विषय-सूचि
परमाणु संरचना की परिभाषा (atomic structure definition in hindi)
परमाणु क्या है? यदि किसी वस्तु या पदार्थ का निरंतर विभाजन किया जाए, तो जो सबसे छोटा अणु हमे प्राप्त होगा, उसे ही परमाणु कहते हैं। क्योंकि परमाणु प्राप्त करने का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं था,सदियों तक यही धारणा रही कि परमाणु को और छोटे हिस्सों में नहीं तोड़ा जा सकता और यही किसी भी वस्तु का परम अंश है।
परंतु कई ऐसे सवाल थे, जिनके उत्तर इस मान्यता से सहमति नहीं रखते थे। जैसे अगर हम एक कंघी को अपने बालों पर रगड़ने के बाद छोटे छोटे कागज़ के टुकड़ों के पास ले जाए तो वो टुकड़े कंघी पर चिपक जाते हैं। मात्र रगड़ने से चार्ज कैसे आ जाता है? “ कैथोड रे ट्यूब ” के प्रयोग में जो किरणे मिली, वो चार्ज वाली किरणों जैसा क्यों बर्ताव कर रही थी?
नए कणों की खोज (discovery of new particles of atom in hindi)
इन प्रश्नों का उत्तर मिला,जब 1886 और 1900 में दो उप परमाणु कण (सब एटॉमिक पार्टिकल्स) ई गोल्डस्टीन द्वारा “प्रोटोन” और जे जे थॉमसन द्वारा “ईलेक्टरौन” की खोज हुई।
1. प्रोटोन (proton in hindi)
प्रोटोन एक पॉजिटिव(+1) चार्ज वाला कण है, जिसका वज़न 1.6727 * 10^(-27)kg है। गणना को सरल बनाने के लिए हम इसका वज़न amu( एटॉमिक मास यूनिट ) में लेते हैं।
1amu = 1.6605 *10^(-27)kg के बराबर होता है। इसलिए प्रोटोन का वज़न 1.007316amu हुआ। नए नियमों के अनुसार amu को अब सिर्फ “u” लिखा जाता है।
2. ईलेक्टरौन (electron in hindi)
ईलेक्टरौन एक नेगेटिव चार्ज का कण हैं। इसका वज़न 9.110*10(-31)kg है, जो कि 0.000549u है। यह प्रोटोन से 2000 गुना हल्का है।
3. न्यूट्रॉन (neutron in hindi)
1932 में जे चैडविक ने एक और उप परमाणु कण की खोज की , जिस पर कोई चार्ज तो नहीं था, पर उसका वज़न करीब करीब प्रोटोन के बराबर था – 1.6750*10^(-27)kg या 1.008701u। इसे न्यूट्रॉन नाम दिया गया।
थॉमसन का परमाणु मॉडल (thomson model of atom in hindi)
अब समस्या थी इन कणों के साथ परमाणु की संरचना को समझना। सर थॉमसन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इसे समझाने का प्रयास किया। उनका कहना था कि परमाणु एक गोल क्रिसमस केक की तरह है, जिसमे केक पॉजिटिव चार्ज ( प्रोटोन्स) का बना है और उसमें लगा मेवा नेगेटिव चार्ज( ईलेक्टरौन) है। इसे हम तरबूज़ की तरह भी सोच सकते हैं जिसमे लाल हिस्सा पॉजिटिव है और बीज नेगेटिव चार्ज हैं।
पॉजिटिव और नेगेटिव चार्ज की मात्रा एक समान है, जिससे परमाणु तटस्थ ( न्यूट्रल) होता है। परमाणु का भार पूरी गोलाई में सामान्य रूप से वितरित है।
रुथरफोर्ड का बेहतर परमाणु मॉडल (rutherford model of atom in hindi)
