भारत खेती से जुड़ा देश है। भारत की 60 प्रतिशत आबादी गांव मे रहती है और खेती करके अपना जीवन चलाती है। हमारे देश में सबसे ज्यादा रोजगार भी खेती के क्षेत्र में है।
भारत की अर्थव्यवस्था मे सबसे ज्यादा हिस्सेदारी खेती के क्षेत्र से है। एक बड़ी मात्रा में अनाज हमारे देश से दूसरे देशों में निर्यात किया जाता है।
आपको बता दें कि भारत ऐसा दूसरा सबसे बड़ा देश है जहाँ पर 60 प्रतिशत जमीन उपजाऊ है।
भारत मे विदेशी निर्यात का 18 प्रतिशत सिर्फ खेती से आता है। यहाँ अनाज के साथ सब्जियो और फलो की भी खेती की जाती है।
हमारे देश में मुख्य तौर पर दो तरह की फसल होती हैं, रबी और खरीफ।
हरित क्रांति का जन्म
गुलामी के समय भारत मे भूखे की महामारी ने जन्म लिया। उस दौरान पश्चिम बंगाल मे करोडो लोग भूख से मर गए थे।
देश की हालत देख कर मौजूदा सरकार ने 60 के दशक मे हरित क्रांति लाने का प्रस्ताव रखा।
1960 मे हरित क्रांति का भारत मे जन्म हुआ और सिंचाई के नए तरीको का इस्तेमाल हुआ।
हरित क्रांति का मुख्य केंद्र था किस तरह फसल की मात्रा को बढ़ाया जाए।
फसल की मात्रा बढाने के लिए अधिक उपज वाले बीज का निर्माण किया गया, कीटानाशको को बनाया गया और रसायनिक उर्वरको का इस्तेमाल किया गया।
नए बीज बनाने से फसल की उपज बढ़ी और भारत की जनसंख्या का पेट भरने लायक अनाज का उत्पादन हुआ। कीटनाशको से किसानो को यह मदद मिली की उनकी फसल मे कीड़े नही जन्मे और फसल बर्बाद नही हुई।
हरित क्रांति के कारण ही भारत में उपजाऊ जमीन के अनुपात में कई गुना ज्यादा फसल मिली। देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा सुधार आया और फिर कभी भूखे की स्थिति पैदा नही हुई।
जिंदा रहने के लिए खाने की जरूरत है और हम सभी लोग खाने की जरूरतो को पूरा करने के लिए खेती पर निर्भर रहते है।
भारत मे हर प्रकार की खेती होती है फिर वो कपड़ों को रंगने वाला नील हो या फिर सांगवान की लकडी। देश के हर क्षेत्र मे अलग अलग किस्म की खेती की जाती है।
देश की करोडो लोगो की आबादी का पेट भरने के लिए हमारे किसान हर मौसम मे दिन रात काम करते है। भारत मे खेती कई परिवारो के भरण पोषण से लेकर रोजगार देने तक का काम करती है।
2001 की एक रिपोर्ट मे यह बताया गया है कि देश की 57 प्रतिशत आबादी खेती बाड़ी और उससे संबंधित काम करती है।