भारत की प्रगती के साथ साथ भ्रष्टाचार ने भी हमारे समाज मेे एक बड़ी जगह बनाई है। आज स्कूल मे दाखिले से लेकर नौकरी मिलने तक हर जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है। और भ्रष्टाचार की ये जड़ें दिन प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है।
परिभाषा
भ्रष्टाचार का मतलब है कि अपनी पाॅवर से या पैसो से अपना काम निकलवाना। हवाला काम करना, घूस देना, घोटाला करना और मुनाफाघोरी भ्रष्टाचार के कई प्रकार है। सरकारी दफतर से लेकर निजी संस्थानो तक सभी मे भ्रष्टाचार की गतिविधि देखने को मिलती है।
बैंक, बिजनेस, शिक्षा, नौकरी, शादी, चुनाव सभी के अंदर रोजाना भ्रष्टाचार की खबरे आती है। हाल ही मे आई एक रिपोर्ट मे यह बताया गया है कि हर चार घंटे मे एक बैंक कर्मचारी भ्रष्ट होता है।
जनसंख्या की तुलना मे हमारे देश मे नौकरियां कम है। नौकरी ना मिलने के कारण देश का युवा दबाव मे आ जाता है और उदासीनता की स्थिति मे चला जाता है।
दाखिला लेने से ही पैसे देने का चलन चल जाता है। आजकल नर्सरी मे दाखिला दिलाने के लिए ही माता पिता को एक बडी रकम स्कूल मे देनी होती है।
समझना यह होगा कि अगर स्कूल मे एक नर्सरी के दाखिले के लिए पैसे देने पड़ते हैं, तो नौकरी के समय क्या हाल होगा? नौकरी पाने से किसी भी परिवार की मूल जरूरते पूरी होती है। वहीँ अगर नौकरी नही मिलती तो जीवन शैली जीने के स्तर मे गिरावट दर्ज होती है। अपने जीवन को आगे बढाने के लिए नौकरी चाहिए। नौकरी पाने के लिए भ्रष्ट गतिविधियो का सहारा लेना पडता है। हमारे देश मे नौकरी के लिए पैसे देने का चलन बढ गया है। कुर्सी और ताकत का फायदा उठा कर भी नौकरी पाने की होड़ लगी हुई है।
चुनाव जीतने के लिए सबसे बडी मात्रा मे भ्रष्टाचार का इस्तेमाल होता है। बडे नेता जनता को शराब, पैसो जैसी रिश्वत देकर वोट खरीदते है। चुनाव प्रक्रिया मे भ्रष्टाचार बहुत वर्ष पूर्व से चलता आया है। चुनाव के समय नेता को सिर्फ वोट की याद आती है और इस राजनीति मे वह भ्रष्टाचार को बढावा देता है। सरकार मे आने के लिए राजनैतिक दलो के लिए यह काम आम है। चुनाव मे भ्रष्टाचार को लेकर बहुत से कानून भी है परंतु जब नेता अपनी कुर्सी का इस्तेमाल करता है तो भ्रष्टाचार को और भी बढावा मिल जाता है।
शिक्षा के क्षेत्र मे स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय के स्तर तक भ्रष्टाचार आसानी से देखने को मिल सकता है। परीक्षा प्रणाली मे भी भ्रष्टाचार पहले की तुलना मे बहुत ज्यादा बढ गया है। पेपर बनाने वालो से शिक्षिक तक सभी शिक्षा प्रणाली को मजाक बनाने मे योगदान दे रहे है। प्रमाण पत्र की होड़ मे शिक्षा प्रणाली को भ्रष्ट कर दिया गया है।
हल
समाज मे बदलाव के लिए और समान अवसर मिलने के लिए भ्रष्टाचार को जल्द से जल्द खत्म करना होगा। होर्डिंग, मुनाफाखोरी, काला बाजारी और मूल्य वृद्धि को रोकना होगा। देश की प्रगती के लिए भ्रष्टाचार एक रूकावट की तरह है। मुफ्त और सस्ती शिक्षा सभी लोगो को देकर भ्रष्टाचार की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
बेरोजगारी को हटाना इस गंभीर समस्या का एक मुख्य हल है। हम सबको एकजुट होकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना होगा। समाजिक समूह बना कर हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक लडाई की पहल कर सकते है। जो लोग भ्रष्टाचार करते है उनके खिलाफ पुलिस कारवाही होनी चाहिए और सख्त से सख्त सजा उन्हे मिलनी चाहिए।
भ्रष्टाचार पीडितो को कानूनी मदद लेकर भ्रष्ट कर्मचारियो के खिलाफ केस करना चाहिए और एक मिसाल कायम होनी चाहिए कि भ्रष्ट लोगो की हमारे समाज मे कोई जगह नही है। हमारे अंदरूनी आत्मा से यह आवाज आनी चाहिए कि हमे इस भ्रष्ट तंत्र का हिस्सा नही बनना है। हमे सभी ओर जागरूकता फैलानी होगी कि भ्रष्टाचार हमारे समाज के लिए किस हद तक खतरनाक है। हमे यह प्रण लेना होगा कि हमे अपनी आने वाली पीढ़ी को एक भ्रष्टाचार मुक्त समाज देना है।