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    गुजरात दंगों में सर्वोच्च न्यायलय ने जकिया की याचिका की ख़ारिज, अमित शाह ने कहा, मोदी जी के ऊपर आरोप लगाने वालों के पास विवेक है तो भाजपा और मोदी जी से माफ़ी मांगनी चाहिए

    गृह मंत्री अमित शाह ने 2002 के दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को SIT की क्लीन चिट को बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की शनिवार को सराहना की। अमित शाह ने  ‘भाजपा का विरोध करने वाले राजनीतिक दल, कुछ पत्रकार और कुछ गैर सरकारी संगठनों की त्रिपक्षीय गठजोड़’ की आलोचना की। 

    न्यूज़ एजेंसी एएनआई को दिए एक साक्षात्कार में, शाह ने फैसले को ‘हर भाजपा कार्यकर्ता के लिए गर्व की बात’ कहा। उन्होंने कहा- ‘भाजपा पर जो दाग था वह धुल गया है और मोदी जी जैसे विश्व नेता ने खुद को एक आदर्श उदाहरण दिखाया है कि कैसे लोकतंत्र में संविधान का सम्मान होना चाहिए।’ 

    उन्होंने कहा, सर्वोच्च न्यायलय का यह आदेश ‘बहुत महत्वपूर्ण’ था। यह आदेश ‘राजनीतिक रूप से कम लेकिन फिर भी अधिक क्योंकि अदालत ने उजागर किया है कि हमारे शीर्षतम नेता को कैसे पीड़ित किया गया था।’

    उन्होंने कहा एक ecosystem के तहत अदालत सहित सभी को प्रभावित किया गया है। आरोप लगाने वालों के विवेक है तो भाजपा और प्रधान मंत्री से माफ़ी मांगनी चाहिए। उनके पास इतना मजबूत ecosystem था कि लोगों ने शुरुआत की झूठ को सच मान लेना। 

    उन्होंने आगे कहा, ‘आज, जब फैसला आया है, यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एक पुलिस अधिकारी, एक NGO और कुछ राजनीतिक दल मिलकर इस घटना को सनसनीखेज बनाने के लिए झूठ फैलाया। SIT ने भी अदालत के सामने पेश किया है कि बयान झूठे थे। आज अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार ने दंगों को रोकने के लिए अपनी पूरी कोशिश की। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बार-बार शांति की अपील की, कि गोधरा के बाद की ट्रेन जलाने की घटना सुनियोजित नहीं थी, बल्कि भड़काया गया था।’

    जकिया जाफरी के बारे में बोलते हुए, जिन्होंने मोदी को SIT की क्लीन चिट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, शाह ने कहा, ‘सर्वोच्च न्यायलय ने कहा है कि जकिया जाफरी किसी और के आग्रह पर काम करती थी। कई पीड़ितों के हलफनामों पर NGO ने हस्ताक्षर किए। सभी जानते थे कि तीस्ता सीतलवाड़ का NGO ऐसा कर रहा है। UPA सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ के NGO की बहुत मदद की, ये तो पूरी लुटियंस दिल्ली जानती है। यह केवल मोदीजी को निशाना बनाने, उनकी छवि खराब करने के लिए किया गया था। लेकिन सच्चाई की जीत होती है।’

    इन दावों के बारे में पूछे जाने पर कि मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने दंगों को नियंत्रित करने के लिए सेना बुलाने में देरी की, शाह ने कहा. ‘कोई देरी नहीं हुई। जिस दिन गोधरा ट्रेन जलाने के खिलाफ बंद का आह्वान किया गया, हमने सेना बुलाई। सेना को आने में कुछ समय लगता है। उस पर रिकॉर्ड स्पष्ट है और यहां तक ​​कि कोर्ट ने भी त्वरित कार्रवाई के लिए इसकी सराहना की है।’

    UPA सरकार को निशाना साधते हुए शाह ने कहा, सेना को बुलाने में कोई देरी नहीं होनी चाहिए थी जब 1984 में दिल्ली में केंद्र में कांग्रेस की सरकार के तहत सिख विरोधी दंगे हुए थे। ‘सेना मुख्यालय दिल्ली में है। जब इतने सिख मारे गए, तीन दिनों तक कुछ नहीं किया गया। तब कितने SIT बिठाये गए थे? हमारी सरकार के सत्ता में आने के बाद 1984 के दंगों में एक SIT का गठन किया गया था। कितनी गिरफ्तारियां की गईं? इतने सालों तक जब विपक्ष सत्ता में था, एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई। और वही हम पर पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं?’

    उन्होंने कहा कि लोगों और पत्रकारों दोनों को इस पर विचार करना चाहिए। उन पत्रकारों की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए जाने चाहिए जिन्होंने ये आरोप लगाए। उनसे पूछा जाना चाहिए कि इस तरह के आरोपों का आधार क्या था। 

    यह कहते हुए कि भाजपा सरकार ने मीडिया की रिपोर्टिंग में कभी हस्तक्षेप नहीं किया, ‘तब भी नहीं, आज भी नहीं, केंद्रीय मंत्री ने तहलका स्टिंग ऑपरेशन का उल्लेख करते हुए कहा कि अदालत ने इसे खारिज कर दिया क्योंकि जब प्रासंगिक फुटेज के माध्यम से आया, तो यह स्पष्ट था कि स्टिंग ऑपरेशन राजनीति से प्रेरित था।’

    उन्होंने कहा, ‘मोदी जी से भी पूछताछ की गई, किसी ने धरना या प्रदर्शन नहीं किया। उनके साथ एकजुटता से खड़े होने के लिए देश भर से लोग नहीं आए। हमने कानून का सहयोग किया। मुझे भी गिरफ्तार कर लिया गया, कोई प्रदर्शन नहीं हुआ।’

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