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    महाराष्ट्र: Maha Political Crisis

    Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के कहानी में आज एक नया एपिसोड जुड़ गया है जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा विश्वास प्रस्ताव के फैसले को रोकने से मना किया लेकिन साथ मे यह भी कहा कि कल होने वाला बहुमत परीक्षण 11 तारीख को निर्धारित सुनवाई के संदर्भ में देखा जाएगा।

    साथ ही एक और याचिका जिसमें महाराष्ट्र सरकार के 2 मंत्री नवाब मलिक और अनिल देशमुख जो जेल में बंद है, को बहुमत परीक्षण में भाग लेने की इजाज़त मांगी गई थी, उस पर कोर्ट ने मुहर लगाते हुए उनको बहुमत परीक्षण में भाग लेने की इजाज़त दे दी।

    बता दें कि कल भारतीय जनता पार्टी के तरफ से देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाक़ात की थी जिसके बाद राज्यपाल श्री कोश्यारी ने महा विकास अगाड़ी (MVA) की सरकारमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सदन के पटल पर बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था।

    इसी मुद्दे पर उद्धव ठाकरे की सरकार ने (तथ्यात्मक रूप से शिवसेना के चीफ व्हिप ने) सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और देर शाम लगभग 3 घंटे की लंबी जिरह के बाद माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया। 5 बजे शाम से शुरू हुई बहस रात 8:30 बजे तक चलती रही और फिर आधे घंटे के अंतराल के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।

    इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के 2 जजों की बेंच कर रही है जिसमे जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे. बी. पारदीवाला कर रहे थे। आपको बता दें कि इसी बेंच ने अभी 27 जून को शिवसेना के बागी विधायकों की शिंदे गुट को राहत दी थी जब कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर द्वारा बागी गुट के 12 विधायकों के निलंबन का मामला माननीय कोर्ट के सामने आया था।

    महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर नरहरि ज़िरवाल ने इन बागी विधायकों में 12 विधायकों को निलंबन के संदर्भ में अपना पक्ष रखने के लिए 27 जून के शाम 5:30 बजे तक का समय दिया गया था जिसे सुप्रीम कोर्ट के इसी बेंच ने बढ़ाकर 11 जुलाई कर दिया था।

    आज की सुनवाई में उद्धव ठाकरे की सरकार का पक्ष अभिषेक मनुसिंघवी ने रखा और उन्होंने अपने जिरह में बार बार कोर्ट के उस फैसले की दुहाई दी तथा उन्होंने कोर्ट से दरख्वास्त किया था कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डिप्टी स्पीकर के  हाँथ बंधे हुए हैं, इसलिए बहुमत परीक्षण को भी 11 जुलाई तक टाल देना चाहिये।

    वहीं बागी विधायकों के शिंदे गुट के तरफ से पेश हुए वकील नीरज कौल ने कोर्ट से तमाम पुराने फैसलों जैसे नबाम राबिया केस, शिवराज चौहान केस आदि की दुहाई देते हुए यह गुहार लगाई कि अगर सरकार के पास बहुमत है तो उसे सदन पर अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना चाहिए।

    कुल मिलाकर अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे की महाविकास अगाड़ी की सरकार जो कथित तौर पर अल्पमत में है, की उल्टी गिनती शुरू हो गयी है।

    कल के बहुमत परीक्षण के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में आये भूचाल शायद थम जाए लेकिन कहीं ना कहीं राजनीति के इस खेल में जनता का हित दब जाता है। दलबदल और सत्ता की मेवा पर भी सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेने की आश्यकता है। कर्नाटक, मध्यप्रदेश और अब महाराष्ट्र में एक चुनी हुई सरकार का यूँ गिर जाना लोकतंत्र के लिए एक विकट परिस्थिति है।

    By Saurav Sangam

    | For me, Writing is a Passion more than the Profession! | | Crazy Traveler; It Gives me a chance to interact New People, New Ideas, New Culture, New Experience and New Memories! ||सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ; | ||ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ !||

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