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    मोदी-मनमोहन सिंह

    भारतीय राजनीति पूरी दुनिया में मशहूर मानी जाती है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में तो राजनीति का स्थान काफी ऊंचा हो जाता है। भारत में कई राजनीतिक दलों की सरकार आती है और चली जाती है लेकिन उनके कुछ व्यवहार व नीतियां समान ही रहती है।

    भारत के दो प्रमुख नेता वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बात करे तो दोनों ही नेता देश के महत्वपूर्ण मुद्दो पर चुप्पी साधते हुए दिखाई देते है।

    साल 2012 में जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने पिछली यूपीए सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार पर जमकर हमला बोला था और तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह को ‘मौन’ मोहन सिंह कहा था। मोदी ने मनमोहन सिंह पर निशाना साधते हुए कहा था कि देश के अहम मुद्दों पर पीएम मौन रहते है।

    पिछले छह वर्षों में ज्यादा कुछ नहीं बदला है। ‘चुप्पी की राजनीति’ देश में अभी भी व्याप्त है। अब नरेन्द्र मोदी जब देश के प्रधानमंत्री बन गए है तो मौन की उपाधि मनमोहन सिंह की जगह अब मोदी को मिल गई है।

    वर्तमान में पीएम को मौन मोदी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। वैसे तो पीएम मोदी चुनावी रैलियों व जब किसी राष्ट्र में संकट आ जाता है तो काफी कुछ बोलते है और भाषण देते है। लेकिन देश मे हाल ही में हुए पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को लेकर अभी तक कुछ बयान नहीं दिया है। चुप्पी की राजनीति तो हर नेता व पार्टी सत्ता में आने के बाद करती है।

    बैंक से 11400 करोड लूटने के बाद नीरव मोदी फरार हो गया है। देश में हर कोई पीएम मोदी से इस पर टिप्पणी की आशा कर रहा है। लेकिन मोदी इस मुद्दे पर मौन नजर आ रहे है। जबकि पूर्ववर्ती सरकार के समय तो पीएम मोदी ने खुलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की थी।

    प्रधानमंत्री मोदी देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में एक शब्द भी पर बोलने से इनकार कर रहे हैं। बैंकिंग घोटाला ही नहीं बल्कि अन्य मुद्दो पर भी पीएम मोदी लंबे समय तक मौन धारण करके रहते है। अब कांग्रेस पार्टी भी विपक्ष में आने के बाद पीएम मोदी को मौन मोदी कह रही है।