इसी प्रयोग के आधार पर “रुथरफोर्ड” नामक एक वैज्ञानिक ने एक और प्रयोग किया, ताकि वो ईलेक्टरौन का स्थान जान पाएँ। उन्होंने सोने की पन्नी ली,क्योंकि वो एक बहुत पतली परत चाहते थे।
फिर उन्होंने उसपर अल्फा कण (बिना ईलेक्टरौन वाला हीलियम परमाणु) तेज़ी से बरसाए। अल्फा कण का वज़न 4u था ,इसलिए उसमे बहुत ऊर्जा थी। उन्हें उम्मीद थी कि थॉमसन मॉडल के हिसाब से करीब सारे अल्फा कण प्रोटोन से टकरा के वापस लौट आएंगे। परंतु परिणाम चौकाने वाले थे।
- लगभग सारे अल्फा कण सोने की पन्नी के आर पार चले गए।
- कुछ ही कण थोड़ा सा मुड़े।
- अनुमानित 12000 में केवल एक ही कण 180० वापस आया।
इन तथ्यों को आधार मानकर रुथरफोर्ड ने परमाणु का एक और मॉडल दिया-
- परमाणु में बहुत खाली स्थान है।
- उसका सारा पॉजिटिव चार्ज और भार परमाणु के मध्य एक न्यूक्लियस में कैद है।
- सारे ईलेक्टरौन न्यूक्लियस के चारो ओर अपने अपने घेरों( ओरबीट्स) में घूमते है।
- न्यूक्लिउस परमाणु से कई गुना छोटा है।
- हम इसे सौर मंडल की तरह समझ सकते हैं, जहाँ न्यूक्लियस सूर्य की जगह है और ईलेक्टरौन ग्रहों की जगह।
रुथरफोर्ड मॉडल की कमी (drawbacks of rutherford model of atom in hindi)
क्योंकि ईलेक्टरौन गोल घूम रहे हैं, उनका घूमना त्वरणयुक्त (एक्सेलरेटेड) है। मैक्सवेल का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कानून कहता है कि जो भी चार्ज वाला कण त्वरणयुक्त होता है, वह अपनी ऊर्जा खोता चला जाता है।
इस तरह से तो ईलेक्टरौन कुछ समय पश्चात न्यूक्लियस में आके गिर जाएगा जिससे परमाणु अस्थिर होता। पर हम जानते हैं कि परमाणु स्थिर ही होता है।
नील्स बोहर परमाणु मॉडल (bohr’s model of atom in hindi)
मॉडल की कमी को पूरा करने हेतु “नील्स बोहर” ने काम किया और बताया:
सिर्फ कुछ निर्धारित ऑर्बिट, जिन्हें डिस्क्रीट ऑर्बिट कहते है, उन्ही में ईलेक्टरौन जा सकते हैं। इन ओरबीट्स की खुदकी ऊर्जा होती है और इनमें घूमते वक्त ईलेक्टरौन अपनी ऊर्जा नहीं खोते।
क्वांटम मॉडल (quantum model of atom in hindi)
ऐसे तो यह मॉडल कई सवालों का जवाब दे रहा था,परंतु ये मैटर के दोहरे नेचर को नज़रअंदाज़ कर रहा था। इसलिए एक क्वांटम मॉडल लाया गया जिनमे इन ओरबीट्स में और छोटी जगह, “ओरबिटल्स” होते हैं। इन्हें पहचानने के लिए 4 क्वांटम अंकों (नंबर) को भी घोषित किया गया।
- द प्रिंसिपल क्वांटम नंबर – “n”
- अज़ीमुथाल क्वांटम नंबर – “l”
- मैग्नेटिक ऑर्बिटल क्वांटम नंबर – “m(l)”
- ईलेक्टरौन स्पिन क्वांटम नंबर – “m(s)”
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parmanu kya hai?
अणुओं के समूह को परमाणु कहते हैं. परमाणु एक विशेष पदार्थ होता है, जिसके विशेषताएं और गुण विशेष होते हैं.
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