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    नए संसद उद्घाटन को लेकर विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया और ट्विटर पर ‘माई पार्लियामेंट माई  प्राइड’ हैशटैग ट्रेंड किया, राष्ट्रीय जनता दल के एक ट्वीट ने इमारत की तुलना एक ताबूत से किया तो कांग्रेस ने बताया कि नए संसद भवन का उद्घाटन वी डी सावरकर की जयंती पर किया जा रहा है। एनसीपी ने कार्यक्रम को सीमित लोगों के लिए बताया। 

    राजद ने एक ताबूत और नए भवन की तस्वीरें पोस्ट करते हुए ट्वीट किया, ‘यह क्या है?’ एएनआई ने बीजेपी नेता सुशील मोदी के हवाले से कहा, ‘ऐसे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए जिन्होंने नए संसद भवन की तुलना एक ताबूत से की है।’

    बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने न्यूज एजेंसी से कहा, ‘आज जिस दिन नए संसद भवन का उद्घाटन हो रहा है, उस दिन कोई राजनीतिक टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। सभी राजनीतिक दल को राजनीति से ऊपर उठकर इसका सम्मान करना चाहिए।

    कांग्रेस ने बताया कि नए संसद भवन का उद्घाटन हिंदुत्व विचारक वी डी सावरकर की जयंती पर किया जा रहा है। संचार मामलों के प्रभारी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, “28 मई को आज के दिन, नेहरू, जिन्होंने भारत में संसदीय लोकतंत्र को मज़बूत करने के लिए सबसे अधिक काम किया, उनका 1964 में अंतिम संस्कार किया गया था। सावरकर, जिसकी विचारधारा ने ऐसा माहौल बनाया जो महात्मा गांधी की हत्या का कारण बना, उसका जन्म 1883 में हुआ था। राष्ट्रपति, जो इस पद पर बैठने वाली पहली आदिवासी हैं, उन्हें अपने संवैधानिक कर्तव्यों को निभाने नहीं दिया जा रहा है। उन्हें 2023 में नए संसद भवन के उद्घाटन की इजाज़त नहीं दी गई। एक आत्ममुग्ध तानाशाह प्रधानमंत्री, जिसे संसदीय प्रक्रियाओं से नफ़रत है, जो संसद में कम ही उपस्थित रहता है या कार्यवाहियों में भाग लेता है, 2023 में नए संसद भवन का उद्घाटन कर रहा है।”

    https://twitter.com/Jairam_Ramesh/status/1662668005258723331?s=20

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘संसद जनता की आवाज है! प्रधानमंत्री संसद भवन के उद्घाटन को राज्याभिषेक मान रहे हैं।

    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि मैं वहां नहीं गया। वहां जो कुछ हुआ उसे देखकर मैं चिंतित हूं। क्या हम देश को पीछे ले जा रहे हैं? क्या यह कार्यक्रम सीमित लोगों के लिए ही था?’

    समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने संसद भवन में ‘सेनगोल’ राजदंड स्थापित करने के लिए आयोजित समारोह की आलोचना की। उन्होंने कहा, “सेंगोल राजदंड की स्थापना पूजन में केवल दक्षिण के कट्टरपंथी ब्राह्मण गुरुओं को बुलाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। भाजपा सरकार का यदि पंथनिरपेक्ष संप्रभु-राष्ट्र भारत में विश्वास होता तो देश के सभी धर्म गुरुओं यथा- बौद्ध धर्माचार्य (भिक्षुगण), जैन आचार्य (ऋषि), गुरु ग्रंथी साहब, मुस्लिम धर्मगुरु (मौलाना), ईसाई धर्मगुरु (पादरी) आदि सभी को आमंत्रित किया जाना चाहिए था। ऐसा न कर भाजपा अपनी दूषित मानसिकता और घृणित सोच को दर्शाया है। यद्यपि कि भाजपा सरकार सेंगोल राजदंड की स्थापना कर राजतंत्र के रास्ते पर जा रही है अपितु दक्षिण के ब्राह्मण धर्मगुरुओं को बुलाकर ब्राह्मणवाद को भी स्थापित करने का कुत्सित प्रयास कर रही है।”

    गौतलब है कि उद्घाटन से एक दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ‘नए संसद भवन की क्या आवश्यकता थी? भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पुरानी इमारत का पुनर्विकास कर सकते थे। वे इतिहास को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।’

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