विषय-सूचि
सुपरनोवा क्या है? (Definition of Supernova in Hindi)
सुपरनोवा ब्रह्माण्ड में होने वाले सबसे खतरनाक दुर्घटनाओं में से एक है जिसमें कोई बहुत पुराना तारा अपने अंतिम क्षणों में होता है और कड़े विस्फोट के बाद नष्ट होने ही वाला होता है।
यह विस्फोट बहुत शक्तिशाली होता है। इस प्रतिक्रिया के बाद या तो कोई नया तारा बनना शुरू होता है या पुराने तारे में विस्फोट होने के बाद वह सफ़ेद ड्वार्फ में बदल जाता है।
जब सुपरनोवा प्रतिक्रिया हो रहा होता है, तो बहुत ज्यादा रौशनी प्रसारित होती है जो इतनी चमकीली रहती है कि वो पूरे ब्रह्माण्ड के रौशनी को पीछे छोड़ सकती है।
इससे इतनी ऊर्जा निकलती है, इतनी ऊर्जा सूर्य अपने पूरे जीवन में भी नहीं प्रकाशित कर सकता। वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि सुपरनोवा प्रतिक्रिया के दौरान जब विस्फोट होता है, यह अंतरिक्ष की सबसे खतरनाक घटना है।
सुपरनोवा पर किये गए अध्ययन (Observations about Supernova in Hindi)
इससे पहले टेलिस्कोप की खोज होती, कई सभ्यताओं में सुपरनोवा प्रतिक्रिया होने की बात दर्ज है। RCW86 नामक पहले सुपरनोवा की खोज साल 185 AD में चीनी खगोल वैज्ञानिकों ने की थी। उनके रिकॉर्ड के अनुसार यह एक गेस्ट स्टार था जो रात्रि आसमान में आठ महीनों तक दिखा। सत्रहवीं शताब्दी से पहले तक सिर्फ आठ सुपरनोवा की खोज हुई थी, जबकि उस समय तक टेलिस्कोप का अविष्कार हो चूका था।
अब तक के खोजे गए सुपरनोवा में सबसे प्रसिद्ध जो हुआ उसका नाम क्रैब नाब्युला है। चीनी और कोरियन खगोल वैज्ञानिकों ने साल 1054 में तारों के विस्फोट की इस प्रक्रिया का अध्ययन किया। नार्थ अमेरिका के वैज्ञानिकों के द्वारा भी इन पर शोध किये जाने का रिकॉर्ड मिलता है। जिस सुपरनोवा के कारण क्रैब नाब्युला बना था, वह इतना चमकदार था कि वैज्ञानिक उसे दिन में भी देख पाते थे।
साल 1930 में वाल्टर बेड के नेतृत्व में S Andromadae नामक सुपरनोवा पर शोध कर रहे थे जो किसी दूसरी गैलेक्सी में विराजमान है। उन्होंने यह व्याख्या दिया कि सुपरनोवा प्रक्रिया तब होती है जब साधारण तारा न्यूट्रॉन तारे में बदलने वाला होता है। इन्ही लोगो ने पहली बार इस प्रतिक्रिया के लिए सुपरनोवा शब्द का उपयोग किया।
सुपरनोवा प्रतिक्रिया (Supernova explosion in Hindi)
ऐसा माना जाता है कि हमारे मिल्की वे में हर 50 साल में एक तारा सुपरनोवा प्रतिक्रिया से होकर गुजरता है। यह भी खा जाता है कि ब्रह्मण्ड में कहीं न कहीं हर सेकंड में एक तारा नष्ट होता ही है।
कोई तारा कैसे नष्ट होगा – यह बात उसके भार पर निर्भर करता है। सूर्य का भार अभी इतना नहीं है कि उसके अंदर यह प्रक्रिया हो सके।
यह प्रतिक्रिया दो प्रकार से होती है:
- सुपरनोवा type I
इससे पहले कोई nuclear प्रतिक्रिया शुरू हो, तारा अपने अंदर के पदार्थों का संचय शुरू कर देता है। यहाँ रौशनी वाले भाग में हाइड्रोजन की कमी रहती है। इस प्रकार के सुपरनोवा सफ़ेद ड्वार्फ तारे से बनते हैं। इस प्रकार के मदद से वैज्ञानिक तारों के बीच की दूरी का अनुमान लगाते हैं क्योंकि इन तारों की चमक बहुत अधिक होती है।
- सुपरनोवा type II
इस सुपरनोवा में जब तारे का nuclear ईंधन ख़त्म हो जाता है, तो अपनी ग्रेविटी के दबाव में आकर वह ढह जाता है। इस प्रकार के प्रतिक्रिया के होने के लिए किसी तारे का भार सूर्य से 8 से 10 गुना ज्यादा होना चाहिए। किसी तारे के कोर भाग में हाइड्रोजन और हीलियम गैस ख़त्म हो रहा होता है, तब इसकी शुरुआत होती है।
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Ek normal taara neutron taare mein kaise badalta hai evam kyon badalta hai?
har taare ki ek nishit awadhi rehti hai. jab wo awadhi khtm hone wali hoti hai to kai processes hoti hai. unhi processes me se ek rehta hai taare ka neutron taare me badal jana. jab gravitational force ke karan taaron me bhuchal aa jata hai to we neutron taare me badalne lgte hain.
har taare ki ek nishit awadhi rehti hai. jab wo awadhi khtm hone wali hoti hai to kai processes hoti hai. unhi processes me se ek rehta hai taare ka neutron taare me badal jana. jab gravitational force ke karan taaron me bhuchal aa jata hai to we neutron taare me badalne lgte hain.
अभिनव तारे में विस्फोट कैसे होता है ( जिसके कारण न्यूट्रॉन तारा आदि बनते है।
तथा लाल दानव आकर में तारे की तुलना में बड़ा क्यो हो जाता है।