भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) दिल्ली के के सबसे पुराने किलों में से एक ‘पुराना किला’ में एक बार फिर खुदाई शुरू कर रही है। खुदाई का नेतृत्व वसंत स्वर्णकार करेंगे। इस तीसरी खुदाई का उद्देश्य पिछले वर्षों (2013-14 और 2017-18) में खोदी गई खाइयों का खुलासा और संरक्षण करना है।
@ASIGoI 𝗮𝗹𝗹 𝘀𝗲𝘁 𝘁𝗼 𝗲𝘅𝗰𝗮𝘃𝗮𝘁𝗲 𝗗𝗲𝗹𝗵𝗶'𝘀 𝗣𝘂𝗿𝗮𝗻𝗮 𝗤𝗶𝗹𝗮 𝗮𝗴𝗮𝗶𝗻. The 3rd season of excavations at Purana Qila is being led by Shri Vasant Sawarnkar who also excavated in 2013-14 & 2017-18, long after the Padma Vibhushan BB Lal excavations of 1969-73. pic.twitter.com/S3Hxq8X2iS
— Archaeological Survey of India (@ASIGoI) January 16, 2023
बता दें कि वर्ष 2013-14 तथा 2017-18 में की गई खुदाई के बाद पुराना किला में तीसरी बार खुदाई की होगी। पिछली बार की गई खुदाई बंद होने के दौरान, मौर्य काल से पहले की परतों के प्रमाण मिले थे।
इस बार की खुदाई के दौरान, स्ट्रैटिग्राफ़िकल से पेंटेड ग्रे वेयर के निष्कर्षों को खोजा जाएगा। स्ट्रेटीग्राफी, परत की उत्पत्ति, संरचना और वितरण से संबंधित है। पेंटेड ग्रे वेयर, मिट्टी के बर्तनों की एक परंपरा है जिसमें स्लेटी रंग के बर्तनों पर काले रंग से डिजाइन किया जाता था। प्राचीन इंद्रप्रस्थ बसने के रूप में पहचाने गए, पुराना किला में 2500 वर्षों की बसावट पहले की खुदाई में स्थापित की गई थी।
पूर्व की खुदाई में प्राप्त निष्कर्षों और कलाकृतियों में पेंटेट ग्रे वेयर शामिल हैं, जो 900 ईसा पूर्व से संबंधित हैं, इसमें मौर्य काल से लेकर शुंग, कुषाण, गुप्त, राजपूत, सल्तनत और मुगल काल तक के मिट्टी के बर्तनों का क्रम शामिल है।
किले के परिसर के भीतर पुरातत्व संग्रहालय में खुदाई की गई कलाकृतियाँ जैसे दरांती, फल या सब्जी काटने वाला छोटा चाकू, टेराकोटा के खिलौने, भट्ठे- पकी हुई ईंटे, मनके, टेराकोटा की मूर्तियाँ, मुहरें और सौदे आदि प्रदर्शित किए गए हैं।
16वीं शताब्दी का पुराना किला, शेर शाह सूरी और दूसरे मुगल बादशाह हुमायूं द्वारा बनवाया गया था। किला हजारों साल का इतिहास समेटकर एक स्थान पर खड़ा है। इस किले में उत्तर, दक्षिण और पश्चिम में तीन गेट हैं। ऐसा कहा जाता है कि शेरशाह सूरी पुराना किला बनाने का काम पूरा नहीं कर पाए थे। बाद में हुमायूं ने इस किले का कार्य पूरा करवाया। यह किला यमुना नदी के किनारे स्थित था।
पद्म विभूषण प्रो. बी बी लाल ने भी किले और इसके परिसर के अंदर वर्ष 1954 और 1969-73 में खुदाई का काम किया था।