विलुप्त होने के कगार पर चीता (Cheetah): मध्य प्रदेश के कुनो वन्य जीव अभ्यारण्य (Kuno Wildlife Sanctuary) में अफ्रीका महाद्वीप के नामीबिया से लाकर आठ चीता के पुनर्वास की कोशिशों के साथ ही भारतीय महाद्वीप में लंबे समय से विलुप्त हो गए चीता की प्रजाति की वापसी की संभावना बढ़ गई है।
भारत मे मूलतः एशियाई प्रजाति के चीता (Asiatic Cheetah) पाए जाते थे जो 1952 में ही विलुप्त घोषित कर दिए गए थे।वर्तमान में बस ईरान ही एकमात्र देश है जहाँ एशियाई चीता पाए जाते हैं। हालांकि वहां भी इसकी संख्या मात्र 12 है।
शुरुआत में भारत ने ईरान से ही इसी मूल प्रजाति जो भारतीय महाद्वीप के आदि हैं, उनको लाने की कोशिश की थी परंतु बाद में ईरान में ही तेजी से कम होते एशियाई चीता की संख्या के मद्देनजर बात नहीं बन पाई।
फलतः भारत ने इसके अफ्रीकी नस्ल (African Cheetah) को लाने का प्रयत्न किया और इसी के तहत आज आठ अफ्रीकी चीता को कुनो वन्यजीव अभ्यारण्य में विस्थापित किया गया है। लेकिन इसमें सबसे बड़ा सवाल है कि क्या ये अफ्रीकी प्रजाति के चीता भारतीय वातावरण और परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठा पाएंगे?
A long wait is over, the Cheetahs have a home in India at the Kuno National Park. pic.twitter.com/8FqZAOi62F
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2022
क्यों विलुप्त हो गईं चीता की प्रजातियां?
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने नेशनल जियोग्राफिक पत्रिका में छपे एक रिपोर्ट :Popular Theory On Cheetah’s Evolution के हवाले से लिखा है कि चीता अतीत में अमेरिकन प्यूमा (American Puma, Another Big cat) के वंशज है; जिसका मतलब हुआ कि चीता की प्रजाति सिर्फ अफ्रीका और एशिया महाद्वीप तक ही सीमित नही थी।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, “लगभग 10-12 हज़ार साल पहले,जब हिम युग का अंत हो रहा था, अचानक से बहुत बड़ी संख्या में स्तनधारी जीव विलुप्त हो गए। इनमें उत्तरी अमेरिका और यूरोप में पाए जाने वाले जंगली चीता भी शामिल थे। इसके बाद सिर्फ एशियाई और अफ्रीकी चीता ही बचे रह गए।”
यहाँ तक कि 1900 ईस्वी के आसपास भी लगभग 1 लाख की संख्या में चीता मौजूद थे। लेकिन सिर्फ दो प्रजातियों के पाए जाने के कारण आंतरिक प्रजनन बढ़ गया। नतीज़तन जीन-विविधता (Variety of Genes) कम हुए और इस से वे तमाम तरह की बीमारियों और असंतुलित वातावरण के कारण उत्पन्न चुनौतियों के शिकार होते चले गए।
विलुप्त होने की मुख्य वजहें
प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय संस्था IUCN के मुताबिक वर्तमान में चीता मुख्यतः अफ्रीका के देशों में पाया जाता है। ईरान एकमात्र देश है दुनिया में जहाँ एशियाई चीता पाया जाता है। आज के दौर में सबसे ज्यादा खतरा मानवीय गतिविधियों से है।
भारत मे भी चीता के विलुप्त होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यही था। अंग्रेज अफसरों और भारतीय राजाओं द्वारा शिकार के शौक ने हजारों की तादाद में इनकी संख्या को कम किया। फिर बढ़ती मानव जनसंख्या के कारण इनके आवास-परिवेश को भी खतरा हुआ। जंगल अंधाधुंध कटाई गए और कृषि योग्य भूमि में तब्दील किये गए।
मवेशियों की चीता के आक्रमण से रक्षा के कारण भी इनको मारा जाने लगा। साथ ही वे जिन छोटे जानवरों को अपना भोजन बनाया करते थे, उन छोटे जानवरों की संख्या भी घटने लगी। तस्करी बाजार के कारण भी इनके शिकार को बढ़ावा दिया।
इन सबके कारण भारत मे एशियाई चीता की प्रजाति विलुप्त हो गई। कमोबेश यही सारी वजहें तमाम अन्य एशियाई देशों में भी रही जहां से यह प्रजाति विलुप्त हो गई।
इन परंपरागत चुनौतियों के साथ साथ आज वर्तमान में चीता के इन प्रजातियों के सामने सबसे बड़ा सवाल है “जलवायु परिवर्तन”। यह एक ऐसी चुनौती है जिस से न सिर्फ एशियाई बल्कि अफ्रीकी चीता की प्रजाति को भी खतरा है।
भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगा- जलवायु परिवर्तन और उस से जुड़े तमाम चुनौतियों का हल ढूंढना। हालांकि संरक्षण के तमाम उपायों ने अफ्रीका में अच्छे परिणाम दिखाए हैं।
अब भारत के लिए यह एक नई चुनौती होगी कि वह जिस धूम धड़ाके और गाजे बाजे के साथ इन आठ चीता (Cheetah) पुनर्वास कराया है, इस निर्णय को सही साबित किया जाए।