सेब के सिरके के बारे में जानते बहुत लोग हैं लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत कम लोग ही करते हैं। इसको एप्पल साइडर विनेगर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसको साइडर की मदद से तैयार किया जाता है।
सेब के सिरके को सलाद, भोजन परिरक्षक और चटनी में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी गुणवत्ता इसके लाभों के कारण अत्यधिक बढ़ जाती है।
शोध में पाया गया है कि इससे रक्त शर्करा नियंत्रित रहती है और मधुमेह की बीमारी में भी लाभ होता है।
इसमें मौजूद एसिटिक एसिड शरीर में वसा कम करता है और वजन कम करने में लाभकारी होता है।
इस लेख में हम सेब का सिरका बनाने की विधि आपको बताएँगे। इसके अलावा सिरके के फायदे और प्रयोग पर भी चर्चा करेंगे।
इसके लिए सेब कैसे चुनें?
इसे बनाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ यह होती है कि आप आर्गेनिक या जैविक सेब का ही चुनाव करें क्योंकि उसमें कीटनाशक नहीं मौजूद होते हैं।
आप जब भी सेब खाएं तो उसके छिलके और बचे हुए बीज हवा बंद पैकेट में रखकर फ्रिज में रख दें। इससे पहले सेब के छिलकों को अच्छी तरह धो लें और खराब वालों को फेंक दें।
यदि आपको आर्गेनिक सेब नहीं मिल रहे हैं तो जो भी सेब मिलें उनके छिलके निकाल दें और सिर्फ गूदा इस्तेमाल करें।
सेब का सिरका बनाने की विधि
- लगभग 10 आर्गेनिक सेब लें और उन्हें पानी से अच्छी तरह धो लें।
- चाकू की मदद से इन्हें छोटे टुकड़ों में काट लें।
- कटे हुए सेब के टुकड़ों को अलग रख दें और उनके भूरे रंग का होने का इंतज़ार करें।
- इन सेब के टुकड़ों को एक बड़े मुँह वाले कांच के जार में डाल दें।
- इस जार में पानी डाल दें ताकि सेब पूरी तरह इसमें डूब जायें।
- इस जार को जालीदार कपडे से ढक दें पर ध्यान रखें कि यह ज्यादा तंग न हो। यह कपडा इस प्रकार रखा जाना चाहिए कि सेब के टुकड़ों को ऑक्सीजन मिलता रहे।
- इस ढके हुए जार को एक गर्म और अँधेरे वाली जगह पर रख दें।
- इस जार को 6 महीनों तक रखा रहने दें और हर हफ्ते इसे चलाते रहें।
- 6 महीने के फर्मेंटेशन के बाद जार को बाहर निकलें। आप देखेंगे कि उसके ऊपर मैल की एक परत जैम गयी होगी। ये बैक्टीरिया के कारण होता है।
- एक दूसरा बड़े मुँह वाला जार लें और इस पेय को जालीदार कपडे की मदद से उसमें छान लें। ये तब तक करें जब तक पूरा पेय एक से दूसरे जार में न चला जाये।
- उसी कपडे को नए जार को ढकने के लिए इस्तेमाल करें।
- इस जार को फिरसे 5-6 हफ़्तों के लिए गर्म और अँधेरी जगह पर रख दें।
- इसके बाद इसे अपनी ज़रुरत के अनुसार छोटे बर्तनों में रख लें। ताजगी के लिए फ्रिज में रख सकते हैं।
सेब के सिरके के लाभ
1. मधुमेह में उपयोगी
सेब के सिरके का सबसे फायदेमंद लाभ टाइप-2 मधुमेह का इलाज होता है। ये रक्त शर्करा को संतुलित रखने में सहायता करता है।
यह रक्त में अतिरिक्त शक्कर से सम्बंधित कई बिमारियों के निवारण में उपयोगी होता है। इसमें मौजूद एसिटिक एसिड रक्त शर्करा के लिए फायदेमंद होता है।
2. हृदय रोग का खतरा कम करे
ह्रदय रोग दुनिया का सबसे ज्यादा घातक रोग पाया गया है। दुनिया में अधिकतर लोगों की मृत्यु हृदय रोग के कारण होती है।
चूहों पर किये गये एक शोध में पाया गया है कि ये कोलेस्ट्रोल स्तर घटाने में भी उपयोगी होता है। एसिटिक एसिड और विनेगर ब्लड प्रेशर नियंत्रण में भी उपयोगी होते हैं।
3. साइनस की तकलीफ में फायदेमंद
सेब का सिरका शरीर में मौजूद बलगम से निजात पाने में भी लाभदायक होता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो साइनस के निवारण में उपयोगी होते हैं।
4. गले की खराश में सहायक
इसके एंटीबैक्टीरियल गुण गले की खराश में भी फायदेमंद होते हैं। इसके लिए एक तिहाई सेब का सिरका गर्म पानी के साथ मिलाकर गार्गल कर लें।
5. मौसा(वार्ट्स) का करें इलाज
इसमें भारी मात्रा में एसिटिक एसिड होने के कारण ये मौसा के इलाज करने के लिए लाभदायक होता है।
इसके लिए एक रुई को सेब के सिरके में भिगोकर मौसे पर रख लें और रात भर लगा रहने दें।
सेब के सिरके का उपयोग
1. चेहरे का टोनर
सेब के सिरके का एक भाग पानी के 3-4 भाग के साथ मिला लें।
रुई की मदद से इस मिश्रण को चेहरे पर लगायें और 10 मिनट तक लगा रहने दें। फिर धो लें। इसे दिन में 3 बार दोहराएं।
2. श्वास में बदबू से निजात
आधा बड़ा चम्मच सेब का सिरका एक कप पानी में डाल लें। एक बार में 10 सेकंड के लिए गार्गल करें जब तक कप खाली न हो जाये।
3. व्यायाम के बाद की थकान से छुटकारा
व्यायाम के बाद आपके शरीर में लैक्टिक एसिड का उत्पादन हो जाता है जिसके कारण आपको थकान महसूस होती है।
इसके लिए आप सेब के सिरके का सहारा ले सकते हैं। इसमें मौजूद एसिटिक एसिड इससे निजात दिलाती है।
एक बड़ा चम्मच सेब का सिरका एक गिलास पानी में डालकर पी लें।
4. फल पर मक्खियों को आने से रोके
सेब के सिरके की पतली परत एक बूँद डिश सोप में रख लें। इसे काउंटर पर रख लें। फल की मक्खियाँ उड़कर इसपर चिपक जाएँगी।
5. बिल्ली को कोर्ड काटने से रोकें
थोड़े से सेब के सिरके में एक रुई भिगो लें और कोर्ड पर हर 4-5 दिनों में घिसें।