जब से भाजपा केंद्र में सत्ता में आई है तब से वह एक के बाद सभी सूबों में सत्ताधारी बनती जा रही है। कहीं गठबंधन सरकार तो कहीं पूर्ण बहुमत सरकार, भाजपा एक के बाद एक पूरे देश के राजनीतिक पटल पर छा रही है। आज भाजपा को रोकने के लिए कभी परस्पर धुर-विरोधी रहे राजनीतिक दल भी एक साथ आने की बात कह रहे हैं। हाल ही में जेडीयू के बागी नेता शरद यादव ने 17 अगस्त को दिल्ली स्थित अपने आवास पर विपक्ष के 17 दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी। इसे उन्होंने ‘सांझी विरासत सम्मलेन’ नाम दिया था। वह नीतीश कुमार के भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने से खफा हैं। 19 अगस्त को उन्होंने पटना में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल ना होकर नीतीश कुमार से नाराज चल रहे जेडीयू के नेताओं को जन अदालत सम्मलेन में बुलाया। उनके वरिष्ठ सहयोगी और जेडीयू से निष्कासित राज्यसभा सांसद अली अनवर भी उनके साथ थे। यह बैठक भी पटना में ही हुई।
इसी क्रम में ताजा घटनाचक्र में बसपा ने सभी विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ एकजुट होने को कहा है। बसपा के ट्विटर हैंडल से एक पोस्ट शेयर की गई है जिसमें सभी विपक्षी दलों को सामाजिक न्याय के नाम पर एकजुट होने की बात कही गई है। साथ में एक फोटो भी शेयर की गई जिसमें बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरजेडी के ‘युवराज’ तेजस्वी यादव, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, जेडीयू के बागी नेता शरद यादव, टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी साथ नजर आ रहे हैं। इसमें मायावती की तस्वीर बड़ी है जबकि बाकी नेताओं की तस्वीर समान आकार की है। यह पहली बार है जब उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो धुर विरोधी दलों के प्रमुख नेता किसी मंच पर एक साथ नजर आ रहे हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुले तौर पर यह बात कह चुके थे कि उन्हें भाजपा को रोकने के लिए बसपा के साथ आने से भी कोई गुरेज नहीं।
अब तक गठबंधन की राजनीति से तौबा करने वाली बसपा अब खुद आगे आकर इसकी पहल कर रही है। देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व का अंदाजा हो गया है और उन्हें यह बात भी स्पष्ट रूप से पता चल गई है कि अकेले दम पर उनमें से कोई भी भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकता। अब मायावती सारे शिकवे गिले भुलाकर नरेंद्र मोदी से दो-दो हाथ करने के लिए अपने विरोधियों को भी गले लगाने को तैयार हैं। बसपा ही नहीं वरन देश की अन्य पार्टियां भी भाजपा विरोधी मुहिम चला रही है। मायावती आज उसी भाजपा के खिलाफ खड़ी हो गई हैं जिसकी मदद से वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी। मायावती अब तक सपा के साथ गठबंधन को लेकर कुछ भी कहने से बचती रही हैं पर इस पोस्ट ने पार्टी की सोच स्पष्ट कर दी है।
शरद यादव द्वारा बुलाई गई बैठक के बाद अब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने पटना में 27 अगस्त को सभी विपक्षी पार्टियों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में कांग्रेस, बसपा, सपा, टीएमसी समेत कई राजनीतिक दलों के नेता शामिल हो रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष की यह बैठक महागठबंधन का रूप ले सकेगी? अगर महागठबंधन होता भी है तो इसका चेहरा कौन बनेगा और क्या वह सर्वमान्य होगा? अगर सभी दलों की सहमति बनती भी है तो कब तक वह सबको साथ लेकर चल सकेगा?