Bharat Jodo Yatra: भारत जोड़ो यात्रा, जिसकी शुरुआत 07 सितंबर को कन्याकुमारी से हुई थी, 30 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में प्रसिद्ध लाल चौक पर तिरंगे के ध्वजारोहण के साथ ही समाप्त हो गई।
इस 150 दिनों के दौरान वायनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) व अन्य भारत यात्रियों ने 12 राज्य और 02 केंद्रशासित प्रदेश से गुजरते हुए कुल 3750 KM की दूरी तय किया है। इस दौरान श्री गाँधी ने 12 बड़ी रैलियां, 100 के नुक्कड़ सभा और 13 प्रेस कॉन्फ्रेंस किये।
इस दौरान राहुल गांधी का एक बदला हुआ स्वरूप देखने को मिला। इस से पहले राहुल गांधी को एक ऐसा नेता माना जाता था जो राजनीति को एक पार्ट टाइम जॉब समझता हो।
राहुल (Rahul Gandhi) पर अक्सर यह आरोप लगते रहे कि वे एक गंभीर नेता नहीं है। अक्सर छुट्टियों पर विदेश चले जाने को लेकर या अपनी ही पार्टी के लाये बिल को सार्वजनिक रूप से फाड़ देने जैसी घटना आदि को लेकर उन पर विपक्ष के द्वारा, मीडिया के धड़ों में और यहाँ तक कि उनकी खुद की पार्टी कांग्रेस के भीतर से भी ऐसे आरोप लगते रहे हैं।
रही-बची असर कसर सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के द्वारा बीजेपी के दुष्प्रचार के कारण उनकी क्षवि को अभूतपूर्व तरीके से धूमिल किया गया था।
भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) ने कांग्रेस (Indian National Congress) को कुछ दिया हो या नहीं, लेकिन राहुल गाँधी को जरूर राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में स्थापित कर दिया है।
Bharat Jodo Yatra से भाजपा भी घबराई हुई दिखी
इस यात्रा के दौरान राहुल जहाँ-जहाँ भी गए, उनके साथ लोगों का भारी हुज़ूम दिखा। Bharat Jodo Yatra में राहुल गांधी के साथ आम लोगों के भारी जनमानस के जुड़ने के कारण कई मौकों पर तो केंद्र की सत्ता में बैठी भारतीय जनता पार्टी भी घबराहट में दिखी। कभी भाजपा समर्थकों द्वारा राहुल के सफेद टीशर्ट को लेकर, कभी जूते को लेकर तो कभी दाढ़ी को लेकर लगातार हमला किया गया।
जब यात्रा राजस्थान में थी और दिल्ली पहुँचने वाली थी, तब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने तो कोरोना के खतरे का हवाला देते हुए यात्रा (Bharat Jodo Yatra) को स्थगित करने का आग्रह किया।
3 Rajasthan MPs had written to me that a number of
Congress’ Bharat Jodo Yatra participants have been detected Covid19 positive. Himachal Pradesh CM also tested positive after attending this yatra: Union Health Minister Dr Mansukh Mandaviya pic.twitter.com/OPaPcQvfGl— ANI (@ANI) December 21, 2022
बीजेपी के बड़े नेता तो मानसून सत्र के दौरान संसद में मास्क पहनकर आने लगे ताकि जनता को संदेश जाए कि कांग्रेस (Congress Party) कोरोना गाइडलाइंस का परवाह किये बिना यात्रा जारी रख रही है। यह अलग बात है कि उसी दौरान PM मोदी व अन्य नेता दिल्ली के किसी शादी-समारोह में बिना मास्क के शिरकत करते दिखे।
अब जब कि भारत जोड़ो यात्रा अब समाप्त हो गई है; तो ज़ाहिर है इस यात्रा (Bharat Jodo Yatra) से कांग्रेस को क्या मिला और इस यात्रा के आगे किन चुनौतियों का सामना करना होगा, इसे लेकर बात होना स्वाभाविक है।
कांग्रेस के लिए असली चुनौती तो अब शुरू होगी
इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस यात्रा (Bharat Jodo Yatra) ने पिछले कुछ वर्षों में निर्जीव पड़ी देश की सबसे पुरानी पार्टी में मानो नई जान फूंक दी है। कांग्रेस पार्टी भी इसकी सफलता से काफ़ी उत्साहित दिखी और पार्टी ने अगले दो महीने के लिए “हाँथ से हाँथ जोड़ो” अभियान शुरू करने की घोषणा कर दी।
निःसंदेह इस यात्रा (Bharat Jodo Yatra) ने राहुल गाँधी की क्षवि बदल कर रख दी है; आम जनता के मानस-पटल पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। यह जरूर है कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एक लॉन्चिंग पैड जरूर मिला है; परंतु यहीं से कांग्रेस पार्टी के लिए असली चुनौती शुरू होती है।
यह सच है कि पूरे यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी यह कहती रही है कि यह यात्रा (Bharat Jodo Yatra) गैर-राजनीतिक है। इसका उद्देश्य भारत को जोड़ना, भारत से नफरत को मिटाना, ग़रीबी, बेरोजगारी, सम्प्रदायवाद आदि जैसी समस्याओं को उठाना है।
परन्तु आखिरकार, राहुल गांधी एक राजनेता ही है, कोई समाज-सुधारक नहीं। कांग्रेस पार्टी देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। जाहिर है, कांग्रेस पार्टी और राजनेता राहुल गांधी द्वारा सम्पूर्ण किये गए इस यात्रा का मूल्यांकन राजनीतिक मापदंडों पर ही कि जायेगी।
2023 में जहाँ 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं वहीं अगले साल लोकसभा का आमचुनाव भी होना है। भारत जोड़ो यात्रा के जरिये न सिर्फ उन जगहों पर जहाँ यात्रा गयी, बल्कि राष्ट्रीय मीडिया या सोशल मीडिया के जरिये जहाँ तक भी इस यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के कवरेज पहुँची है, कांग्रेस के पक्ष में माहौल तो थोड़ा बना है। लेकिन अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आगामी चुनावों में कांग्रेस इस जनसमर्थन को वोटों के रूप में भुना पाएगी?
यहीं से कई सवाल जो इस भारत जोड़ो यात्रा के बाद पैदा हुई हैं कि यात्रा (Bharat Jodo Yatra) के दौरान आमजनों का जो हुज़ूम राहुल गांधी के साथ चल रहा था, क्या वह आगामी चुनावों में वोट बैंक में तब्दील हो पायेगी? क्या कांग्रेस पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में तमाम अन्य गैर-बीजेपी समर्थक विपक्षी दलों को एक मंच पर ला पाएगी? सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह कि क्या नरेंद्र मोदी जैसे कद्दावर राजनीतिक व्यक्तित्व को राहुल गांधी चुनौती दे पाएंगे?
ख़ैर, यह वे सवाल हैं जिनका जवाब राहुल गांधी और उनके सहयोगियों को ढूंढना होगा। भारत जोड़ो यात्रा से क्या हासिल होगा, इसके जवाब तो भविष्य के गर्भ में ही है।
Bharat Jodo Yatra ख़त्म; मुद्दे तैयार
एक तरफ जहाँ यात्रा (Bharat Jodo Yatra) खत्म हुई है, वही दूसरी ओर कई मुद्दे हैं जिसे लेकर सरकार को इस वक़्त घेरा जा सकता है। BBC द्वारा गुजरात दंगो पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री आयी जिसे श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भारत में प्रतिबंधित किया है।
अमेरिका की एक शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडेनबर्ग ने भारत के सबसे अग्रणी उद्योग कंपनी अडानी समूह वित्तीय हेरफेर सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं। इस समूह में सरकार के नियंत्रण वाली LIC India के भी पैसे लगे हैं।
We have included 88 questions in the conclusion of our report.
If Gautam Adani truly embraces transparency, as he claims, they should be easy questions to answer.
