लुढ़कता रुपया अब सिर्फ सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी सिरदर्द बनता जा रहा है। पिछले सात दिनों से रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार नीचे गिर रहा है। कल रुपए नें इतिहास में सबसे ख़राब प्रदर्शन करते हुए 72 के आंकड़े को पार कर दिया था।
अब हालाँकि विश्व बाजार में भी भारत को कड़े नुकसान झेलने को मिल सकते हैं।
सबसे पहले, रुपए की घटती साख की वजह से अब भारत को तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ रही है।
अब हालाँकि इसमें एक और नयी चीज जुड़ गयी है। दरअसल भारत का बाहरी कर्जा देश को डॉलर में चुकाना होता है। अब चूँकि डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर होता जा रहा है, भारत को एक बड़ी राशि अतिरिक्त राशि के रूप में चुकानी होगी।
आपको बता दें कि सिर्फ इसी साल में डॉलर के मुकाबले रुपया 11 प्रतिशत तक नीचे गिर गया है। ऐसे में भारत को इसकी वजह से लगभग 68,500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि चुकानी होगी।
यह गणना स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया नें की है।
जाहिर है गुरुवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 72 से ऊपर पहुँच गया था। इससे आनेवाले समय में भारत पर क्या असर पड़ सकता है, इसकी जांच एसबीआई के मुख्य सलाहकार सौम्य कांति घोष नें की है।
उन्होनें बताया है कि यदि इस साल में रुपया डॉलर के मुकाबले 73 के पार चला जाता है और यदि कच्चे तेल की कीमत 76 डॉलर प्रति बैरल (वर्तमान में 67.86 डॉलर प्रति बैरल) हो जाती है, तो देश को तेल खरीदने के लिए लगभग 457 अरब रुपए अलग से खर्च करनें होंगें।
भारत का शोर्ट-टर्म कर्जा 2017 में 217 अरब डॉलर से भी ज्यादा है। यदि हम मानें कि भारत नें इसका लगभग 50 फीसदी चुका दिया है और बाकी अगले साल चुकाएगा, तो पहले के रुपए प्रति डॉलर कीमत के हिसाब से भारत को 7.1 ट्रिलियन रुपए देने होते। लेकिन वर्तमान में रुपए की हालत को देखते हुए भारत को इसके लिए लगभग 7.8 ट्रिलियन रुपए चुकाने होंगें।
ऐसे में साफ़ है कि भारत को इस काम में लगभग 700 अरब रुपए अतिरिक्त राशि के रूप में देने होंगें।