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    नरेंद्र मोदी और ओ पन्नीरसेल्वम

    2014 लोकसभा चुनावों के बाद से भाजपा की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है और पूरे देश में पार्टी की मौजूदगी बढ़ती जा रही है। देश के हालिया राजनीतिक परिदृश्य में फिलहाल कोई भी दल भाजपा के सामने टिकता नजर नहीं आ रहा है। बिहार में जेडीयू के साथ हुए हालिया गठबंधन के बाद अब भाजपा की नजरें तमिलनाडु पर टिकी हैं। तमिलनाडु ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ आजादी के बाद से भाजपा या कांग्रेस में से कोई भी प्रमुख राष्ट्रीय दल अपनी छाप छोड़ने में अब तक नाकाम रहे हैं। अब तक यहाँ सिर्फ द्रविड़ पृष्ठभूमि पर आधारित राजनीतिक पार्टियां ही अपना प्रभाव छोड़ सकी हैं और राष्ट्रीय दल यहाँ सहयोगी की भूमिका में नजर आते हैं। पर हालिया कुछ वक़्त में तमिलनाडु की राजनीति ने करवट ली है। जयललिता की मौत के बाद एआईएडीएमके में दो फाड़ हो गए। जयललिता के बाद मुख्यमंत्री पद सँभालने वाले ओ पन्नीरसेल्वम को अपदस्थ कर शशिकला ने ई पालनीस्वामी को तमिलनाडु का नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। इसके बाद से ही एआईएडीएमके में दो गुट बन गए, पन्नीरसेल्वम गुट और पालनीस्वामी गुट।

    पलनीस्वामी और पनीरसेल्वम

     

    पार्टी महासचिव शशिकला पार्टी पर अपना पूर्ण नियंत्रण चाहती हैं और इसीलिए उन्होंने अपने भरोसेमंद पालनीस्वामी को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना। इसी वजह से पन्नीरसेल्वम ने बगावती रुख अख्तियार कर लिया और पार्टी दो धड़ों में बँट गई। अब ये दोनों ही धड़े भाजपा के साथ गठबंधन करने को आतुर हैं और भाजपा इन्हें फिर से साथ देखना चाहती है। इसके लिए भाजपा हर संभव प्रयास कर रही है। इन दोनों धड़ों को साथ लाने की जिम्मेदारी भाजपा ने पार्टी महासचिव मुरलीधर राव को सौंपी है। तमिलनाडु में एआईएडीएमके की प्रमुख विपक्षी डीएमके पहले ही कांग्रेस से गठबंधन कर चुकी है ऐसे में एआईएडीएमके के लिए भाजपा का साथ जरुरी हो गया है।

    यह है भाजपा की रणनीति

    अगस्त में केंद्रीय मंत्रिमण्डल का विस्तार होने वाला है। बिहार में हुए हालिया गठबंधन के बाद कुछ जेडीयू नेताओं के केंद्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल होने की उम्मीद है। इनमें बागी तेवर दिखने वाले शरद यादव का नाम भी शामिल है। तमिलनाडु में भी स्थिति कुछ बिहार जैसी ही है। बिहार में शरद यादव ने मुख्यमंत्री नितीश के विरोध में बगावत के सुर छेड़े वहीं तमिलनाडु में पन्नीरसेल्वम ने पालनीस्वामी के खिलाफ बगावत की। अब भाजपा चाहती है कि एआईएडीएमके के दोनों धड़े एकसाथ आये और मिलकर भाजपा के साथ गठबंधन करें। भाजपा चाहती है कि शशिकला महासचिव बानी रहें। जेल जाने के बाद निश्चित रूप से पार्टी पर शशिकला की पकड़ कमजोर हुई है पर उम्मीद नहीं है कि वो पार्टी पर अपनी पकड़ और ढ़ीली होने दें। भाजपा चाहती है कि ई पालनीस्वामी मुख्यमंत्री बने रहें और ओ पन्नीरसेल्वम राज्यसभा सदस्यता ग्रहण करें और उन्हें और उनके गुट के अन्य नेताओं को केंद्रीय मंत्रिमण्डल में जगह मिले। भाजपा दोनों धड़ों की राजनीतिक सक्रियता अलग-अलग कर इस बगावत को शांत कराना चाहती है।

    भाजपा को है दोतरफा फायदा

    इस गठबंधन से भाजपा को दोतरफा फायदा है। वैंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने दक्षिण में अपना आधार जमाने की जो कोशिश की है वह रंग लाती दिख रही है। तमिलनाडु की राजनीति में भाजपा पहली बार महत्वपूर्ण भूमिका में दिख रही है। देश को भगवामय करने का मोदी-शाह का सपना और मजबूत होता दिख रहा है। वहीं अगर केंद्र की बात करें तो एआईएडीएमके भाजपा और कांग्रेस के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा दल है। लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर पार्टी के कुल 50 सांसद हैं और यह आंकड़ें भाजपा को और मजबूती देंगे। दक्षिण भारत के सबसे बड़े दल से जुड़ने के बाद दक्षिण में भाजपा की पकड़ निश्चित रूप से मजबूत होगी और मुमकिन है कि भाजपा के मिशन साउथ में यह गठबंधन एक निर्णायक भूमिका अदा करे।

    By हिमांशु पांडेय

    हिमांशु पाण्डेय दा इंडियन वायर के हिंदी संस्करण पर राजनीति संपादक की भूमिका में कार्यरत है। भारत की राजनीति के केंद्र बिंदु माने जाने वाले उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले हिमांशु भारत की राजनीतिक उठापटक से पूर्णतया वाकिफ है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद, राजनीति और लेखन में उनके रुझान ने उन्हें पत्रकारिता की तरफ आकर्षित किया। हिमांशु दा इंडियन वायर के माध्यम से ताजातरीन राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर अपने विचारों को आम जन तक पहुंचाते हैं।