फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में आतंकवादी वित्तपोषण के लिए पाकिस्तान को ग्रे सूची में डालने का निर्णय लिया गया है। तीन दिनों से पेरिस मे चल रही पाकिस्तान के खिलाफ ये कदम अमेरिकी प्रस्ताव के बाद उठाया गया। पाकिस्तान को अब 90 दिनो के बाद आधिकारिक रूप से जून में इस सूची में शामिल कर दिया जाएगा।
प्रस्ताव मे पाक के ऊपर आंतकवादियों को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया था जिस पर निगरानी की मांग की गई थी। एफएटीएफ की ग्रे सूची में इस समय इथियोपिया, इराक, सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, त्रिनिडाड और टोबैगो, ट्यूनीशिया, वानातू और यमन देश शामिल है।
इससे पहले अमेरिकी प्रस्ताव पर चीन व सऊदी अरब ने आपत्ति जताई थी लेकिन बाद में इन्होने अपने मित्र देश पाकिस्तान का साथ छोड़ दिया। इस प्रस्ताव के खिलाफ पाकिस्तान का साथ महज तुर्की ने दिया। बाकि अन्य देश प्रस्ताव के पक्ष में थे। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को पहले भी 2012 से 2015 तक निगरानी सूची मे डाला था।
एफएटीएफ की निगरानी सूची में रहने से पाकिस्तान 10 तरीके से प्रभावित हो सकता है-
- एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है जो आतंकवाद वित्तपोषण के मामलों में निगरानी रखने के काम करता है। अगर पाकिस्तान को आतंकवादी निगरानी सूची में डाल दिया जाएगा तो पाक को एफएटीएफ द्वारा “अनुपालन दस्तावेज” के तहत तीव्र जांच का सामना करना पडेगा। कुछ टिप्पणीकारों ने इसे घातक प्रभाव भी बताया है।
- पाकिस्तान वैसे ही आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है। इस सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान को विदेशों से मिलने वाला ऋण व वित्तीय सहायता काफी मुश्किल हो जाएगी।
- पाकिस्तान को ग्रे सूची मे डालने के बाद दुनिया के साथ बैंकिंग संबंधों पर भी बुरा असर पडेगा। ग्राहकों के लेन-देन में बैंकों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। देश के आम चुनाव से सिर्फ पांच महीने पहले ऐसा होना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक होगा।
- एफएटीएफ की मंजूरी आने के बाद पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होगी। सरकार को उम्मीद है कि जीडीपी विकास दर 2018 की वित्तीय वर्ष में छह प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। लेकिन अब ऐसा होना संभव नहीं हो पाएगा।
- एफएटीएफ की दंडात्मक कार्रवाई के कारण, पाकिस्तान को कम व्यापार, विदेशी लेनदेन और यूरोपीय देशों द्वारा निवेशो में कमी के कारण काफी नुकसान होगा।
- एफएटीएफ की इस घोषणा से पाकिस्तान से शेयर बाजार में भी काफी नुकसान हुआ है। पाकिस्तान मे निवेश करने वाले कुछ लोग शेयर बाजार से पैसा वापस ले सकते है। हालांकि, पाकिस्तान में विदेशी निवेश का एक बड़ा हिस्सा चीन और सऊदी अरब सहित मित्र राष्ट्रों से मिलता है।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां पाकिस्तान को ऋण स्वीकृत या जारी करने पर अस्थायी तौर पर रोक लगा सकती है।
- पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय उधार ऋणों को चुकाने में भी परेशानी होगी। एफएटीएफ लिस्टिंग में पाकिस्तान को किश्तों के भुगतान पर असफल रहने का खतरा होगा।
- दिलचस्प बात ये है कि एफएटीएफ की मंजूरी में पाक के मित्र राष्ट्र चीन की मंजूरी शामिल है जिसने देश में भारी ऋण बढ़ा दिया है।
- पाकिस्तान में निवेश किए गए अधिकांश चीनी पैसे ऋण के रूप में आते है। जिसके चक्कर में पाकिस्तान भारी कर्जे मे डूब रहा है।