We look forward to Adani’s response.https://t.co/JkZFt60V7f
(55/end)
— Hindenburg Research (@HindenburgRes) January 25, 2023
प्रमुख दैनिक अख़बार The Hindu के एक हालिया एक रिपोर्ट में ख़बर सामने आई कि भारत-चीन सीमा पर 30 ऐसे पेट्रोलिंग पॉइंट हैं जिसपर भारतीय सैनिक अपना नियंत्रण खो चुकी है और गश्त नहीं लगाती है।
कॉलेजियम व्यवस्था को लेकर न्यायपालिका और सरकार के बिच निरंतर टकराव भी बदस्तूर जारी है। न्यायपालिका अपनी स्वतंत्रता को लेकर कई बार आगाह कर चुकी है। इसके अलावे कई अन्य ऐसे मुद्दे हैं जिस पर विपक्ष केंद्र सरकार को घेर सकती है।
ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार ने विपक्ष को मौके नहीं दिए हैं। महँगाई अभी कुछ कम हुई है; वरना सातवें आसमान पर लंबे दौर के लिए थी। बेरोजगारी आज भी बहुत ज्यादा है, अर्थव्यवस्था के हालात भी कुछ सही नहीं रहे, चीन लगातार भारत पर हावी रहा है- ऐसे अनेकों मुद्दे पहले भी हवा में थे जिसे कांग्रेस लपकने में नाकामयाब रही है।
भारतीय जनता पार्टी के पास भी जनता के बीच जाकर बताने के लिए रिपोर्ट कार्ड में कई ऐसे मुद्दे हैं जिसका काट कांग्रेस को ढूंढना होगा। G -20 अध्यक्षता को सरकार ऐसे प्रॉजेक्ट कर रही है मानो विश्व में भारत ने कोई बड़ी कूटनीतिक कार्य से या मोदी जी के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव से हासिल किया है।
G-20 की अध्यक्षता के मोदी सरकार अपने अंतरराष्ट्रीय क्षवि के मजबूत होने के रूप में पहले ही देश के हर चौक-चौराहे तक पहुंचा चुकी है। IRCTC जैसी हर वेबसाइट जिसे आम जनमानस प्रयोग करता हो, वहां G-20 का लोगो और मोदी जी की तस्वीर दिखता है।
भारत की आम जनता जो राजनीतिक रूप से उतना शिक्षित नहीं है और भावनात्मक मुद्दों पर वोट करती है। वर्षों तक बीजेपी की राजनीति की धुरी रही राम-मन्दिर भी बनकर तैयार होने वाला है और इसे 01 जनवरी 2024 को खोल देने की घोषणा त्रिपुरा के एक जनसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही कर दी है।
एक और बड़ी बात जिसके कारण PM मोदी और भाजपा सरकार साधारण जनता के बीच अपनी पैठ बनाई हुई है, वह है- फ्री राशन। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (NFSA) कांग्रेस के मनमोहन सिंह की सरकार के ही दिए हुए हैं जिसके तहत वर्तमान में 80 करोड़ लोगों को कोविड के बाद से लगातार मुफ्त राशन दिया जा रहा है। इसकी मियाद भी सरकार ने 2024 तक बढ़ा दिया गया है।
यह 3 बड़े मुद्दे हैं जिसे लेकर भारतीय जनता पार्टी अगले आम चुनावों में जनता के बीच जाने वाली है। अब यह कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों को यह सोचना होगा कि अगर भाजपा को टक्कर देना है तो इन मुद्दो का काट क्या होना चाहिए।
कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) में जो समर्थन मिला है, उस से यह दायित्व और बढ़ गया है कि वह कैसे जनता को समझाए कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देने की नौबत आई ही क्यों? क्या राम मन्दिर के बन जाने से युवाओं को रोजगार या अच्छे अवसर मिल जाएंगे? क्या G20 के अध्यक्षता भारत के पास आ जाने मात्र से भारत की विदेश नीति, जिसमें चीन के आगे बैकफ़ुट पर होना भी शामिल है, को सही मान ली जाए?
साथ ही, बजट सत्र भी शुरू हो रहा है जिसमें कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन में सरकार को घेर सकती है। अब देखना होगा कि कांग्रेस क्या इन मुद्दों पर सरकार को घेर पाती है? और फिर सबसे बड़ी चुनौती यह कि क्या वह जनता का विश्वास जीत पाएगी?
सवाल अनेकों हैं, जवाब सिर्फ कांग्रेस के आगे की राजनीति पर निर्भर करती है। फिलहाल तो भारत जोड़ो यात्रा (Bharat Jodo Yatra) से जो तस्वीर उभरी है वह ये कि कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ता आज भी मौजूद हैं, जरूरत एक सुदृढ़ नेतृत्व की है।