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    Elderly people and related Future Problem

    India Aging Report 2023: भारत में बुजुर्ग लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसा हम नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था UNFPA द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है।

    संयुक्त राष्ट्र संघ की एक प्रमुख संस्था संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा जारी ‘India Aging Report 2023’ नामक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले भविष्य में भारत की आबादी तेजी से बुढ़ापे की ओर बढ़ रही है और 2046 में देश मे बुजुर्ग की संख्या (65+) 0-14 वर्ष के आयुवर्ग (नौनिहाल बच्चो) की संख्या से ज्यादा होगी।

    India Aging Report 2023 के मुख्य बिंदु

    बुजुर्ग होता भारत
    Release of India Aging Report 2023  (Image Source: X / @AIRNewsHindi)

    India Aging Report 2023 को भारत की जनसंख्या वृद्धि-दर (Population Growth Rate) , जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy)  सहित जनसंख्या के तमाम आयामों और आंकड़ों के आधार पर तैयार किया गया है।

    इस रिपोर्ट को इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज के सहयोग से तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में देश के बुजुर्गों की देखभाल से जुड़ी चुनौतियों, अवसरों और संस्थागत कार्यों पर प्रकाश डाला गया है।

    इसके मुताबिक, वर्तमान का युवा भारत जहाँ महज़ 10.5% आबादी (14.9 करोड़, 1 जुलाई 2022 तक) 60 वर्ष से ऊपर आयुवर्ग की है; वहाँ 2036 तक 60 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के बुजुर्गों की संख्या लगभग 15% (22.7 करोड़) और 2050 तक 20% आबादी से भी ज्यादा (लगभग 34.7 करोड़) 60 साल की आयु से ज्यादा बूढ़ी हो जाएगी।

    इसी रिपोर्ट के एक खंड “एजिंग ऑफ द एज्ड (Aging of the Aged)” के अंदर यह रेखांकित किया गया है कि जनसांख्यिकी आंकड़ों के प्रक्षेपण (Projection of Population Statistics) के आधार पर 2022-2050 की अवधि तक भारत की कुल आबादी लगभग 18% बढ़ेगी; जबकि बुजुर्गों की आबादी 134% तक बढ़ने की संभावना है। 2022-2050 की अवधि के दौरान 80 वर्ष या उस से अधिक आयु वाले बुजुर्ग-वर्ग की जनसंख्या 279% बढ़ जाएगी।

    तेजी से बुजुर्ग होती आबादी और भविष्य की चुनौतियां

    Elderly age related challenges and Problems

    यूँ तो भारत कूटनीति, खेल या किसी भी अन्य क्षेत्र में चीन को जब पछाड़ता है तो मीडिया से लेकर राजनीति तक शाबाशी देने और सीन चौड़ा कर गर्व जताने के लिए आगे आ जाते है; लेकिन अभी हाल ही में चीन को पीछे छोड़कर भारत जब दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश बना, तो शायद ही कोई इस बात की बधाई या शाबाशी लेने-देने के लिए आगे आया हो। वजह साफ़ है कि लोगों को यह एहसास है कि जनसंख्या के मामले में दुनिया मे अव्वल होना कोई उपलब्धि नहीं बल्कि एक चुनौती है।

    एक तरफ भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है लेकिन दूसरी तरफ पिछले 3-4 दशकों से परिवार-नियोजन (Family Planning) के लिए जागरूकता अभियानों के माध्यम से वर्तमान में लगभग 2% (2.1%) की प्रजनन-दर (total fertility Rate-TFR) को भी हासिल करने की दहलीज पर है। भारत के कई राज्यो में तो यह दर 2% से भी नीचे आ गया है।

    लगभग 2% प्रजनन-दर (TFR) होने का साधारण मतलब यह कि आज की पीढ़ी इतने बच्चे नहीं पैदा कर रही है जो उन्हें भविष्य में प्रतिस्थापित (Replace) कर सके। इस वजह से भविष्य में जनसंख्या बढ़ने के बजाए घटने लगेगी।

    नतीज़तन जाहिर है, आज का युवा भारत आगामी भविष्य में जब बूढ़ा होगा तो उनके देखभाल करने वाली पीढ़ी की जनसंख्या बुजुर्गों की तुलना में कम होगी। आज जहाँ महज़ 7% आबादी 65+ आयुवर्ग की है, वहीं इस शताब्दी के मध्य तक भारत की लगभग 36%” आबादी बुजुर्ग की श्रेणी में आ जायेगी।

    लिहाज़ा सामाजिक सुरक्षा, बुजुर्गों की देखभाल,  चिकित्सा-सुविधाओं की उपलब्धता और इसके कारण पड़ने वाला आर्थिक बोझ तथा यहाँ तक कि उनके उचित अंतिम संस्कार जैसी चुनौतियां भविष्य में हमारे सामने होगी।

    आज की युवा पीढ़ी इस वक़्त भीषण बेरोजगारी या क्षमता और डिग्री के मुकाबले अल्प-रोजगार (Under-Employment) के कारण आर्थिक रूप से उतना  मजबूत नहीं है जितना होना चाहिए था। ऐसे में यह पीढ़ी भविष्य में अपने घरों के बुजुर्गों के प्रति कितनी जवाबदेह और जिम्मेदार होगी, यह भी एक बड़ा सवाल है।

    युवा वर्ग की तुलना में अपेक्षाकृत तीव्र गति से बूढ़ी होती आबादी के कारण भविष्य में देश की उत्पादन क्षमता पर भी प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में देश की GDP और GNP जैसे आर्थिक मापदंडों पर भी असर पड़ना स्वाभाविक है।

