफ कोई सबूत मिलता है तो पाकिस्तान भी इसका समर्थन करेगा। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान की आतंकवाद से निपटने के तरीके की भी सराहना की।
चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि चीन आतंकवाद के सख्त खिलाफ है। उन्होंने पाकिस्तान की आतंकवाद से निपटने की रणनीति की सराहना की और उन्हें बढ़ावा देने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा सालों पहले अमेरिका के अनुरोध पर पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में अल-कायदा के खिलाफ जंग लड़ी थी। उन्होंने कहा पाकिस्तान को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। उन्होंने कहा चीन को विश्वास है कि पाकिस्तान के मसले पर उचित न्याय होगा।