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    ई पलानीस्वामी और ओ पन्नीरसेल्वम

    तमिलनाडु के सत्ताधारी दल एआईएडीएमके में पड़ी फूट अब ख़त्म होती दिख रही है। आज चेन्नई में दोनों धड़े बैठक के बाद दुबारा एक होने का ऐलान कर सकते हैं। कहा जा रहा है कि एआईएडीएमके से शशिकला को ‘दरकिनार’ किया जा सकता है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम आज इसकी संयुक्त घोषणा कर सकते हैं। तमिलनाडु और महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव भी आज अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर चेन्नई पहुँच रहे हैं। ओ पन्नीरसेल्वम को तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री का पद मिल सकता है। एआईएडीएमके के पूर्व विधायक प्रभाकर ने कहा है कि आज पार्टी का विलय हो जायेगा। भाजपा पिछले काफी दिनों से दोनों धड़ों का विलय कराने के लिए प्रयासरत थी और उसने पार्टी महासचिव मुरलीधर राव को इस काम की जिम्मेदारी सौंपी थी।

    पहले यह खबर आ रही थी कि दोनों धड़ों के एक होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम पार्टी प्रमुख बनेंगे और ई पलानीस्वामी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने रहेंगे। पर अब कहा जा रहा है कि पार्टी पदाधिकारी अपने पद पर बने रहेंगे और पार्टी विधान परिषद् के पुनर्जीवन की संभावनाएं तलाश सकती है। शशिकला को पार्टी में किनारे पर करने के लिए पलानीस्वामी गुट चाहता है कि पार्टी एक नोटिस जारी करे। इस पर समन्वय के लिए दोनों ही गुट संयुक्त कमेटी बनाएंगे। इस कमेटी द्वारा शशिकला के विरुद्ध प्रस्ताव पारित होने के बाद ओ पन्नीरसेल्वम विलय की घोषणा कर सकते हैं।

    एआईडीएमके के संस्थापक और तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन ने 1986 में तमिलनाडु से विधान परिषद् को समाप्त कर दिया था। अब पार्टी का कहना है कि वह विधान परिषद् के पुनर्जीवन की संभावनाएं तलाश सकती है। विलय होने की स्थिति में ओ पन्नीरसेल्वम पार्टी सम्बंधित मामलों के निर्णय में सबसे ऊपर रहेंगे और तमिलनाडु में उपमुख्यमंत्री बनेंगे। मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी उनके बाद रहेंगे। पन्नीरसेल्वम गुट के कुछ विधायकों को भी मन्त्रिमण्डल में स्थान मिलेगा और मौजूदा स्थिति में सुधर कर सभी चीजें ठीक कर ली जायेंगी। वरिष्ठ पार्टी नेताओं का कहना है कि अब एआईएडीएमके में कोई मतभेद नहीं है और सबकी इच्छानुसार जल्द ही दोनों धड़े साथ खड़े नजर आएंगे।

    विलय के बाद एआईएडीएमके को अपना चुनाव चिन्ह ‘दो पत्तियां’ वापस मिल जायेंगी। 18 अगस्त को मरीना बीच पर दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता स्मारक पर किसी घोषणा की उम्मीद की जा रही थी पर अंतिम क्षणों में आई मुश्किलों की वजह से विलय टल गया था। विलय के साथ ही एआईडीएमके के लिए एनडीए में शामिल होने के रास्ते भी खुल जायेंगे। भाजपा दोनों धड़ों को एक करने में जी-जान से लगी थी और अब उसकी मेहनत रंग लाई है। तमिलनाडु की प्रमुख विपक्षी पार्टी डीएमके पहले ही कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुकी है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भूमिका बनाने और अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पार्टी निश्चित रूप से भाजपा के साथ जायेगी। इस गठबंधन का भाजपा को भी फायदा होगा क्योंकि उसे दक्षिण के सबसे बड़े दल का साथ मिलेगा।

    एआईएडीएमके के कुल 50 सांसद है और वह इस लिहाज से भारत का तीसरा सबसे बड़ा दल है। एआईएडीएमके के भाजपा के साथ आने पर एनडीए और सशक्त हो जाएगी और अब तक कमजोर नजर आ रहा विपक्ष और कमजोर हो जाएगा। एआईएडीएमके के साथ गठबंधन भाजपा के लिए फायदे का सौदा है और इससे उसकी 2019 की राह और आसान हो जाएगी।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।