हालिया कुछ दिनों से बिहार में घट रहे सियासी घटनाक्रमों ने पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींच रखा है। महागठबंधन में फूट, अलगाव और फिर जेडीयू-भाजपा के गठबंधन ने जनता के साथ-साथ राजनीतिक पंडितों को भी अचरज में डाल दिया था। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के चंद घण्टों बाद ही नीतीश कुमार को भाजपा का साथ मिल गया और अगले ही दिन उन्होंने पुनः मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी उपमुख्यमंत्री बने और नीतीश-सुशील की जोड़ी फिर से बिहार के राजनीतिक दंगल में साथ हो गई। महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने पर नीतीश कुमार की चौतरफा आलोचना हुई और आरजेडी नेताओं ने तो उन्हें आड़े हाथों ले लिया। उन्होंने नीतीश पर विश्वासघाती होने के आरोप भी लगाए।
भाजपा समर्थन से बनी नीतीश सरकार के गठन के विरोध में दो याचिकाएं दायर की गईं। पहली याचिका बड़हरा से आरजेडी विधायक सरोज यादव ने दायर की थी वहीं नौबतपुर के समाजवादी नेता जितेन्द्र कुमार ने दूसरी याचिका दायर की थी। इन दोनों ने बिहार के राज्यपाल के फैसले पर आश्चर्य जताते हुए कहा था कि आरजेडी बिहार विधानसभा को सबसे बड़ी पार्टी थी और नियमों के हिसाब से पहले आरजेडी को सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए था। लेकिन राज्यपाल ने नियमों को ताक पर रखकर जेडीयू-भाजपा गठबंधन को सरकार बनाने का मौका दिया। इन दोनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करने के लिए पटना हाईकोर्ट ने आज की तारीख निर्धारित की थी। याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश राजीव मेनन की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ करेगी।
उम्मीद की जा रही है कि आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मीडिया से रूबरू होंगे। महागठबंधन से नाता तोड़कर भाजपा के साथ आकर सरकार बनाने के बाद से ही आरजेडी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर रुख अख्तियार किये हुए है और हर जगह नीतीश कुमार पर आरोप लगाकर उनको घेरने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि नीतीश कुमार इन सभी आरोपों और सवालों का जवाब देने के लिए मीडिया से मुखातिब हो सकते हैं।