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    भाजपा

    हाल के कुछ वर्षों में देश में ओबीसी आरक्षण को लेकर काफी विरोध-प्रदर्शन हुए हैं। ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आने वाली कई जातियों ने जातिगत आरक्षण मांग की है। इन जातियों द्वारा किये गए आन्दोलनों ने पूरे देश की रफ़्तार थाम कर रख दी थी फिर चाहे वो गुजरात में पाटीदारों का आन्दोलन हो या हरियाणा और राजस्थान में जाटों का आन्दोलन। इन आन्दोलन से सामान्य जनजीवन तो अस्त-व्यस्त हुआ ही था साथ ही सत्ताधारी सरकारें भी हिल गई थी। संयोगवश आन्दोलनों के वक़्त इन तीनों राज्यों में भाजपा की ही सरकार थी। ऐसे में ओबीसी कोटे के अंतर्गत मिलने वाले आरक्षण का फायदा सभी जातियों को मिल सके, इसलिए भाजपा ने कमर कस ली है।

    मोदी लहर
    मोदी लहर

    केंद्र की मोदी सरकार ने इस दिशा में सकारात्मक पहल करते हुए केंद्रीय सेवाओं में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आरक्षण का लाभ उठा रही जातियों के वर्गीकरण के लिए एक कमीशन बनाने का फैसला किया है। सरकार द्वारा गठित इस कमीशन को बकायदा कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। दरअसल केंद्र सरकार के पास लम्बे समय से इस बात की शिकायत आ रही थी कि ओबीसी आरक्षण का लाभ सिर्फ कुछ ही जातियों को मिल रहा है। इन शिकायतों के मद्देनजर सरकार ने कमीशन बनाने का निर्णय लिया है। यह कमीशन ओबीसी आरक्षण का अध्ययन करेगा और साथ ही ओबीसी आरक्षण के कोटे में कोटा तलाश करेगा।

    90 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह द्वारा मंडल आयोग की सिफारिशें मानने के बाद ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ़ हुआ था। तब से यह मुद्दा देश की राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है। मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित हुआ है। सरकार द्वारा गठित कमीशन अगर ओबीसी कोटे में कोटा बनाने की सम्भावना पर अपनी रिपोर्ट देता है तो मुमकिन है कि ओबीसी आरक्षण पर चल रहा कुछ जातियों का वर्चस्व ख़त्म हो जाए और अन्य जातियां भी इससे लाभान्वित हो सके। ऐसी किसी भी सम्भावना के बाद अभी जो जातियां ओबीसी कोटे का ज्यादा फायदा उठा रही हैं उनके लिए एक सीमित कोटा निर्धारित कर दिया जायेगा। बाकी बचे हिस्से को बची हुई जातियों के लिए फिक्स कर दिया जायेगा।

    ओबीसी आरक्षण
    भाजपा का ओबीसी कार्ड

    बिहार में नीतीश कुमार ने कुछ ऐसा ही कदम उठाकर दलित आरक्षण के कोटे में कोटा काटा था। इस कोटे को उन्होंने फिर दलित और महादलित वर्ग में बांटा था। भाजपा-जेडीयू गठबंधन को भी भाजपा का ओबीसी कार्ड माना जा रहा था और अब नीतीश कुमार की रणनीति अपनाकर भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 2019 के लोकसभा चुनावों में किसी भी तरह की कोई ढ़ील नहीं बरतेगी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।