    देश की आर्थिक हालात पर असर पड़ने का सीधा सम्बंध बुजुर्ग-वर्ग के लिए सामाजिक सुरक्षा से है। पुराने पेंशन (OPS) की मांग और इसे लेकर सरकारों के रवैये को इसी संदर्भ में देखने की आवश्यकता है।

    हालांकि नित नए तकनीक के विकास -जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और रोबोटिक्स आदि ने इस चुनौती के संदर्भ में सकारात्मक उम्मीद जगाई है कि मानव संसाधन की ऊर्जा में कमी की भरपाई तकनीक के माध्यम से की जा सकती है।

    वृद्धाश्रम की आवश्यकता

    देश मे वृद्धाश्रमों की संख्या में लगभग 25 % प्रति वर्ष की अनुमानित दर से बढ़ोतरी हो रही है। (Image Source: Google/Money Control)

    वर्तमान में  देश मे सरकारी और निजी दोनों को मिलाकर कुल 728 वृद्धाश्रम रजिस्टर्ड हैं। 2016 में यह संख्या लगभग 500 थी। जाहिर है, देश मे वृद्धाश्रमों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

    Longitudinal Aging Survey of India 2020 के मुताबिक भारत मे लगभग 1.8 करोड़ (18 Million) बुजुर्ग ऐसे हैं जिनके पास रहने को छत नहीं है। ये लोग न सिर्फ आश्रय बल्कि चिकित्सा और पौष्टिकता की कमी से भी जूझते हैं।

    दरअसल, सोशल मीडिया पर मदर्स डे और फादर्स डे मनाने वाली आज की युवा पीढ़ी में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है जो शादी के बाद अपने ही परिवार के बुजुर्ग सदस्यों के साथ रहना पसंद नहीं करते।

    बच्चे नौकरी या किसी अन्य वजह से माता-पिता से दूर जाकर विदेश या देश के भीतर ही किसी दूसरे हिस्से में विस्थापित हो जाते हैं। फिर बुजुर्ग सदस्य की देखभाल की जिम्मेदारियों से बचने के लिए भी बुजुर्गों को साथ रखना पसंद नहीं करते।

    दूसरा, आज के भारतीय परिवार के भीतर  बुजुर्ग और युवाओं के बीच उनके विचारों का पीढ़ीगत अंतर (Generation Gap) के कारण किसी सामुहिक निर्णय को लेकर मतभेद या मनमुटाव भी एक वजह है जिसके कारण बच्चे माँ-बाप या घर के बुजुर्ग सदस्यों को साथ रखने से बचते हैं।

    उदाहरण के लिये वर्तमान में अंतरजातीय व अंतर-धार्मिक विवाह, बहू का नौकरी पर जाना व उसकी स्वतंत्रता, पाश्चात्य संस्कृति का प्रादुर्भाव आदि कई मुद्दे हैं जिन पर विचारों के अंतर के कारण बच्चों और माँ-बाप के बीच मतभेद उत्पन्न हो जाते है।

    साथ ही, बुजुर्ग सदस्यों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना, उनकी सुरक्षा और देखभाल आदि प्रमुख वजहें हैं जिसके कारण बच्चे माँ-बाप या घर के बुजुर्ग सदस्यों को साथ रखने से बचते हैं। लिहाजा बुजुर्ग सदस्य वृद्धाश्रमों की और रास्ता तलाश रहे हैं और इस कारण देश मे लगातार वृद्धाश्रमों की संख्या के बढ़ रही हैं।

    बुजुर्ग होती आबादी के लिए कितने तैयार है हम?

    एक उम्र के बाद परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को खास देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके लिए आज के युवा पीढ़ी को इसे एक जिम्मेदारी समझ आगे आना चाहिए। (प्रतीकात्मक फोटो , सौजन्य : Facebook/ Abhalaya Old Age Homes)
    एक उम्र के बाद परिवार के बुजुर्ग सदस्यों को खास देखभाल की आवश्यकता होती है। इसके लिए आज के युवा पीढ़ी को इसे एक जिम्मेदारी समझ आगे आना चाहिए। (प्रतीकात्मक फोटो , सौजन्य : Facebook/ Abhalaya Old Age Homes)

    2011 में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा जारी ‘वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय नीति (National Policy for Senior Citizens)’ के अंतर्गत बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए एकीकृत योजना चलाने के प्रावधान किया गया है जो देश भर में वृद्धाश्रमों को स्थापित करने विकसित करने तथा पहले से स्थापित वृद्धाश्रमों के रखरखाव में मदद करेगा।

    इस नीति के  अंदर हर राज्य के प्रत्येक जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम जिसकी क्षमता 15 या उस से ज्यादा हो,  का निर्माण करवाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावे वृद्धा-पेंशन आदि की व्यवस्था भी की गई है।

    लेकिन सच्चाई यही है कि सरकार और निजी संस्थाओ के तमाम प्रयास इस समस्या के मुकाबले नाकाफी साबित हो रहे हैं। साथ ही,  भविष्य में यह संकट और गहरा हो सकता है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।

    कुल मिलाकर, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा जारी ‘India Aging Report 2023’ को हमें एक भविष्य की चेतावनी के तौर पर देखना होगा। भविष्य में भारत के सामने तेजी से बूढ़ी होती आबादी को संभालने की एक बड़ी चुनौती अपेक्षित है। लेकिन सवाल है यह कि क्या हम इसके लिए तैयार हैं?

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

    2 thoughts on “‘बुजुर्ग होता भारत’: भविष्य की इस चुनौती के लिए कितना तैयार हैं हम?”
    1. Best platform 👌🏻sabdo ka samayojan bhi bahut hi vyavasthit roop mein kiya jata hai ।।

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